नींद निश्चित रूप से हमारे शरीर और मन के लिए आवश्यक है, रात को जब हम सोते हैं तो हमको सुबह नींद से जागना होता है। सामान्यता सभी का जागने का समय एक ही होता है या यूं कहें कि सोने का कुल समय लगभग सात से आठ घंटे होता है।
हमारे शरीर में एक जैविक घड़ी होती है जो हमारे सोने और जागने का समय निश्चित करती हैं ये घड़ी ही हमें सोते से जागती है और फिर सोने के समय नींद की जरूरत पैदा करती है। इसे हम जैविक घड़ी कहते हैं।
नींद से जागने की प्रक्रिया के पीछे क्या कारण है?
मस्तिष्क को नींद से जगाने का संकेत के कई कारक नियंत्रित करते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
सर्केडियन रिदम :
इसे हम बायोलॉजिकल क्लॉक भी कहते हैं। ये सभी जानते हैं कि हमारा शरीर एक आंतरिक बायोलॉजिकल क्लॉक के अनुसार चलता है, जिसे सर्केडियन रिदम कहते हैं। यह 24 घंटे के चक्र के हिसाब से शरीर को जागने और सोने के संकेत देता है। इस घड़ी का अंतराल २४ घंटे का होता है। इसमें सूर्य का प्रकाश भी बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है।
नींद चक्र क्या हैं, नींद कितने चक्र में होती है
नींद विभिन्न चक्रों में होती है, जिसमें REM (रैपिड आई मूवमेंट) और NREM (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट) शामिल हैं। सुबह के समय, नींद के चक्र हल्के हो जाते हैं, जिससे जागना आसान हो जाता है।
जैविक घड़ी द्वारा जागने के लिए संकेत:
जैविक घड़ी नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करती है, जैविक घड़ी के अलावा और भी संकेत हैं को हमें नींद से जागते हैं जैसे :
प्रकाश: आंखों में स्थित विशेष फोटोरिसेप्टर (जैसे रेटिना के गैंग्लियन सेल्स) प्रकाश की उपस्थिति को महसूस करते हैं और मस्तिष्क को जागने का संकेत भेजते हैं।
आंतरिक जरूरतें : शरीर को अपनी आवश्कता होती है जैसे भूख, प्यास, या अन्य शारीरिक जरूरतें भी शरीर को जागने का कारण हो सकती हैं।
शोरगुल और अन्य आवाजें : बाहरी ध्वनियाँ, जैसे अलार्म की घंटी, पक्षियों की चहचहाहट, या घर के अन्य सदस्यों की गतिविधियाँ भी मस्तिष्क को जागने के संकेत देती हैं।
नींद के दौरान, हमारा शरीर विश्राम मोड में चलता है, जिसे प्रोग्रामेड विश्राम वेरियंट कहा जाता है। इस दौरान हमारा मस्तिष्क शारीरिक संरचना खामी को ठीक करता है, ऊर्जा को उपयोग किया जाता है, और गुणवत्तापूर्ण नींद से शरीर और मस्तिष्क को बहाल किया जाता है। आपके मस्तिष्क विश्राम में भी नहीं है: यह दिनभर की यादें और अनुभवों को प्रोसेस करता है, जैसा कि आपका REM नींद (विशेष रपटने वाली नींद) मध्यम है।
ये सभी कारक मिलकर हमारे शरीर को नींद से जागने का संकेत देते हैं और हमें दिन की शुरुआत के लिए तैयार करते हैं।
हमें किस उम्र में कितनी नींद लेना चाहिए
नींद की आवश्यकताएं उम्र के अनुसार बदलती हैं। विभिन्न उम्र के लोगों के लिए अनुशंसित नींद की अवधि निम्नलिखित है:
- 0-3 महीने : 14-15 घंटे प्रति दिन
- 4-11 महीने: 12-15 घंटे प्रति दिन
- 1-2 वर्ष के शिशु : 11-14 घंटे प्रति दिन
- 3-5 वर्ष के छोटे बच्चे : 10-13 घंटे प्रति दिन
- 6-13 वर्ष के बच्चे : 9-11 घंटे प्रति दिन
- 14-17 वर्ष के किशोर : 8-10 घंटे प्रति दिन
- 18-25 वर्ष के युवा : 7-9 घंटे प्रति दिन
- 26-64 वर्ष के वरिष्ठ नागरिक : 7-9 घंटे प्रति दिन
- 65 वर्ष और उससे अधिक: 7-8 घंटे प्रति दिन
व्यक्तिगत नींद की आवश्यकताएं व्यक्ति की जीवनशैली, स्वास्थ्य स्थिति, और व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। अच्छी नींद स्वस्थ जीवनशैली के लिए महत्वपूर्ण है और शरीर के उचित कार्यों, मानसिक स्वास्थ्य, और समग्र कल्याण को बनाए रखने में सहायता करती है।
ग्रह नक्षत्र और नींद का क्या संबंध है
ग्रह नक्षत्र और नींद का संबंध ज्योतिष और ज्योतिषीय परंपराओं में महत्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न ग्रह और नक्षत्रों का मानव जीवन पर प्रभाव माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु दिए जा रहे हैं:
चंद्रमा : ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा का मानव मन और भावनाओं पर गहरा प्रभाव होता है। चंद्रमा की स्थिति और इसके परिवर्तन नींद के पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
राहु और केतु : राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है, इन ग्रहों की अशुभ स्थिति से अनिद्रा और नींद संबंधी विकार हो सकते हैं।
शनि ग्रह : शनि का संबंध तनाव और चिंता से है। शनि की प्रतिकूल स्थिति होने पर व्यक्ति अत्यधिक चिंता में रहता है, जिससे नींद में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
नींद पर ग्रहों का प्रभाव व्यक्तिगत विश्वास और मान्यताओं पर निर्भर करता है। मगर किसी के विश्वास करने से कोई फर्क नहीं पड़ता जो नियम नेचर ने बना रखे हैं इसको कोई नही बदल सकता। फिर भी आपको नींद में कोई समस्या हो रही है, तो इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन और उपचार करवा सकते हैं।
नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
नियमित समय पर सोना और उठना:
अच्छी नींद के लिए हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें, यहां तक कि सप्ताहांत पर भी।
सुखद और आरामदायक वातावरण बनाएं:
बेहतर नींद के लिए सोने का कमरा ठंडा, अंधेरा और शांत रखें। एक अच्छा गद्दा और तकिया भी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
सोने से पहले मोबाइल और टीवी से दूरी बनाएं:
आप चाहते हैं की आप गहरी और भरपूर नींद ले सके तो इसके लिए आपको सोने से कम से कम एक घंटे पहले टीवी, कंप्यूटर और स्मार्टफोन जैसे उपकरणों का उपयोग बंद करना पड़ेगा।
कैफीन और अल्कोहल से बचें:
सोने से कुछ घंटे पहले कॉफी और चाय अथवा अल्कोहल का सेवन न करें, क्योंकि ये आपकी नींद को प्रभावित कर सकते हैं।
शारीरिक गतिविधि:
नियमित व्यायाम करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, लेकिन सोने के समय के करीब व्यायाम करने से बचें।
आरामदायक रूटीन:
सोने से पहले कुछ आरामदायक गतिविधियाँ करें, जैसे कि किताब पढ़ना, गर्म पानी से नहाना, या योग करना।
खाने के समय का ध्यान रखें:
सोने से पहले भारी भोजन से बचें। हल्का नाश्ता लेना सही हो सकता है।
इन आदतों को अपनाकर आप अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और ताजगी भरा दिन शुरू कर सकते हैं।
नींद के दौरान हमारे शरीर में क्या होता है?
जब इंसान सोता है, तो उसके शरीर में कई महत्वपूर्ण जैविक क्रियाएँ चलती हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। इनमें शामिल हैं:
नींद के दौरान होने वाली मस्तिष्क की गतिविधि :
सपने देखना : हम जब सोते हैं तो हम सूक्ष्म शरीर द्वारा सपने देखते हैं जो विज्ञान की भाषा में कहते हैं कि हम मुख्यतः REM चरण में सपने देखते हैं। मस्तिष्क की स्वाभाविक न्यूरोलॉजिकल क्रियाएं भी सपनों का कारण हो सकती हैं। न्यूरोनल गतिविधि और न्यूरोट्रांसमीटर की भूमिका से सपने उत्पन्न होते हैं।
नींद के दौरान स्मृति का संग्रहित करना : जब हम गहरी नींद में होते हैं तो मस्तिष्क दिन भर में हमारे द्वारा होने वाली क्रियाओं और अनुभवों को प्रोसेस करके दीर्घकालिक स्मृति में संग्रहित करता है। नींद के दौरान दिमाग द्वारा शारीरिक मरम्मत और विकासगहरी नींद के दौरान शरीर में प्रोटीन का संश्लेषण बढ़ जाता है, जो ऊतकों की मरम्मत और विकास के लिए आवश्यक है। जिससे हमारा शरीर फिर से तरोताजा और काम करने लायक हो जाए। इस दौरान विशेषकर गहरी नींद में, ग्रोथ हॉर्मोन का स्राव बढ़ जाता है, जो विकास और मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है।
गहरी नींद में मेटाबॉलिज्म: सामान्य नींद के दौरान चयापचय दर लगभग 15% कम हो जाती है। नींद के दौरान शरीर की ऊर्जा बहाल होती है, और मेटाबॉलिज्म प्रक्रियाएं संचालित होती हैं। कम नींद लेने से मोटापा, मधुमेह या अन्य चयापचय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
नींद के दौरान इम्यून सिस्टम की गतिविधि : जब हम सो रहे होते है और नींद में होते हैं तो इस दौरान इम्यून सिस्टम सक्रिय रहता है जो संक्रमणों से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करता है।
नींद में तनाव हार्मोन का नियंत्रण होना : नींद के दौरान तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल का स्तर नियंत्रित होता है, जो शरीर को शांत रखने में मदद करता है।इन सभी क्रियाओं का समन्वय हमारे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नींद की कमी इन प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
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