धर्म

Chiranjeevi in Sanatan dharm : सनातन धर्म की वो महान आत्माएँ जो आज भी जीवित हैं

Param bhaagwat in Sanatan dharm : भारतीय पुराणों और शास्त्रों में ऐसे आठ महापुरुषों का वर्णन मिलता है जिन्हें “चिरंजीवी” या अमर आत्माएं कहा गया है। चिरंजीवी का अर्थ होता है – जो मृत्यु के अधीन नहीं हैं, जो युगों तक जीवित रहते हैं। ये महान आत्माएँ आज भी इस संसार में कहीं न कहीं विद्यमान हैं और मानव कल्याण के लिए कार्यरत हैं।

जानिए हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आठ चिरंजीवी कौन हैं और आज वे कहाँ निवास करते हैं – परशुराम, हनुमान से लेकर अश्वत्थामा तक की अद्भुत कथाएं। आइए जानते हैं उनके नाम और उनके संभावित निवास स्थानों के बारे में।

भगवान परशुराम : आने वाले कल्कि अवतार के गुरु

स्थान: महेंद्र पर्वत
विशेषता: वे तपस्या में लीन हैं और भविष्य में कल्कि अवतार को शस्त्र विद्या सिखाएंगे। परशुराम कलियुग में भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि के गुरू बनेंगे।

महर्षि वेदव्यास : महाभारत के रचयिता

स्थान: हिमालय या बद्रीनाथ क्षेत्र
विशेषता: महाभारत और 18 पुराणों के रचयिता वे अब भी ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।

ऋषि मार्कण्डेय : अपनी भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले

स्थान: हिमालय की गुफाओं में
विशेषता: अमर योगी माने जाते हैं और वे महान साधकों को दर्शन देते हैं।

हनुमानजी : पवन पुत्र, श्रीराम के परम प्रिय भक्त

स्थान: कैलाश पर्वत, चित्रकूट, हिमालय और रामेश्वर जैसे तीर्थस्थलों पर
विशेषता: वे प्रभु श्रीराम के आज्ञाकारी भक्त हैं और अपने भक्तों को समय-समय पर दर्शन देते हैं।

गुरु कृपाचार्य : कौरवों तथा पांडवों के कुलगुरु

स्थान: हिमालय में तपस्या कर रहे हैं
विशेषता: कल्कि अवतार के गुरु बनने की भविष्यवाणी है।

राजा बली : पाताल लोक का राजा

स्थान: पाताल लोक
विशेषता: वे कलियुग के अंत में पुनः प्रकट होंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।

विभीषण : लंका के राजा रावण के भाई

स्थान: श्रीलंका
विशेषता: भगवान श्रीराम के अनुज रावण के भाई, जो आज भी धर्म की रक्षा कर रहे हैं।

अश्वत्थामा : गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र

स्थान: माना जाता है कि वे आज भी पृथ्वी पर भटक रहे हैं।
कथाएं: मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी, जंगलों और अन्य रहस्यमय स्थानों में उन्हें देखे जाने के दावे होते हैं।

जामवन्त : अग्नि पुत्र जामवन्तजी त्रेतायुग राम के साथ थे और द्वापर युग में श्रीकृष्ण के ससुर बने थे। कल्कि अवतार में भी जामवंत जी उनके साथ रहेंगे।

निष्कर्ष : ये वो अमर आत्माएं है जो भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर हैं। इनका अस्तित्व हमें यह विश्वास दिलाता है कि धर्म, भक्ति और तप की शक्ति कालजयी है साथ ही साथ जो धर्म, सत्य, और कर्म का पालन करने की प्रेरणा देते हैं। यदि आप भी आध्यात्मिक रुचि रखते हैं, तो इन महापुरुषों के बारे में जानना निश्चित ही आपके ज्ञान और श्रद्धा को बढ़ाएगा।

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