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Cognitive Behavioral Therapy (CBT) क्या है, ये क्यों आवश्यक है

आपने मनोविज्ञान के बारे सुना होगा बल्कि कुछ लोग जानते भी होंगे। लेकिन क्या आपने संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी के बारे में सुना है, जिसे आमतौर पर सी.बी.टी. के रूप में जाना जाता है। यह विश्व भर में प्रचलित एक अत्यंत सामान्य प्रकार की वार्तालाप चिकित्सा (talk therapy) है।

कठिनाइयों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी मददगार है Cognitive Behavioral Therapy (CBT)

इसका उपयोग नकारात्मक विचारों और व्यवहारों को पहचानने के लिए Cognitive behavioural therapy (CBT) जरुरी है, सीबीटी मनोवैज्ञानिकों के टूलबॉक्स में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में से एक है। Cognitive behavioural therapy से हमें कठिनाइयों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

कॉग्नेटिव बिहेवरल थेरेपी (CBT) एक प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य उपचार तकनीक है, जिसका उपयोग नकारात्मक विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग अपने नकारात्मक विचारों और भावनाओं को सकारात्मक रूप में बदल सकें और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने में सक्षम हो सकें।

एक अपराधी के लिए थेरेपी आवश्यक क्यों है:

Why cognitive behavioural therapy is necessary for a criminal:

अभी हाल ही मैंने Netflix पर एक डॉक्यूमेंट्री देखी जिसमें कुछ अपराधियों पर आधारित उनकी आप बीती और उनके संबंधित लोगों के behavior के बारे में बात की है, जिसमें बताया गया कि एक अपराधी क्या सोचता है और हकीकत में कहानी क्या है।

  • इस थेरेपी के द्वारा हम व्यक्ति के नकारात्मक और स्व-सीमित विचारों को बदलाव ला सकते है। जिससे वह जीवन में बेहतर निर्णय ले सके।
  • CBT न केवल सोच में बदलाव लाता है बल्कि इससे व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
  • CBT अक्सर अवसाद, चिंता, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इस थेरेपी को इस्तेमाल किया जाता है इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि यह दवाओं के बिना भी प्रभावी हो सकती है।
  • CBT की तकनीकें जीवन की विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए अत्यधिक उपयोगी होती हैं, इसलिए इसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए आवश्यक माना जाता है।

मुख्य संज्ञानात्मक विकृतियां (CBT) कितने प्रकार होती है
(Types of Cognitive behavioural therapy)

सबसे पहले हम संज्ञानात्मक विकृतियां (CBT) के बारे में जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर या CBT बीमारी क्या है और इसके लक्षण क्या हैं, एक व्यक्ति में इन विकृतियों के कारण उसके विचारों में क्या परिवर्तन आता है।

Filtering : कभी कभी इंसान किसी घटना की वजह से या रिश्ते को टूटने की वजह से बहुत हताश हो जाता है और जीवन में उसको नकारात्मक विचार आने लगते है। उस समय उसके कुछ भी अच्छा नजर नहीं आता। यहां पर फिल्टरिंग को स्थिति बन जाती है यानि वह व्यक्ति जीवन में सभी सकारात्मक और अच्छी चीजों को अनदेखा कर सकता है और केवल नकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। यह किसी स्थिति के एक ही नकारात्मक पहलू पर ध्यान केंद्रित करने का जाल है, भले ही उसके चारों तरफ अच्छी बातें हो रही हों।

सब कुछ या कुछ भी नहीं : एक ऐसा व्यक्ति जो सिर्फ ये सोचता है कि उसको सफल होना है और नहीं तो वो एक असफल व्यक्ति है। यदि कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं करता है, तो वह खुद को पूर्णतः असफल मान लेता, जबकि वह यह नहीं समझ पाता कि वह केवल उस क्षेत्र में अकुशल हैं न कि असफल व्यक्ति है।

Overgeneralization : अगर किसी को एक बार कोई काम करने में असफलता मिलती है, तो वह यह फैसला कर लेता है कि “मैं हमेशा असफल रहूंगा” या “मुझे कभी सफलता नहीं मिलेगी।” इसको हम एक नकारात्मक सोच के पैटर्न का हिस्सा मानते है जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है। Cognitive Behavioural Therapy (CBT) चिकित्सा विधि में इस तरह की गलत सोच को सुधारने के लिए काम किया जाता है।

मैं ही सबकुछ हूं यानि निजीकरण : इस विकृति से ग्रस्त व्यक्ति को लगेगा कि उसके आस-पास होने वाली बुरी घटनाओं में उसकी भूमिका बहुत ज़्यादा है। यानि एक व्यक्ति यह मान सकता है कि ऑफिस जाने में कुछ मिनट देरी से पहुंचने के कारण ऑफिस का कार्य बाधित हो गया, जबकि यदि वह समय पर पहुंचता तो सब कुछ ठीक रहता।

दूसरों को दोष देना : जब चीजें हमारे हिसाब से नहीं होती हैं, तो फौरन दूसरों को दोष देने लगते हैं। जैसे कि फलां ने ऐसा कर दिया इसलिए मेरा काम बिगड़ गया वो ऐसा नहीं करता तो ये काम बिल्कुल सही होता आदि। लेकिन यह एक संज्ञानात्मक विकृति (Cognitive distortions) है। आप जो महसूस करते हैं या कार्य करते हैं उसके लिए केवल आप ही जिम्मेदार हैं।

दूसरों से अपने प्रति अनुकूलता की इच्छा रखना (illusion of change) : हम दूसरों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे हमारे अनुकूल बदलाव करें। यह इस भावना से जुड़ा है कि हमारी खुशी दूसरे लोगों पर निर्भर करती है, जबकि वास्तव में हमारी खुशी के लिए हमारे अलावा कोई भी जिम्मेदार नहीं है।

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी CBT कैसे काम करती है?

सीबीटी लोगों को यह पहचानने, सवाल करने और बदलने में मदद करता है, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी में कई उपकरण और तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं, जिनमें से कई का इस्तेमाल थेरेपी के संदर्भ में और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी किया जा सकता है।

  • जर्नलिंग : यह तकनीक हमें अपने विचार पैटर्न और भावनात्मक प्रवृत्तियों को पहचानने, उनका वर्णन करने, तथा उन्हें बदलने, अनुकूलित करने या उनसे निपटने में मदद कर सकती है
  • Unraveling cognitive distortions : संज्ञानात्मक विकृतियों को सुलझाने के लिए, आपको सबसे पहले उन विकृतियों के बारे में पता होना चाहिए जिनसे आप आमतौर पर पीड़ित हैं। हानिकारक स्वचालित विचारों की पहचान करना और उन्हें चुनौती देना है।
  • Interoceptive Exposure : भयभीत होने पर हम कई प्रकार की शारीरिक संवेदनाओं का अनुभव करते हैं, जिनमें पसीना आना, कांपना, सांस लेने में तकलीफ होना और दिल की धड़कन तेज होना शामिल है। इसका उद्देश्य पीड़ित को यह समझने में मदद करना है कि घबराहट के लक्षण खतरनाक नहीं हैं, यद्यपि वे असुविधाजनक हो सकते हैं। इंटरसेप्टिव एक्सपोज़र का इस्तेमाल अक्सर ऐसे व्यक्तियों के साथ किया जाता है जिन्हें विशिष्ट फ़ोबिया होता है, खासकर जब उनका डर शारीरिक संवेदनाओं से संबंधित होता है जो डरी हुई वस्तु या स्थिति का सामना करने पर ट्रिगर होती हैं”
  • Progressive Muscle Relaxation : यह उन लोगों के लिए एक परिचित तकनीक है जो माइंडफुलनेस का अभ्यास करते हैं। आप इस तकनीक का अभ्यास करने के लिए ऑडियो मार्गदर्शन, यूट्यूब वीडियो या बस अपने स्वयं के मन का उपयोग कर सकते हैं, और यह तंत्रिकाओं को शांत करने और व्यस्त और असंतुलित मन को राहत देने के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है।

ये तकनीकें चिंता, अवसाद, ओसीडी और पैनिक डिसऑर्डर सहित कई तरह की मानसिक बीमारियों और परेशानियों से पीड़ित लोगों की मदद कर सकती हैं, और इनका अभ्यास चिकित्सक के मार्गदर्शन के साथ या उसके बिना भी किया जा सकता है। सोर्स : https://positivepsychology.com/

भारत में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) की स्थिति

भारत में कॉग्नेटिव बिहेवरल थेरेपी (CBT) से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुपात लगातार बढ़ रहा है। हालांकि भारत में CBT का सटीक अनुपात ज्ञात नहीं है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जुड़े कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं:

  1. अवसाद और चिंता विकार: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-2016) के अनुसार, भारत में लगभग 10% आबादी किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त है, जिसमें अवसाद और चिंता प्रमुख हैं, जिनका इलाज CBT से किया जा सकता है।
  2. मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता प्रचलन: अवसाद, चिंता, PTSD और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामलों में वृद्धि देखी गई है, और इन समस्याओं से निपटने में CBT एक महत्वपूर्ण थेरेपी मानी जाती है।

भारत में CBT थेरेपिस्ट कैसे ढूंढें?

Cognitive Behavioural Therapy (CBT) specialist in India :

भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पेशेवरों की कमी है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर 100,000 लोगों पर एक मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि भारत में 100,000 लोगों पर सिर्फ़ 0.3 मनोचिकित्सक हैं। पिछले एक दशक में ये समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं, कोरोना के बाद इसमें और तेजी आई है। समय के साथ लोगों का आपसी मेल-जोल कम होना, वर्चुअल दुनिया को हकीकत मानना, सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल इसका कारण माने जा रहे हैं। भारत में कई योग्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (साइकोलॉजिस्ट्स और साइकायट्रिस्ट्स) हैं जो CBT के माध्यम से उपचार प्रदान करते हैं। कुछ प्रमुख विशेषज्ञ और संस्थान निम्नलिखित हैं:

  1. फोर्टिस मानसिक स्वास्थ्य केंद्र (Fortis Mental Health Care), दिल्ली और अन्य शहरों में: फोर्टिस अस्पताल में प्रशिक्षित साइकोलॉजिस्ट और साइकायट्रिस्ट CBT प्रदान करते हैं। यहाँ पर चिंता, अवसाद, OCD, PTSD जैसी समस्याओं का इलाज किया जाता है।
  2. निमहांस (NIMHANS), बेंगलुरु: यह राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान भारत का प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहाँ मानसिक रोगों के लिए CBT का उपयोग किया जाता है।
  3. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई: TISS मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जाने-माने विशेषज्ञों और थेरेपिस्ट्स द्वारा CBT से उपचार प्रदान करता है।
  4. डॉ. समीर पारिख, दिल्ली: फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख हैं और CBT थेरेपी में विशेषज्ञता रखते हैं।
  5. डॉ. निखिल रत्नपारखी, पुणे: CBT में विशेषीकृत साइकायट्रिस्ट, जो मानसिक स्वास्थ्य विकारों का इलाज करते हैं।
  6. हैप्पी माइंड्स, बेंगलुरु: यह एक प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है जो CBT और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है।

CBT के माध्यम से इन विशेषज्ञों से उपचार प्राप्त करने वाले लोग अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों से उबर सकते हैं।

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) से संबंधित टॉप बुक्स

Book for Cognitive Behavioral Therapy (CBT) से संबंधित कई किताबें उपलब्ध हैं, जो इसके सिद्धांतों, तकनीकों और अभ्यासों को समझने में मदद करती हैं। इन पुस्तकों में सी.बी.टी. के मूलभूत सिद्धांतों को शामिल किया गया है, जिसमें मूल्यांकन, केस अवधारणा और उपचार योजना भी शामिल है। यहाँ कुछ प्रमुख सीबीटी सीखने के लिए 6 संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी पुस्तकें के नाम दिए गए हैं:

  • Cognitive Behavioral Therapy: Basics and Beyond” – Judith S. Beck : यह किताब CBT के मूल सिद्धांतों और तकनीकों को विस्तार से समझाती है। यह नए और अनुभवी चिकित्सकों के लिए उपयुक्त है।
  • Feeling Good: The New Mood Therapy – Dr. David D. Burns : यह एक बहुत लोकप्रिय किताब है, जो CBT तकनीकों का उपयोग करके अवसाद और चिंता को दूर करने के तरीकों पर केंद्रित है।
  • The CBT Toolbox: A Workbook for Clients and Clinicians” – Jeff Riggenbach : यह पुस्तक व्यावहारिक अभ्यास और कार्यशालाओं के साथ CBT की तकनीकों को समझने और उपयोग करने का तरीका बताती है।
  • Mind Over Mood: Change How You Feel by Changing the Way You Think – Dennis Greenberger और Christine A. Padesky : यह किताब पाठकों को उनकी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को समझने और बदलने के लिए CBT तकनीकों का उपयोग करना सिखाती है।

यह किताब चिंता और घबराहट से निपटने के लिए CBT की तकनीकों को सिखाती है और इसके प्रभावी समाधानों पर चर्चा करती है। ये किताबें CBT को समझने और व्यक्तिगत या चिकित्सीय संदर्भ में लागू करने के लिए बहुत मददगार हैं।

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