Shubh dhanteras 2024 मुहूर्त : इस वर्ष 2024 में धनतेरस त्रयोदशी तिथि का आरंभ 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से होगा। त्रयोदशी तिथि का समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर होगा। धनतेरस 29 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। धनतेरस पूजा मुहूर्त 29 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि क्या है ?
- सभी देवताओं की मूर्ति या फोटो स्थापित करने के लिए चौकी
- चौकी पर बिछाने के लिए कपडा
- धन्वंतरि और कुबेर जी की फोटो
- लक्ष्मी और गणेश जी की फोटो
- पूजा के लिए थाल
- मिटटी का दीपक
- रोली, मोली, चावल
- पंचामृत के लिए दूध, दही, बुरा, घी, शहद
- फूल और फूलमाला
- सुपारी
- पान के पत्ते
- साबुत धनिया
- साबुत हल्दी
- मिठाई
- कपूर
- आम के पत्ते
- चन्दन
- धुप
- धनतेरस के दिन सबसे पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करें, उसके बाद देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करें, पूजा शुरू करने से पहले नए कपड़े के टुकड़े के बीच में मुट्ठी भर अनाज रखा जाता है।
- कपड़े को किसी चौकी या पाटे पर बिछाना चाहिए।
- धन्वंतरि देव की षोडशोपचार या 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाएं।
- कलश पानी से भरें, उसमें गंगाजल मिला लें। इसके साथ ही सुपारी, फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने और अनाज भी इस पर रखें. कुछ लोग कलश में आम के पत्ते भी रखते हैं।
- धन्वंतरि देव के सामने धूप, दीप जलाकर मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. फिर हार और फूल चढ़ाएं।
- पूजा में फूल, फल, चावल, रोली-चंदन, धूप-दीप का उपयोग करना चाहिए. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्य के रूप में सफेद मिठाई का प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।
धनतेरस पर कुबेर जी की पूजा
धनतेरस पर भगवान गणेश, कुबेर जी और माता लक्ष्मी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। कुबेर जी को धन का देवता कहा जाता है। कुबेर जी की कृपा से व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस के पावन दिन कुबेर मंत्र का जप जरूर करना चाहिए।
धनतेरस पूजा में क्या करना चाहिए
- धनतेरस की पूजा से पहले पुरे घर को साफ़ और स्वच्छ करना चाहिए |
- स्नान करके धुले हुए या नए वस्त्र धारण करने चाहिए |
- धन्वंतरि जी , गणेश जी माता लक्ष्मी और कुबेर जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए |
- धनतेरस पर नयी झाड़ू खरीदना बेहद शुभ माना जाता है |
- धनतेरस पर 13 दीपक जलाने को बहुत ही शुभ माना जाता है |
- इस दिन सोने और चांदी से बनी वस्तुएं खरीदनी चाहिए |
- धनतेरस पर बर्तन खरीदने को बहुत ही शुभ माना जाता है |
- धनतेरस पर साबुत धनिया खरीदना शुभ माना जाता है |
- इस दिन वस्त्र दान, अन्न दान करना बहुत ही शुभ होता है |
- कौडियो को हल्दी में भिगोकर उसे अपनी तिजोरी या पैसे रखने के स्थान पर रख सकते है |
धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है
Dhanteras puja vidhi and muhurat : दीपावली आने वाली है और घरों में दिवाली को लेकर कई तैयारियां शुरू होने लगी हैं। मगर दिवाली से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन इत्यादि वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। हमारे हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस के दिन यदि खरीददारी की जाए तो धन के देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और हमारे घर में धन का आगमन शुरू हो जाता है। मगर क्या आप जानते हैं धनतेरस के दिन क्या खरीदना शुभ रहेगा। तो आज हम जानते हैं कि धन तेरस को क्या खरीदें क्या नहीं हमारे पं. हरिशंकर मिश्रा से।
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने का महत्व
माना जाता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू जरूर खरीदना चाहिए, धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से संबंधित ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदे तो माता लक्ष्मी घर छोड़कर कभी नहीं जाती हैं एवं इस दिन झाड़ू घर लाने से पुराने कर्ज से भी मुक्ति मिल जाती है और घर में सकारात्मता का प्रसार होता है।
दीवाली के दिन टूटी हुई झाड़ू इस्तेमाल करें या नहीं : हमारे घर में झाड़ू पुरानी हो जाती है एवं कहीं न कहीं से टूटी भी जाती है मगर वास्तु शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि अगर घर की झाड़ू काफी पुरानी हो गयी है और टूट रही है. तो इसको घर में रखने की जगह हटा देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पुरानी टूटी हुई झाड़ू घर में निगेटिव एनर्जी लेकर आती है. जिसकी वजह से आपके घर और जीवन में दिक्कतें बढ़ सकती हैं
घर में एकता रखना है तो खरीदें धनिया : यदि घर में कोई मिलजुल कर नहीं रहता है तो आपको धनतेरस के दिन धनिया भी खरीदना चाहिए ऐसा करने से घर की एकता बनी रहती है। क्योंकि धनिया एकता का प्रतीक माना जाता है।
सकारात्मक ऊर्जा बनाये रखने के लिए : धनतेरस पर नए बर्तन खरीदने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख आता है।
सुरक्षा के लिए : ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन कोई भी नया वाहन खरीदने से घर के सदस्यों की सुरक्षा बनी रहती है। एवं इस दिन वाहन खरीदना शुभ भी माना जाता है।
संतान प्राप्ति के लिए : ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन खिलौने खरीदने से संतान की प्राप्ति होती है। यदि किसी दंपत्ति को संतान नहीं हो रही है तो वह खिलौने खरीदे तो भी संतान प्राप्ति हो सकती है।
धनतेरस की पौराणिक कथा
धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं धनतेरस की पौराणिक कथा।
धनतेरस कथा : एक बार भगवान विष्णु मृत्युलोक की यात्रा पर जा रहे थे। लक्ष्मी जी ने उनसे साथ चलने का आग्रह किया। विष्णु जी ने कहा, “ठीक है, लेकिन जो मैं कहूं, वही करना होगा।” लक्ष्मी जी मान गई और उनके साथ यात्रा पर निकल पड़ीं। थोड़ी देर बाद विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा, “तुम यहीं रुको, मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, तुम उधर मत आना।” लेकिन जैसे ही भगवान आगे बढ़े, लक्ष्मी जी की जिज्ञासा बढ़ गई और वह भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं।
रास्ते में उन्हें सरसों का एक खेत मिला जिसमें सुंदर फूल खिले थे। लक्ष्मी जी ने कुछ फूल तोड़े और अपने श्रृंगार में उनका इस्तेमाल किया। फिर आगे बढ़ते हुए उन्होंने गन्ने का खेत देखा और कुछ गन्ने तोड़कर उनका रस पीने लगीं। तभी भगवान विष्णु आ गए और लक्ष्मी जी पर नाराज हो गए। उन्होंने कहा, “मैंने तुम्हें उधर जाने से मना किया था, लेकिन तुम मेरी बात नहीं मानीं। अब तुम्हें इस किसान के यहां 12 साल तक सेवा करनी होगी।” इसके बाद भगवान विष्णु उन्हें वहीं छोड़कर चले गए।
लक्ष्मी जी उस किसान के घर रहने लगीं। एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा, “तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करो, फिर रसोई बनाना। इससे तुम्हें जो चाहोगी, मिलेगा।” किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया और लक्ष्मी जी की कृपा से अगले ही दिन से उनका घर धन-धान्य से भर गया।
12 साल बाद, जब लक्ष्मी जी जाने को तैयार हुईं, तो भगवान विष्णु उन्हें लेने आए। किसान ने लक्ष्मी जी को जाने नहीं दिया। भगवान विष्णु ने कहा, “लक्ष्मी जी चंचल हैं, कहीं रुकती नहीं हैं। वे मेरे शाप के कारण 12 साल से तुम्हारी सेवा कर रही थीं, अब उनका समय पूरा हो गया है।” लेकिन किसान ने फिर भी उन्हें रोकने की कोशिश की।
तब लक्ष्मी जी ने कहा, “अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो, तो कल तेरस के दिन घर को अच्छे से साफ करो, रात में घी का दीपक जलाओ और मेरा पूजन करो। एक तांबे के कलश में रुपए भरकर रखना, मैं उसमें निवास करूंगी। इस पूजा के बाद मैं एक साल तक तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी।” ऐसा कहकर लक्ष्मी जी प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गई।
अगले दिन किसान ने लक्ष्मी जी के बताए अनुसार पूजा की, और उसका घर फिर से धन-धान्य से भर गया। तभी से हर साल तेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की परंपरा शुरू हुई।
शुभ धनतेरस ।।
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