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Hindenburg Research के आरोपों से डरे नहीं निवेशक, BJP और Congress आमने सामने

Hindenburg Research द्वारा लगाए गए आरोपों के बावजूद, निवेशक घबराए नहीं हैं। कई मामलों में, कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है, लेकिन कुछ समय बाद उनमें सुधार देखा गया है। निवेशक अपने निवेश के निर्णय लेते समय दीर्घकालिक दृष्टिकोण और ठोस वित्तीय प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

कई कंपनियों ने हिन्डेनबर्ग के आरोपों का खंडन किया है और निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए कदम उठाए हैं। कुछ मामलों में, कंपनियों ने स्वतंत्र ऑडिट करवाए हैं या कानूनी कार्रवाइयों की पहल की है। निवेशक अक्सर इन कदमों को सकारात्मक संकेत मानते हैं और इससे उनके विश्वास में वृद्धि होती है।
कुल मिलाकर, हिन्डेनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बावजूद, निवेशक अपनी निवेश रणनीतियों में बड़े बदलाव नहीं कर रहे हैं और बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सक्षम हैं।

Hindenburg Research ने अडानी और सेबी पर क्या आरोप लगाए

Hindenburg Research ने आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अपने शेयरों की कीमतों में हेरफेर की और अपने वित्तीय ब्योरे में गड़बड़ी की। Hindenburg Research ने इन आरोपों के माध्यम से स्वयं भी लाभ कमाया, क्योंकि उन्होंने अडानी समूह के शेयरों के गिरने पर दांव लगाया था।

Hindenburg Research ने अडानी समूह पर जो आरोप लगाए, वे मुख्य रूप से वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी से संबंधित थे। सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अडानी समूह के खिलाफ सही समय पर कार्रवाई नहीं की।

Hindenburg Research ख़ुद एक शॉर्ट सेलर है और इस शॉर्ट-सेलिंग की इस प्रक्रिया में, वे कंपनी के शेयरों को ऊँचे दाम पर बेचते हैं और फिर गिरती कीमतों पर उन्हें वापस खरीदते हैं, जिससे उन्हें मुनाफा होता है। Hindenburg ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर विस्तृत आरोप लगाए थे, जिसके परिणामस्वरूप अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी और Hindenburg ने इसका लाभ उठाया।

निवशकों ने मानी SEBI की सलाह

Hindenburg Research के आरोपों के बाबजूद अडानी के शेयरों में कोई भी गिरावट नही आई बल्कि शेयर तेजी से ऊपर की और बड़े। आरोपों के जबाव में सेबी ने निवेशकों को सलाह दी थी की निवेशक धैर्य रखें कोई फैसला जल्दबाजी न लें। और निवेशकों में सेबी कि इस सलाह को माना। जिससे आदमी के शेयरों के साथ साथ मार्केट में भी गिरावट का माहौल नहीं था। इससे Hindenburg Research की दूसरी रिपोर्ट भी बेकार गई।

Hindenburg Research के मामले में BJP और Congress आमने सामने

Hindenburg Research की दूसरे आरोप आने के बाद राजनीतिक महैल गरमा गया और बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ खड़ी हो गई। बीजेपी ने Hindenburg Research के सभी आरोपों को निराधार बताया तो कांग्रेस ने जेपीसी जांच की मांग करने लगी। हालांकि बीजेपी ने कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया।

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