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किसी आलोचना पर हम अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं

मैं जब भी कोई अच्छा काम करने जाता हूं या मुझे लगता है को मैं सही कर रहा हूं उसी वक्त कोई ऐसा इंसान आता है जो मेरे काम को आलोचना करता है, जो मुझे अंदर से कमजोर बना देती है चाहे वो कुछ समय के लिए क्यों न हो।

ये सभी के साथ होता है की कोई अच्छा काम करने की शुरआत करता है और लोग उसकी आलोचना शुरू कर देते हैं। जबकि अभी काम पूरा भी नही हुआ। मगर मैं जानता हूं कि हमे आलोचना के डर से अपने काम को नही रोकना है बल्कि इस पर और सिद्दत से काम करना है।

हम अपने सारे ज्ञान के लिए उन लोगों के ज़िम्मेवार नहीं, जो स्थापित मूल्यों से सहमत हो गए बल्कि उन के ऋणी है जो सहमत न हुए।” – चार्ल्स कालेब कोल्टन (ब्रिटिश लेखक)

ये बहुत विकट स्थिति होती है जब कोई आपकी आलोचना करता हो और आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रित करना हो। मगर ये जरूर है कि आप इस बारे में सोचें। तो आज हम इसी बात पर कुछ चर्चा करेंगे।

आलोचना का सामना करते समय अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय

"controlling your emotions and responding constructively when facing criticism"

आलोचना का सामना करते समय अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और रचनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक हो सकते हैं:

ध्यान से सुनें : मुश्किल है परंतु जरूरी भी है। आपको आलोचना को ध्यान से और शांतिपूर्वक सुनना होगा। आलोचक को बोलने दें उसे बीच में टोके बिना समझने की कोशिश करें कि आलोचक क्या कह रहा है।

समझने का प्रयास करें: आलोचना के पीछे के कारणों को समझने का प्रयास करें। हो सकता है आपको आलोचना से आपके काम के लिए कुछ और जानकारी मिल जाए जिससे आप अपने काम और बेहतर तरीके से कर सकें। तो आप यह जानने की कोशिश करें कि क्या यह वास्तव में आपके काम के लिए सुधार का नया मौका भी हो सकता है।

अपनी संवेदनाओं को नियंत्रित रखें: जब कोई आलोचक आपकी आलोचना करता हूं उस समय आप बिलकुल अनियंत्रित हो सकते है मगर आपको खुद को संभलना होगा। इसके लिए आप गहरी सांस ले, यह आपके दिमाग को शांत करने में मदद करेगा।

धैर्य बनाए रखें: धैर्य आपको आलोचना सुनते समय आपको नियंत्रित कर सकता है। अपना धैर्य न खोने न दें। हो सकता है आप अनियंत्रित हो जाए और आप जल्द बाजी के कुछ गलत कर बैठें। इसलिए धैर्य बनाए रखें।

निष्पक्षता के साथ सोचें: आप बिना किसी आलोचना के आपके काम की वास्तविकता देखने की कोशिश करें। क्या आलोचना में कुछ है जिसे आप बदल सकते हैं या सुधार सकते हैं?

कुछ समय के लिए ब्रेक लें: आपको लगता है की आप खुद पर नियंत्रित नही कर पा रहे हैं तो आपको कुछ समय के लिएयदि आवश्यक हो तो कुछ समय के लिए विराम लें। यह आपको अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और सही प्रतिक्रिया देने के लिए समय देगा।

स्वयं आत्मविश्लेषण करें: थोड़ा सा धैर्य रखकर अपने मन में सोचें और अपने अंदर झांकें और अपनी प्रतिक्रिया को तटस्थ रूप से देखें। सोचें कि आलोचक के शब्दों में कितनी सच्चाई है। आलोचना के बिंदुओं पर आत्ममूल्यांकन करें।

सकारात्मक सोच बनाए रखें : आप अपना स्वभाव बनाए रखें आलोचना को बातों को व्यक्तिगत लें। इसे अपने विकास का एक हिस्सा बना लें। ये हो जीवन है। बल्कि आप ये सोच लें कि आलोचक ने आपको अपने कार्य और व्यवहार को सुधारने का एक अवसर दिया है।

शांत और संयमित रहें: आलोचना का जवाब देते समय शांत और संयमित रहें। अपनी आवाज का स्वर नियंत्रित रखें। ऊंची आज में न बोलें, आलोचक को ये न लगे कि आप इस पर भड़क रहे हैं। उसकी आलोचना आपके काम पर असर न डालें आप अपने काम को और भरोसे अथवा लगन से करें।

स्पष्ट सवाल पूछें: आपको लगता है को आलोचक गलत है अथवा अपने काम में और सुधार होना चाहिए तो इसके लिए आलोचक से स्पष्ट और समझने वाले सवाल पूछें। इससे यह पता चलेगा कि आप वास्तव में आलोचक भी आपके काम के प्रति सुधार के लिए प्रयासरत हैं।

मित्रों और परिवार से बात करें: आलोचना से यदि आपको परेशानी हो रही है, तो अपने करीबी सहयोगी, मित्रों और परिवार से बात करें। उनसे बात करके आपके मन में सकारात्मकता आयेगी, आपके मित्र आपको समर्थन और प्रोत्साहन दे सकते हैं।

इन तरीकों को अपनाकर आप आलोचना का सामना करते समय अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और रचनात्मक रूप से प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यह न केवल आपके व्यक्तिगत विकास में सहायक होगा बल्कि आपके पेशेवर जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।

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