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Jagannath Rath Yatra : जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की विशेषताएं एवं कहानी

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Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिशा के पुरी में आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व बताया जाता है. जगन्नाथ धाम को मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है, इसलिए इस भव्य रथ यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा में शामिल होकर जगन्नाथ जी के रथ को खींचने से भक्तों को 100 यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस यात्रा में शामिल होने वालों के सभी पाप नष्ट होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पुरी में आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और खुशियों का आगमन होता है.

जगन्नाथ पुरी के अद्भुत नजारे

जगन्नाथ पुरी मंदिर बेहद विशाल है। यहां पर भगवान जगन्‍नाथ अपनी बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र और जीजा सुदर्शन के साथ विराजमान रहती हैं। मंदिर में हर तरफ उजाला है मगर भगवान की कक्ष में उजाले की कोई व्‍यवस्‍था नहीं होती हैं। कक्ष में भगवान कृष्‍ण अपने भाई-बहन के साथ विश्राम करते हैं। विश्राम करते समय उन्‍हें कोई परेशानी न हो इसके लिए कक्ष में अंधेरा रखा जाता है, रोशनी के लिए केवल एक दिया जलता रहता है। मतलब कक्ष में केवल दिए की रौशनी होती है।

जगन्‍नथ मंदिर के शिखर में झंडा लगाने की अनोखी परंपरा

यहां पर मंदिर का शिखर किसी विशाल पर्वत की तरह उंचा है। हैरानी की बात तो यह है कि इस शिखर पर प्रतिदिन झंडा बदला जाता है और इस झंडे को बदलने के लिए व्‍यक्ति को बिना किसी सहारे के मंदिर के शिखर पर चढ़ना होता है। यह दृश्य देखने में अद्भुत होता है। ऐसा प्रतिदिन शाम 4 बजे शुरु होता है और लगभग आधे घंटे में ही व्‍यक्ति शिखर पर दूसरा झंडा लगा कर वापिस आ भी जाता है।

गुंडिचा देवी टेम्‍पल कहां हैः

Jagannath Rath Yatra 2024: यह मंदिर भगवान जगन्‍नाथ जी की मौसी का घर है। यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर से 2 कि.मी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। गुंडिचा मंदिर जहां स्थित है उस स्थान को “सुंदराचल” कहा जाता है। सुंदराचल, की तुलना वृन्दावन से की गई है और नीलाचल जहां श्री जगन्नाथ रहते हैं वह द्वारका माना जाता है।

भगवान जगन्‍नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ यहां ठहरने आते हैं। यहां पर भगवान का अपना कक्ष भी है जहां उनकी प्रतिमा को हर साल 15 दिन के लिए स्‍थापित किया जाता है। भक्तजन ब्रजवासियों के भाव में रथयात्रा के समय प्रभु जगन्नाथ से लौटने की प्रार्थना करते हैं इसलिए प्रभु उन भक्तों के साथ वृन्दावन यानि गुंडिचा आते हैं। 

मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को भगवान का जन्म स्थान भी कहा जाता है। क्योंकि यहां महावेदी नामक मंच पर दिव्य शिल्पकार विश्वकर्मा ने राजा इंद्र की इच्छा अनुसार भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा के विग्रह को दारुब्रह्म से प्रकट किया था। यह मंदिर राजा इंद्र की पत्नी गुंडिचा रानी के नाम पर है और इसी क्षेत्र में राजा ने एक हजार अश्वमेघ यज्ञ किए थे।

जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है?

इसके पीछे कई कारण है बताये गये हैं, उनमें कुछ कारणों का हम उल्लेख कर रहे हैं :-

  • कृष्ण की रानियाँ माता रोहिणी से उनकी रासलीला सुनाने को कहती है. माता रोहिणी को लगता है कि कृष्ण की गोपीयों के साथ रासलीला के बारे सुभद्रा को नहीं सुनना चाहिए, इसलिए वो उसे कृष्ण, बलराम के साथ रथ यात्रा के लिए भेज देती है. तभी वहां नारदजी प्रकट होते है, तीनों को एक साथ देख वे प्रसन्नचित्त हो जाते है, और प्रार्थना करते है कि इन तीनों के ऐसें ही दर्शन हर साल होते रहे. उनकी यह प्रार्थना सुन ली जाती है और रथ यात्रा के द्वारा इन तीनों के दर्शन सबको होते रहते है।
  • कृष्ण की बहन सुभद्रा अपने मायके आती है, और अपने भाइयों से नगर भ्रमण करने की इच्छा व्यक्त करती है, तब कृष्ण बलराम, सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर घुमने जाते है, इसी के बाद से रथ यात्रा का पर्व शुरू हुआ।
  • गुंडीचा मंदिर में स्थित देवी कृष्ण की मासी है, जो तीनों को अपने घर आने का निमंत्रण देती है. श्रीकृष्ण, बलराम सुभद्रा के साथ अपनी मासी के घर 10 दिन के लिए रहने जाते है.

जगन्नाथ पूरी रथ यात्रा 2024 में कब निकाली जाएगी जगन्नाथ जी की रथ यात्रा हर साल अषाढ़ माह (जुलाई महीने) के शुक्त पक्ष के दुसरे दिन निकाली जाती है. इस वर्ष ये 7 जुलाई 2024, दिन रविवार को निकाली जाएगी.

जगन्नाथ पूरी रथ का पूरा विवरण

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ पूरी के रथ का निर्माण अक्षय तृतीया के दिन से शुरू हो जाता है. अक्षय तृतीया का मतलब महत्त्व व कथा जानने के लिए पढ़े. इसे हर साल नए तरीके से बनाया जाता है, इसे बनाने में कई लोग लगते है, फिर इसे सजाया भी जाता है.

जगन्नाथ(श्रीकृष्ण) का रथ – यह 45 फीट ऊँचा होता है, इसमें 16 पहिये होते है, जिसका व्यास 7 फीट का होता है, पुरे रथ को लाल व पीले कपड़े से सजाया जाता है. इस रथ की रक्षा गरुड़ करता है. इस रथ को दारुका चलाता है. रथ में जो झंडा लहराता है, उसे त्रैलोक्यमोहिनी कहते है. इसमें चार घोड़े होते है. इस रथ में वर्षा, गोबर्धन, कृष्णा, नरसिंघा, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान व रूद्र विराजमान रहते है. इसे जिस रस्सी से खींचते है, उसे शंखचुडा नागनी कहते है.

बलराम का रथ – यह 43 फीट ऊँचा होता है, इसमें 14 पहिये होते है. इसे लाल, नीले, हरे रंग के कपड़े से सजाया जाता है. इसकी रक्षा वासुदेव करते है. इसे मताली नाम का सारथि चलाता है. इसमें गणेश, कार्तिक, सर्वमंगला, प्रलाम्बरी, हटायुध्य, मृत्युंजय, नाताम्वारा, मुक्तेश्वर, शेषदेव विराजमान रहते है. इसमें जो झंडा लहराता है, उसे उनानी कहते है. इसे जिस रस्सी से खींचते है, उसे बासुकी नागा कहते है.

सुभद्रा का रथ – इसमें 12 पहिये होते है, जो 42 फीट ऊँचा होता है. इसे लाल, काले रंग के कपड़े से सजाया जाता है. इस रथ की रक्षा जयदुर्गा करता है, इसमें सारथि अर्जुन होता है. इसमें नंद्बिक झंडा लहराता है. इसमें चंडी, चामुंडा, उग्रतारा, वनदुर्गा, शुलिदुर्गा, वाराही, श्यामकली, मंगला, विमला विराजमान होती है. इसे जिस रस्सी से खींचते है, उसे स्वर्णचुडा नागनी कहते है.

इन रथों को हजारों लोग मिलकर खींचते है, सभी लोग एक बार इस रथ को खीचना चाहते है, क्यूंकि इससे उन्हें लगता है कि उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है. यही वो समय होता है जब जगन्नाथ जी को करीब से देखा जा सकता है.

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा महत्व

घर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा कैसे करें?

घर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले मूर्ति को फूलों से सजाना चाहिए और उस पर चंदन का लेप लगाना चाहिए। भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करें और पूजा करने के लिए धूपबत्ती और दीया जलाएं

जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ….

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