गुरु पूर्णिमा 2024 : गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल के आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं
ईश कृपा बिन गुरु नहीं, गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं, गावहिं वेद पुरान ॥
गुरु-नाम उच्चारण करने पर गुरुभक्त का रोम-रोम पुलकित हो उठता है चिंताएँ दूर हो जाती हैं, जप-तप-योग से जो नही मिल पाता वह गुरु के लिए प्रेम की एक तरंग से गुरुभक्त को मिल जाता है, इसे निगुरे नहीं समझ सकते।
आत्मज्ञानी, आत्म-साक्षात्कारी महापुरुष को जिसने गुरु के रुप में स्वीकार कर लिया हो उसके सौभाग्य का क्या वर्णन किया जाय ? गुरु के बिना तो ज्ञान पाना असंभव ही है।
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गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत और विधान क्या है?
सुबह जल्दी उठकर नहाकर पूजा करके साफ कपड़े पहनकर गुरु के पास जाना चाहिए। गुरु को ऊंचे आसन पर बैठाकर फूलों की माला पहनानी चाहिए। इसके बाद कपड़े, फल और फूल चढ़ाकर श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए। इस प्रकार श्रद्धापूर्वक पूजा करने से गुरु का आशीर्वाद मिलता है। गुरु पूर्णिमा पर वेद व्यासजी द्वारा लिखे ग्रंथों को पढ़ना चाहिए और उनके उपदेशों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि क्या है?
सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें उसके बाद नहाकर साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थान पर पटिए पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर चंदन से 12 सीधी और 12 आड़ी रेखाएं खींचकर व्यास-पीठ बना लें। इसके बाद गुरु पूजा के लिए संकल्प लेना चाहिए और दसों दिशाओं में चावल छोड़ना चाहिए। फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी, गोविंद स्वामीजी और शंकराचार्यजी के नाम लेकर उन्हें प्रणाम करें और पूजन सामग्री से पूजा करें। इसके बाद अब अपने गुरु या उनके चित्र की पूजा करके श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देना चाहिए। आखिरी में गुरु पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांट दें।
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