आयुर्वेद धर्म

शुद्ध पंचगव्य क्या है? पंचगव्य कैसे बनाएं?

What is Pure Panchgavya : पंचगव्य का अर्थ है पंच+गव्य अर्थात् गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, और घी के मिश्रण से बनाये जाने वाले पदार्थ को पंचगव्य कहा जाता है। पुराने जमाने में इसका प्रयोग पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता था। पंचगव्य एक अत्यधिक प्रभावी जैविक खाद है जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। पंचगव्य का निर्माण देसी गाय के पांच उत्पादों से होता है क्योंकि देशी गाय के उत्पादों में पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं.

पंचगव्य शरीर के साथ मन व बुद्धि को भी शुद्ध, सबल व पवित्र बनाता है. शरीर में संचित हुए रोगकारक तत्वों का उच्चाटन कर सम्भावित गम्भीर रोगों से रक्षा करने की क्षमता इसमें निहित है इसमें शरीर के लिए आवश्यक जीवनसत्व, खनिज तत्व, प्रोटीन्स, वसा व ऊर्जा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है गर्भिणी माताएँ, बालक, युवक व वृद्ध सभी के लिए यह उत्तम स्वास्थ, पुष्टि व शक्ति का सरल स्त्रोत है.

निर्माण व सेवन-विधि : (Ingredients to make Panchagavya)

1 भाग गोघृत, 1 भाग गोदुग्ध, 1 भाग गोवर का रस, 2 भाग गाय का दही व 5 भाग ’छाना हुआ गोमूत्र, सब मिलाकर 30 मि.ली. प्रातः खाली पेट धीरे-धीरे पियें बाद में 2 घंटे तक कुछ न लें.

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पंचगव्य के लाभ (Benefits of Panchagavya)

  • भूमि की उर्वराशक्ति में सुधार।
  • भूमि में हवा व नमी को बनाये रखना।
  • भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी।
  • फसल में रोग व कीट का प्रभाव कम करना।
  • सरल एवं सस्ती तकनीक पर आधारित।
  • फसल उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता में वृद्धि।

पंचगव्य का उपयोग कैसे करे (How to use Panchagavya)

  • पंचगव्य का उपयोग अनाज व दाल (धान, गेहूँ, मंड़ुवा, राजमा आदि) तथा सब्जियों (शिमला मिर्च, टमाटर, गोभी व कन्द वाली) में किया जाता है।
  • छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है।
  • बीज उपचार से लेकर फसल की कटाई के 25 दिन पहले तक 25 से 30 दिन के अंतराल में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • प्रति बीघा 5 लीटर पंचगव्य 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधों के तने के पास छिड़काव करें।

पंचगव्य के देवता कौन हैं? पंचगव्य बनाते समय पाँच चीज़ें मिलाई जाती हैं। तो, सनातन हिंदू धर्म के अनुसार पंचगव्य में पाँच देवता हैं –

  • भगवान वरुण गोमूत्र के देवता हैं।
  • चंद्रमा दूध के देवता हैं।
  • अग्नि नारायण गाय के गोबर के देवता हैं।
  • सूर्य घी के देवता हैं।
  • जल के देवता भगवान नारायण हैं।
  • कुशा के देवता ब्रह्मा हैं।

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