Benefits-of-fasting: मानव शरीर से अच्छी तरह काम लेने के लिये, एवं सदा स्वस्थ्य और दीर्घ जीवन के लिये कभी-कभी भोजन न करना भी एक कला है, जिसे उपवास कहते हैं । धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार उपवास, अन्तःकरण की भी शुद्धि करता है । उपवास का अर्थ है ’उप’ माने समीप, ’वास’ रहना । यानी स्वास्थ्य और परमात्मा के नजदीक पहुंचने के लिये उपवास सर्वोत्तम साधना है। श्री माता पारवती जी ने उपवास करके ही श्रीभगवान शंकर को पुनः प्राप्त कर लिया था । परम तपस्वी श्रीमहाराज मनु और सतरूपा ने तेइस हजार वर्ष तक उपवास करके परम ब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार किया था।
उपवास जीवन का विश्राम है
भौतिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ के लिये उपवास अचूक अस्त्र है। परन्तु संसार में उपवास करने की जो प्रथा चल रही है वह अत्यन्त दोषपूर्ण है। गलत तरीके से उपवास करने से उपवास का कोई लाभ तो मिलता ही नहीं है बल्कि अपार हानि होती है। जिस प्रकार कोई तलवार को गलत चलाकर अपना ही अंग काट ले वही हाल आजकल उपवास करने का है।
उपवास साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक किये जा सकते हैं। यदि प्राकृतिक चिकित्सा विधि के अनुसार उपवास किया जाय तो शरीर में रोग होने की सम्भावना नहीं रहेगी ।
साप्ताहिक उपवास कैसे रखें?
साप्ताहिक उपवास इतवार और मंगलवार को करना अति उत्तम है। ऐसे उपवास दो प्रकार से किये जा सकते हैं। एक फलाहार से दूसरे पूर्ण उपवास केवल जल पीकर करें। फलाहार एक बार या दो बार करें, इसके बीच में कुछ न खायें। फलों में जो मौसम के फल हों वही लें। एकबार में एक प्रकार का फल लिया जाय तो अति उत्तम होगा। फलाहार के दिन दूध नहीं लेना चाहिये। दूध पूर्ण भोजन है उससे उपवास का लाभ नहीं मिलता है।
जिन्हें कब्ज की शिकायत हो तो उन्हें फलों में अमरूद, पपीता, आम, बेल आदि रेचक पदार्थ लेना चाहिये जिससे पेट साफ रहे। यदि फलाहार करने पर शौच न हो तो एनिमा अवश्य लेना चाहिये। जहां एनिमा लेने की सुविधा न हो वहाँ पर चार छोटी हरें खाकर ऊपर से पानी पियें । इतवार को नमक नहीं खाना चाहिये। शरीर में जो नमक का अंग होता है, उसका शमन हो जाता है। साप्ताहिक उपवास में चीनी, चीनी की बनी मिठाई घी की तली वस्तुएँ खाना उचित नहीं है। जहां फल न मिलें, वहाँ सब्जी उबाल कर खा सकते हैं।
साप्ताहिक उपवास रखने का सही दिनचर्या –
- जागरण करते हुए ईश्वर प्रार्थना करें।
- शौच के पहले 1 नीबू + पानी 1 सेर, पेट भर कर पियें।
- प्रति घन्टे में 1 पाव पानी पीना चाहिये ।
इच्छानुसार पानी गरम या ठन्डा पियें, दूसरे दिन प्रातःकाल नींबू शहद, पानी, मट्ठा, या फल सब्जी का रस लेना चाहिये। दोपहर को हल्का भोजन करें। टहलना, योगासन, प्राणायाम आदि, कोई भारी काम न करें। विश्राम करना अच्छा है । घर्षण, स्नान, सूर्यस्नान, तेल मालिश आदि करना अच्छा है।
फलाहार पर साप्ताहिक उपवास करने की दिनचर्या :-
साप्ताहिक उपवास में ईश्वर प्रार्थना करें, ताजा पानी में आधा नींबू डाल कर पानी पी सकते हैं, कोई एक फल 20 तोला से 40 तोला तक ले सकते हैं। सूप में फल या सब्जी का सूप ले सकते हैं। फलों के अभाव में 20 तोला उबली सब्जी ले सकते हैं।
फलाहार उपवास में योगासन, प्राणायाम करके अपने शरीर में ऊर्जा भर सकते हैं।
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