पेरेंटिंग

बच्चे के व्यवहार को नियंत्रित करने की कोशिश में माता-पिता द्वारा की जाने वाली आम गलतियाँ

हर मां बाप सोचते हैं कि उनका बच्चा दुनिया का सबसे अच्छा बच्चा है या अच्छा बनेगा और अपने बच्चे के बिगड़ने के पीछे का कारण उसके फ्रेंड सर्कल को मानते हैं। और इसका नतीजा ये होता है कि पेरेंट्स अपने बच्चे को उसके फ्रेंड से दूर करने की कोशिश करते हैं जबकि बच्चा अपने ही मां बाप से दूर होते चले जाते हैं।

सबसे पहले हम संक्षेप में समझते हैं कि वो कौन से कारक हैं जिनसे बच्चे मां बाप से दूर होते चले जाए हैं :

  • बहुत सख्त अनुशासन से बच्चे में भय पैदा हो सकता है।
  • बच्चे की गलतियों पर उसे सार्वजनिक रूप से डांटना या अपमानित करना, उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकता है।
  • बच्चे की हर छोटी-बड़ी गलती पर आलोचना करना उसे हतोत्साहित कर सकता है।
  • बच्चे के अच्छे व्यवहार की तारीफ न करना।
  • बच्चे से उसकी उम्र और क्षमताओं से परे अपेक्षाएँ रखना।
  • माता-पिता का गुस्से में आकर तुरंत सजा देना

माता पिता अपने बच्चे के बुरे व्यवहार के लिए उसके दोस्त को ही कारण मानते हैं

बच्चे के व्यवहार को नियंत्रित करने की कोशिश में माता-पिता अक्सर अनजाने में कुछ सामान्य गलतियाँ कर बैठते हैं, जो बच्चे के विकास और उनके व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं।

माता-पिता के लिए अपने बच्चे के खराब व्यवहार के लिए किसी ऐसे दोस्त को जिम्मेदार ठहराना आसान है, बच्चे अक्सर अपने फ्रेंड्स सर्कल जाने से परेशानी में पड़ जाते हैं, क्योंकि उनके फ्रेंड्स को इसका कारण माना जा रहा है। और होता भी यही है कि कोई न कोई उसका ही मित्र होता है जो इसका दोष लेता है। और किसी और के बच्चे की आलोचना करने से माता-पिता को यह विश्वास करने का मौका मिलता है कि उनका अपना बच्चा मूल रूप से ” बहुत अच्छा” है और यदि उसके मित्र उनके बच्चे पर प्रभाव न होता तो वे गलत व्यवहार नहीं करते।

बच्चे के पेरेंट्स आमतौर पर किसी मित्र को बुरा प्रभाव डालने वाला बताने के बाद उसके साथ घूमने फिरने पर प्रतिबंध लगा देते हैं, मगर पेरेंट्स ये नही जानते कि उनका ये कदम बच्चे के साथ साथ उनके लिए भी उल्टा पड़ सकता है।

माता पिता के लिए क्यों आसान होता है बच्चे के किसी भी साथी पर दोष लगाना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है उसका मिडिल स्कूल में प्रवेश होता है वैसे वैसे बच्चा अपने साथियों की राय को अधिक महत्व देने लगता है, क्योंकि वे अपने मित्रो के बीच में अपना स्थान बनाना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि उनके मित्रों में उनका विशेष स्थान हो विशेष पूछताछ हो।

क्या मां बाप सही हैं जब वो अपने बच्चे पर प्रतिबंध लगाते हैं

आपने देखा होगा कि अधिकतर घटनाएं या वाहन दुर्घटना होती हैं तो उनमें एक से ज्यादा बच्चे शामिल होते हैं। जबकि किशोरों द्वारा अकेले या अपने माता-पिता के साथ होते हैं तो किसी भी गलत घटना के होने के चांसेज कम हो जाते हैं। और इसका उल्टा जब वो ही बच्चा अपने साथियों के साथ रहने पर कुछ “गलत” करने की अधिक संभावना को बड़ा देता हैं।

क्या माता पिता द्वारा अपने बच्चे के साथियों को बच्चे से दूर करने से बच्चे के व्यवहार में सुधार आता है?

अधिकतर देखा गया है कि जिन बच्चों की माताओं ने उनके दोस्त को नापसंद किया, उन बच्चों के व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि उनका व्यवहार और भी खराब हो गया। माताओं की अस्वीकृति ने उसी समस्या को और बढ़ा दिया जिसे वे ठीक करना चाहती थीं।

बच्चे के अच्छे व्यवहार के लिए बच्चों के कई साथी मित्र होना सही होता है

एक शोध से पता चलता है कि जिस बच्चे के ज्यादा मित्र होते हैं उसके व्यवहार में बुराई आने की आशंका कम होती है। क्योंकि जितने साथी मित्र होंगे उतनी ही विचारधारा उससे जुड़ी होंगी। यदि बच्चे के एक दो ही मित्र होंगे और उनको भी वो अपने माता पिता के कारण खो दे तो उस बच्चे को लगेगा कि उसने अपनी सामाजिक स्थिति को को दिया। जिससे वो तनाव में आ सकता है। क्योंकि जब कोई बच्चा किसी दोस्त को खो देता है, जिसका अर्थ यह भी है कि उसके लिए नए दोस्त बनाना अधिक कठिन होगा।

Parenting tips : बच्चे के अच्छे व्यवहार के लिए माता-पिता को क्या करना चाहिए?

मिडिल क्लास स्कूल लाइफ के बच्चा का समय वो समय होता है जब उनके लिए अपने हम उम्र के साथी उसके माता-पिता की तुलना में बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं, और कोई मां बाप खुद को ऐसी स्थिति में नहीं रखना चाहते जहां उन्हें चुनना पड़े – क्योंकि वो जीतने वाले नहीं हैं।

  • माता पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चे के मित्रों को जानने और समझने का प्रयास करें। उनसे खुल कर बातचीत करें और उनके परिवारों के बारे में जानें ताकि यह समझ सकें कि वे किस तरह का प्रभाव बच्चे पर डाल रहे हैं।
  • यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे के किसी मित्र का व्यवहार या आदतें बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं, तो उस बारे में बच्चे से खुलकर बात करें। लेकिन सीधे-सीधे मित्रता पर रोक लगाने से बचें।
  • माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को महसूस कराएं कि वो अपने बच्चों के लिए एक पेरेंट्स ही नही बल्कि उनके मित्र भी हैं।
  • अपने बच्चे से खुल कर बात करें जैसे कि ये जानने की कोशिश करें कि उनके बच्चे की पसंद क्या है और वे किसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं और उस आकर्षित रिश्ते से उन्हें क्या मिल रहा है, यह समझने की कोशिश करें।
  • उन पर अपनी सोच जबरदस्ती न थोपे। अपने बच्चों की बात मानते हुए अपनी बात को अपने बच्चे के सामने रखें और उन्हें ये विश्वास दिलाएं कि हम जो भी करने वाले हैं या कर रहे हैं वो उसकी भलाई के लिए हैं उसके उज्जवल भविष्य के लिए है।
  • आप बच्चे पर अहसान मत जताओ क्योंकि आपने देखा होगा कि उनके मित्र उनसे जबरदस्ती कोई भी सीमाएं नही बांधते उसी तरह आपको अपने बच्चे के लिए कोई सीमा या बाउंडेज न रखें। बल्कि बड़े ही प्यार से उनको ये विश्वास दिलाएं कि आप ये इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मुझे आपकी परवाह है।

बच्चे की सोच को समझें और उसकी मदद करें

माता-पिता जितना ज़्यादा किशोर के नज़रिए को समझ पाएँगे, उतनी ही ज़्यादा संभावना है कि वे उसकी मदद कर पाएँगे। आपका ध्यान व्यवहार पर होना चाहिए, न कि बच्चे के अपने मित्र के साथ रिश्ते पर। आपको अपने बच्चे किसी भी काम न रोकें बल्कि उसके सामने ऐसे रास्ते तैयार करें कि वो खुद आपकी तरफ आएं और वो भी अपनी मर्जी और प्यार से।

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