रिटेल निवेशकों को लॉस से बचाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) को लेकर 1 अक्टूबर को एक नया सर्कुलर जारी किया था। उसने कहा गया था कि सर्कुलर के मुताबिक, इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट का साइज 5-10 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया जाएगा।
सेबी द्वारा लागू नए सर्कुलर में क्या है
- ऑप्शन बायर्स से प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शनः ऑप्शन बायर्स से ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन किया जाएगा। ज्यादातर ब्रोकर्स इस नियम का पालन पहले से कर रहे हैं, लेकिन जो नहीं कर रहे उन्हें भी यह करना होगा। यह नियम 1 फरवरी 2025 से लागू होगा।
- इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाया: सेबी ने इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज को 5-10 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया है। यानी, अब बायर्स को एक लॉट के लिए ज्यादा पैसा देना होगा यह रूल 20 नवंबर 2024 से प्रभावी होगा।
- एक्सपायरी प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित करनाः वीकली इंडेक्स एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित किया गया है। यानी, निफ्टी, बैंक निफ्टी, निफ्टी फाइनेंशियल जैसे इंडेक्सों की एक्सपायरी एक ही दिन होगी। पहले ये हफ्ते में अलग-अलग दिन होती थी।
अब प्रतिदिन नहीं वीकली होगी एक्सपायरी
20 नवंबर से लागू होने वाले नए नियमों के अनुसार, अब प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज को केवल एक इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी (Weekly Expiry) वाले डेरिवेटिव्स की अनुमति होगी. पहले बाजार में रोज एक्सपायरी वाले विकल्प थे, जिनमें निवेशक हर दिन ट्रेडिंग कर सकते थे. इससे एक प्रकार की अस्थिरता की स्थिति बनती थी, लेकिन इसका फायदा उन ट्रेडर्स को होता था, जो बाजार की दिशा को समझ सकते थे और कम पैसे में ट्रेड कर पाते थे।
फरवरी 2025 से प्रवर्तकों को अपनी शेयरहोल्डिंग का खुलासा नए मानकों के तहत करना जरूरी
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने 20 अक्टूबर 2023 को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जो बाजार में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से है।
इस सर्कुलर के अनुसार, फरवरी 2025 से प्रवर्तकों को अपनी शेयरहोल्डिंग का खुलासा नए मानकों के तहत करना होगा इससे पहले भी शेयरहोल्डिंग की जानकारी दी जाती थी, लेकिन अब सेबी ने इसे और पारदर्शी बनाने के लिए नए रूपरेखा तैयार किए हैं। प्रवर्तकों को यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि उनके पास प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कितनी हिस्सेदारी है।
कंपनियों की पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय:
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनियों को अपनी वित्तीय रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाओं का खुलासा अधिक पारदर्शी ढंग से करना होगा। इस कदम का उद्देश्य निवेशकों को सही जानकारी देना और धोखाधड़ी को रोकना है। F&O से संबंधित सभी डाटा की रिपोर्टिंग और उसका प्रकटीकरण पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। इससे बाजार के सभी खिलाड़ियों को सही और स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी और वे अपने फैसले उचित रूप से ले सकेंगे।
कस्टमर शिक्षा और जोखिम प्रकटीकरण:
F&O ट्रेडिंग में शामिल जोखिमों के बारे में ट्रेडर्स को अधिक जानकारी देने के लिए कस्टमर एजुकेशन पर जोर दिया गया है। ब्रोकर्स को अपने ग्राहकों को ट्रेडिंग के जोखिमों के बारे में समय-समय पर सूचित करना अनिवार्य होगा।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) क्या होता है?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक तय अवधि होती है।
इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।
शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है
एक ही ट्रेडिंग डे के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री को इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग को डे-ट्रेडिंग भी कहा जाता है। इसमें एक ही ट्रेडिंग डे के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री होती है। ट्रेडिंग डे के दौरान शेयरों की कीमत लगातार बदलती रहती है। ऐसे में इंट्रा-डे ट्रेडर शॉर्ट टर्म में शेयर में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाते हैं।
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