Rama Ekadashi Vrat Katha : धार्मिक ग्रंथों में दीपावली से पहले आने वाली यह एकादशी सबसे खास मानी गई है। यह चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाली है । इसमें माता लक्ष्मी के पूजन का खास महत्व है, क्योंकि विष्णुप्रिया का एक नाम रमा भी है।
क्यों खास है रमा एकादशी
चतुर्मास की अंतिम एकादशी रमा एकादशी को ही माना जाता है। रमा एकादशी के बाद देवउठनी एकादशी आती है और चतुर्मास का अंत हो जाता है। साथ ही दिवाली से पहले रमा एकादशी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है और इस दिन के उपवास से ही माता लक्ष्मी की आराधना शुरू हो जाती है, जो दिवाली पूजन तक चलती है। माता लक्ष्मी को रमा भी कहा जाता है इसलिए कार्तिक मास की इस एकादशी को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी के नाम पर ही इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के करने से मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुथ-समृद्धि का वास होगा।
” युधिष्ठिर ने पूछा : जनार्दन ! मुझ पर आपका स्नेह है, अतः कृपा करके बताइये कि कार्तिक के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ?
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! कार्तिक (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार आश्विन) के कृष्णपक्ष में ‘रमा’ नाम की विख्यात और परम कल्याणमयी एकादशी होती है । यह रमा एकादशी परम उत्तम है और बड़े-बड़े पापों को हरनेवाली है । “
हिन्दू धर्म में एकादशी का महत्व और क्यों खास है एकादशी
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी बहुत खास है और इस दिन विशेष तौर पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। एकादशी को भगवान श्री विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है। प्रत्येक एकादशी तिथि का एक अलग महत्व है और प्रत्येक एकादशी तिथि पर विष्णु की पूजा की जाती है।
एकादशी तिथि महीने में कितनी बार आती है?
एकादशी तिथि हर महीने में दो बार आती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार एक वर्ष में कम से कम 24 एकादशी होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की 11वीं तिथि को एकादशी कहते हैं। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक दिन माना जाता है। एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की। इस प्रकार एक वर्ष में कम से कम 24 एकादशी हो सकती हैं, लेकिन अधिक मास (अतिरिक्त महीने) के मामले में यह संख्या 26 भी हो सकती है।
एकादशी व्रत करने से क्या होता है
जो मनुष्य एकादशी को उपवास करता है, वह वैकुण्ठ धाम में जाता है, जहाँ साक्षात् भगवान गरुड़ध्वज विराजमान रहते हैं । जो मानव हर समय एकादशी के माहात्म्य का पाठ करता है, उसे हजार गौदान के पुण्य का फल प्राप्त होता है । जो दिन या रात में भक्तिपूर्वक इस माहात्म्य का श्रवण करते हैं, वे निःसंदेह ब्रह्महत्या आदि पापों से मुक्त हो जाते हैं । एकादशी के समान पापनाशक व्रत दूसरा कोई नहीं है । हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना होती है।
एकादशी के दिन क्या खाएं क्या न खाएं
एकादशी व्रत में अन्न नहीं खाया जाता। इस दिन चावल बिलकुल भी नहीं खाने चाहिए तथा चने या चने के आटे से बनी चीज से भी परहेज करना चाहिए। इस दिन शहद खाने से भी बचना चाहिए। एकादशी का व्रत-उपवास करने वालों को दशमी के दिन से ही मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
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