मानसिक सेहत में जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन ढूँढना शामिल है – शारीरिक, मानसिक, भावानात्मक व रुहानी तौर पर। यह जीवन का मजा लेने व जीवन की रोजमरी चुनौतियों का सामना करने की योग्यता है – चाहे इस में पसंद करना व निर्णय लेना, कठिन स्थितियों का सामना करना व उनके मुताबिक अपने आप को ढालना या अपनी जरुरतों व चाहतों के बारे में बात करना शामिल हो ।
जैसे आपका जीवन व स्थितियां लगातार बदलती रहती हैं हैं वैसे ही आपके मूड व ख्याल और आपकी ठीक ठाक होने की भावना भी। समय के साथ व कई तरह की स्थितियों में अपने जीवन में संतुलन ढूँढना बहुत जरूरी है। कभी कभी असंतुलित महसूस करना स्वाभाविक हैः मिसाल के तौर पर, दुखी, चिंतित, डरा हुआ या शक्की । लेकिन ये एहसास जब लंबे समय तक रोज की जिंदगी में दखल देने लगें तो समस्या बन सकते हैं।
मानसिक सेहत की समस्याओं में क्या योगदान डालता है ?
इस बात को लेकर बहुत से विचार हैं कि लोगों को मानसिक सेहत की समस्याँए क्यों होती हैं । विज्ञानिक अनुसंधान का यह सुझाव है कि बहुत सी गंभीर मानसिक सेहत की समस्याओं में दिमाग में बाइयोकैमीकल हलचलों का हाथ है। पेशेवर यह भी मानते हैं कि कई तरह के मनोवैज्ञानिक, समाजिक व वातावरण से संबंधित कारण आपके ठीक ठाक महसूस करने पर असर डालते हैं। साथ ही आपके जीवन के शरीरिक, मानसिक, भावात्मक व रुहानी पहलुओं का असर भी आपकी मानसिक सेहत पर पड़ता है। तनाव का असर इस बात पर भी पड़ता है कि आप किसी एक या इन सब का सामना कैसे करते हैं और इस से रोजमर्रा की गतीविधियों को व्यवसथित करना कठिन भी हो सकता है। आप को इस लिए कठिनाई हो सकती है क्योंकि आप के पास आपकी मदद करने वाले नए तरीकों व जानकारी की कमी है।
मानसिक सेहत की समस्याओं की किस्में –
मानसिक सेहत की समस्याए अकसर अलग अलग समय पर अलग अलग शक्लें व रुप ले लेती हैं। कुछ लोग उदास महसूस करते हैं। कुछ चिंतित व डरा हुआ। एक बच्चा क्लास में अभिनय कर सकता है या दूसरों से किनारा कर सकता है। कुछ बहुत अधिक नहीं खाते। कुछ जरुरत से जयादा खाते हैं। कुछ अपने दर्दनाक एहसासों को सुन्न करने के लिए शराब या और नशों पर निर्भर करते हैं। कुछ का वास्तविकता से नाता टूट जाता है। मिसाल के तौर पर, उनको आवाजें सुनाई देती हैं, ऐसी चीजें दिखती हैं जो हैं ही नहीं या ऐसी चीजों को मानते हैं जो सच नहीं हैं। कुछ को खुद को मारने के ख्याल आते हैं और कुछ ऐसे ख्यालों पर अमल भी करते हैं। कुछ गुस्से व आक्रमणात्मक महसूस करते हैं । और कुछ ऐसी किसी एक घटना से दुखी हैं जैसे कि गंभीर कार दुर्घटनाया फिर लंबे समय की समस्याएं जैसे कि बच्चे के रुप में कई साल तक किया गया र्दुव्यवहार । बहुत से लोगों को एक ही समय पर इन में से एक से जयादा समस्याएं होती हैं।
कई सालों तक हम यह सोचते थे कि मानसिक सेहत की समस्याए या तो वापस आती रहेंगी या फिर कभी दूर जाएगी ही नहीं। अब हम यह जानते हैं कि बहुत से लोग इन चुनौतियों से ठीक हो जाते हैं। मानसिक सेहत की समस्याओं वाले बहुत से लोग अपनी शक्ति व लचक, अपने परिवार व मित्रों के सहारे, मनोविज्ञानिक इलाज, तनाव कम करने के तरीकों और हो सकता है दवाईयों के प्रयोग से ठीक हो जाते हैं।
कुछ लोगों को यह पता लगने से आराम मिलेगा कि डाक्टर किस तरह से उन की समस्याओं की पहचान करते हैं। वो ऐसी पहचान पा कर खुश होंगे जो उनको इस बारे में ख्याल प्रदान करे कि क्या गड़बड़ है और ये सुझाव उन की समस्याओ का इलाज किस तरह से हो सकता है। लेकिन कुछ औरों को यह पहचान जान कर मदद नहीं मिलेगी। वो इसको एक लेबल या कैटेगौरी कि तरह देख सकते हैं जो कि तन की स्थिति का वर्णन नहीं करती । या वो ये समझ सकते हैं कि उन की ये हालत जीवन की कठिन
स्थितियों के कारण है ना कि एक बीमारी ।
सच तो यह है कि कुछ लोगों की समस्या की गलत पहचान की जाती है और फिर उनका गलत इलाज किया जाता है। कई बार उनकी मानसिक सेहत की पहचान को कई सालों में इतनी बार बदला जाता है कि उनको सिस्टम पर भरोसा ही नहीं रहता। लेकिन कुछ लोग यह पाते हैं कि सही पहचान से उनको सही इलाज चुनने और सब से अच्छी देखभाल प्राप्त करने में मदद मिली ।
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