मुंज्या महाराष्ट्रीयन कल्चर में एक प्रकार के भूत को कहते हैं। माना जाता है जो लड़का अपने उपनयन संस्कार से पहले या 10 दिन के अंदर अपनी अधूरी इच्छाओं के साथ मर जाता है, वो मुंज्या बन जाता है। यह ऐसे लड़के की कहानी है जो मुन्नी से शादी की इच्छा लेकर मर गया और मुंज्या बन गया। पूरी पटकथा प्रचुर मात्रा में हास्य से भरपूर है फिल्म का हीरो कैसे इससे लड़कर इसका खात्मा करता है, यही कहानी है।
फिल्म में मुंज्या की एंट्री से पहले तक डर लगता है पर उसके बाद कॉमेडी फ्रंट सीट लेने लगती है। फिल्म में रोमांस, दोस्ती, इमोशंस, कॉमेडी सब है। ‘मुंज्या’ में शरवरी वाघ, मोना सिंह, अभय वर्मा और सत्यराज अहम भूमिका में नजर आए हैं। सभी की एक्टिंग दिल जीत लेती है। हालांकि, सत्यराज और मोना सिंह का बेहतर इस्तेमाल हो सकता था। ‘मुंज्या’ का डायरेक्शन आदित्य सरपोतदार ने किया है। कहानी लिखी है निरेन भट्ट ने और फिल्म के प्रोड्यूसर हैं निमार्ता दिनेश विजन और अमर कौशिक। एक सुपरनैचुरल फिल्म बनाना और खासकर ऐसे किरदार को ध्यान में रखकर डायरेक्ट करना जो असल जिंदगी में है नहीं, यह चैलेंजिंग है और डायरेक्टर इसमें सफल कहे जाएंगे। फिल्म में सबसे अधिक खलता है लाउड बैकग्राउंड म्यूजिक जो कई जगह फिल्म का मजा बिगाड़ देता है। हालांकि, नए प्रयोग के तौर पर बनी फिल्म को एक बार देखना तो बनता है।
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