धर्म

शरद पूर्णिमा कैसे मनाएं, शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?

शरद पूर्णिमा का महत्व और तिथि

प्रत्येक पूर्णिमा तिथि अपने आप में अलग महत्व रखती है। हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को जो है यहां पर शरद पूर्णिमा मनाई जाती है, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। जिसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ या ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।

शरद पूर्णिमा तिथि : पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।

इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और चन्द्रमा की रोशनी सभी दिशाओं में फैली हुई होती है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के पूजन और खीर के रूप में चन्द्रमा के अमृत का पान करने से शरीर निरोगी होता है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः काल स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्त होती है।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व क्या है

शरद पूनम को चन्द्रमा से मानो अमृत टपकता है, जीवनीशक्ति के पोषक अंश टपकते हैं । रात्रि 12 बजे तक चन्द्रमा की पुष्टिदायक किरणें अधिक पड़ती हैं । अतः इस दिन चावल की खीर अथवा दूध में पोहे, मिश्री, थोड़ी इलायची व काली मिर्च आदि मिलाकर चन्द्रमा की चाँदनी में रख के 12 बजे के बाद खाना चाहिए ।

भगवान का आध्यात्मिक तेज चन्द्रमा के द्वारा आज के दिन अधिक बरसा है और वे ही भगवान हमारे तन-मन-मति को पुष्ट रखें ताकि हम गलत जगहों से बचने में सफल हों, रोग-बीमारियों से बच जायें और हमारी रोगप्रतिकारक शक्ति के साथ विकार-प्रतिकारक शक्ति का भी विकास हो ।’ – ऐसा चिंतन करके जो खीर या दूध-पोहा खाता है, वर्षभर उसका तन-मन तंदुरुस्त रहता है ।

आयुर्वेद के अनुसार शरद ऋतु का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, शरद ऋतु में शरीर की गर्मी को संतुलित करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए यह खीर अत्यंत लाभकारी होती है। मान्यता है कि इस खीर का सेवन स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ सुख-समृद्धि भी प्रदान करता है। इसलिए लोग इस दिन खीर बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

भक्त अपने लाला श्रीकृष्ण के साथ कैसे मनाएं शरद पूर्णिमा

शरद पुर्णमा के दिन ठाकुर जी को सफेद (श्वेत) वस्त्र पहनाने चाहिए, सफेद ही माला पहनाओ, सफेद ही मुकुट पहनाओ, सफेद ही पाग पहनाओ, स्वेत व्यंजन बनाओ घर में, खीर बनाओ, अब पकोड़ी आदी वो तो वैसी रहेंगे, पर जितना हो सके। सफेद पुष्पों से पूरे ठाकुर जी के मंदिर को सजाओ। ठाकुर जी के निवास कुंज को सजाओ और छोटी छोटी सखियों के अगर स्वरूप मिल जाएं तो उनको आप ठाकुर जी के चारों ओर लगाओ सामने सुन्दर पात्र में जल भर दो जल भर के उसमें कमल पुष्प आदी इन सब को पदरा दो।

शरद पूर्णिमा पर श्याम सुन्दर को गोपी गीत सुनाओ

जिस कक्ष में ठाकुर जी विराज उसकी लाइटें बहुत कम कर दो बहुत थोड़ी थोड़ी लाइटें जलाओ केवल श्याम सुन्दर प्रत्यक्ष दिखें ऐसी हो और फिर सम्मुख बैठ कर के गोपी गीत का पाठ करो। ठाकुर जी को गोपी गीत का पाठ सुनाओ और गोपी गीत पाठ करने के बाद में आप भी सजधज के बैठो, पति पत्नी बच्चे सब बिलकुल तैयार हो करके और फिर उसके बाद में ठाकुर जी का कोई कीर्तन या भजन गाओ।

सब लोग ऐसा भाव करो कि शरद पूर्णिमा के दिन जैसे ठाकूर जी ने रास किया था वैसा ही भाव रखो। ठाकुर जी के उस दिन पूरे कक्ष को फिर एकांतिक ठाकुर जी का बना दो, उसमें ऐसी ऐसी व्यवस्थाएं कर दो, प्रसाद रखो, जल रखो, सुन्दर सखियों को विराजमान कर दो, ठाकुर जी से निवेदन करो लाल जी, अब रास करो, हम सब प्रस्थान करने दो ठाकुर जी रात बर रास करेंगे या फिर एक और दो घंटे के लिए आप सब ठाकुर जी को एकांत छोड़ दो। ठाकुर जी रास विहार कर लें उसके बाद उनको शयन करा दो। इस प्रकार शरद पुर्णमा का उत्सव मनाना है ।

श्याम सुन्दर प्रत्यक्ष दिखें ऐसी हो और फिर सम्मुख बैठ कर के गोपी गीत का पाठ करो। ठाकुर जी को गोपी गीत का पाठ सुनाओ और गोपी गीत पाठ करने के बाद में आप भी सजधज के बैठो,

शरद पूर्णिमा के दिन व्रत पूजा कैसे रखे

  • लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं वो शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें।
  • रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को इस खीर का भोग लगाएं।
  • खीर अमृत से युक्त होती है। इसलिए इसे घर के सभी लोगों को खाना चाहिए और प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करना चाहिए।

शरद पूर्णिमा पर पांच खास तरह के उपाय

मान्यता है कि यदि इस दिन आपने पांच खास तरह के उपाय कर लिए तो आपके भाग्य खुल जाएंगे आइए जानते हैं क्या है वे ज्योतिष उपाय

  • चंद्र दोष होता है दूर शरद पूर्णिमा के दिन छत पर गैलरी पर चंद्रमा के प्रकाश में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है इस दूध का सेवन करने से जहां चंद्र दोष दूर हो जाता है। वहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है।
  • यदि कुंडली में चंद्र ग्रहण है तो यह दिन उसे हटाने का सबसे अच्छा दिन है इस दिन चंद्रमा से संबंधित चीजें दान करना चाहिए या इस दिन खुलकर लोगों को दूध बांटना चाहिए।
  • छह नारियल अपने ऊपर से वार कर किसी बहती नदी में प्रभावित कर देना चाहिए।
  • लक्ष्मी प्राप्ति हेतु शास्त्र में कहा गया है कि हर पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है अतः आप सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें।
  • सफल दांपत्य जीवन के लिए पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी दोनों को ही चंद्रमा को दूध का आर्ग अवश्य ही देना चाहिए ऐसे दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
  • सुख समृद्धि हेतु किसी भी विष्णु लक्ष्मी मंदिर में जाकर इत्र और सुगंधित अगरबत्ती अर्पित करनी चाहिए।
  • धन सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करना चाहिए।

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