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आमतौर पर घरों में पी जाने वाली कॉफी कौनसी होती है? अरेबिका और रोबस्टा काफी में क्या अंतर है ?

भारत में कॉफी संस्कृति अपेक्षाकृत नई चीज है। यह लगातार परिपक्व और विकसित हो रही है। ज़्यादातर घरों में लोग दो कंटेनर के साथ एक पारंपरिक कॉफ़ी फ़िल्टर का इस्तेमाल करते हैं, एक में पिसी हुई कॉफ़ी डाली जाती है और दूसरे में उबली हुई कॉफ़ी का सार इकट्ठा किया जाता है। कॉफ़ी परोसने का पारंपरिक तरीका डबरा सेट है। डबरा सेट एक छोटे कंटेनर के साथ एक छोटे गिलास से बना होता है।

Which type of coffee is famous in India

आमतौर पर घरों में पी जाने वाली कॉफी के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो उनकी तैयारी के तरीके और फ्लेवर प्रोफाइल पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख प्रकार की कॉफी दी गई है जो अक्सर घरों में पी जाती है:

आमतौर पर घरों में पी जाने वाली कॉफी

इंस्टेंट कॉफ़ी :

इंस्टेंट कॉफी सबसे आम प्रकार की घरों में पी जाने वाली कॉफी है। ये तुरंत बनाने में आसान इसलिए इसका नाम इंस्टेंट कॉफ़ी रखा गया है। इसे गर्म पानी में मिलाकर तुरंत पीया जा सकता है। इसे बनाने के लिए कॉफी बीन्स को पहले ब्रू किया जाता है और फिर सूखाकर पाउडर या ग्रेन्यूल्स में बदल दिया जाता है।

फिल्टर कॉफी :

दक्षिण भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय, फिल्टर कॉफी को कॉफी पाउडर और गरम पानी से बनाया जाता है। इसे स्टील के फिल्टर का उपयोग करके तैयार किया जाता है और आमतौर पर दूध और चीनी मिलाकर पीया जाता है।

एरोप्रेस कॉफी :

एरोप्रेस का उपयोग करके बनाई गई कॉफी जल्दी और आसानी से तैयार की जा सकती है। यह एक पोर्टेबल कॉफी मेकर है जो कॉफी ग्राउंड्स और गरम पानी को मिलाकर प्लंजिंग एक्शन के माध्यम से पी जाती है।

कैपुचिनो: इसमें एस्प्रेसो, गर्म दूध और दूध का फेन (फोम) मिलाया जाता है।

कैपुचिनो के प्रकार :

  • वेट कैपुचीनो: इसे कैपुचीनो चियारो या लाइट कैपुचीनो भी कहा जाता है, वेट कैपुचीनो में पारंपरिक कैपुचीनो की तुलना में ज़्यादा स्टीम्ड मिल्क और कम मिल्क फोम होता है।
  • ड्राई कैपुचीनो: इसे कैपुचीनो स्कर्रो या डार्क कैपुचीनो भी कहा जाता है, ड्राई कैपुचीनो को गीले कैपुचीनो की तुलना में ज़्यादा दूध के झाग और कम स्टीम्ड दूध से बनाया जाता है।
  • आइस्ड कैपुचीनो: हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुए आइस्ड कैपुचीनो को स्टीम्ड दूध के बजाय ठंडे दूध से बनाया जाता है और इसमें बर्फ डाली जाती है। पारंपरिक कैपुचीनो के झाग की नकल करने के लिए ऊपर से ठंडे दूध का झाग डाला जाता है।

ड्रिप कॉफी :

ड्रिप कॉफी मेकर का उपयोग करके तैयार की जाती है, जहाँ गरम पानी धीरे-धीरे कॉफी ग्राउंड्स के ऊपर डाला जाता है और फिल्टर के माध्यम से ड्रिप होकर कॉफी पॉट में इकट्ठा होता है।

कोल्ड ब्रू कॉफी :

कोल्ड ब्रू कॉफी को ठंडे पानी और कॉफी ग्राउंड्स को मिलाकर कई घंटों (आमतौर पर 12-24 घंटे) तक रखा जाता है। यह कम एसिडिक और स्मूथ फ्लेवर की होती है और इसे आइस के साथ परोसा जा सकता है।

इन सभी तरह की काफी को बनाने का तरीका अलग होता है, जिससे आपको विभिन्न फ्लेवर और अनुभव प्राप्त होते हैं।

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अरेबिका और रोबस्टा काफी में क्या अंतर है ?

अरेबिका और रोबस्टा कॉफी में अंतर भारतीय कॉफी को मुख्य रूप से दो प्रकार में विभाजित किया जा सकता है: अरेबिका और रोबस्टा।

अरेबिका और रोबस्टा कॉफी में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। यहाँ उनके प्रमुख अंतर दिए गए हैं:

अरेबिका कॉफी को उगाने की प्रक्रिया :

इसका पेड़ ऊंचाई पर (600-2000 मीटर) उगाया जाता है और इसे ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। इसे छायादार स्थानों में लगाया जाता है ताकि सूर्य की सीधी किरणों से बचाया जा सके। पौधों को नियमित रूप से पानी देना और मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है।

इसे कीटों से बचाने के लिए नियमित निरीक्षण और जैविक या रासायनिक उपाय अपनाए जाते हैं। जब वे पूरी तरह से पक जाती हैं तो अरेबिका कॉफी चेरी को हाथ से तोड़ा जाता है। चेरी को धूप में सुखाया जाता है और फिर बीन्स को मशीन के माध्यम से गूदे से अलग किया जाता है।

सुखाई हुई बीन्स को विभिन्न तापमानों पर रोस्ट किया जाता है ताकि वांछित स्वाद और सुगंध प्राप्त की जा सके।अरेबिका बीन्स आकार में बड़े और फ्लैट होते हैं। यह कीटों और बीमारियों के प्रति संवेदनशील होती है, इसलिए इसे उगाने में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।

अरेबिका का स्वाद माइल्ड, स्वीट और कॉम्प्लेक्स होता है। इसमें फ्लोरल, फलों और बेरीज के हल्के नोट्स होते हैं अरेबिका काफी में एसिडिटी अधिक होती है, जिससे इसका स्वाद ताजगी भरा और चमकीला होता है। अरेबिका में कैफीन की मात्रा भी कम होती है।

रोबस्टा कॉफी उगाने की प्रक्रिया :

इसका पेड़ निचली ऊंचाई पर (0-600 मीटर) उगाया जाता है और यह अधिक गर्मी सहन कर सकता है। रोबस्टा बीन्स आकार में छोटे और गोल होते हैं। यह कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है, इसलिए इसे उगाना आसान होता है।

रोबस्टा कॉफी चेरी को हाथ या मशीन से तोड़ा जाता है। चेरी को पानी में डालकर, फलों के गूदे को अलग किया जाता है। फिर बीन्स को किण्वन टैंक में रखा जाता है ताकि बचा हुआ गूदा अलग हो सके। इसके बाद बीन्स को सुखाया जाता है। सुखाई हुई बीन्स को विभिन्न तापमानों पर रोस्ट किया जाता है ताकि वांछित स्वाद और सुगंध प्राप्त की जा सके।

रोबस्टा का स्वाद स्ट्रॉंग, कड़वा और हार्श होता है, इसमें चॉकलेटी और नट्टी नोट्स हो सकते हैं। इसमें एसिडिटी कम होती है, जिससे इसका स्वाद अधिक कठोर होता है एवं इसमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है (2.7% के करीब)।

ये अंतर अरेबिका और रोबस्टा कॉफी के स्वाद, गुणवत्ता, और उत्पादन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

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