धर्म मध्य प्रदेश

Govardhan Puja : गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि 

हर साल दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. लेकिन कई बार गोवर्धन पूजा पर्व और दिवाली के बीच में एक दिन का अंतर आ जाता है।

गोवर्धन पूजा महत्व

गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है. साथ ही व्यक्ति को हर समस्याओं से छुटकारा मिलता है. गोवर्धन पूजा करने वाले व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण का अखंड आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस पूजा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों को अपना सम्मान प्रकट किया जाता है. गोवर्धन पूजा को भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देव को पराजित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त और तिथि

इस साल गोवर्धन पूजा कल यानी 2 नवंबर 2024, शनिवार को है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत के मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में मनाया जाता है.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर की सुबह 6:34 बजे से सुबह 8:46 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, गोवर्धन पूजा का दूसरा शुभ मुहर्त 2 नवंबर की दोपहर 3:22 से लेकर शाम 5:34 तक रहेगा।

गोवर्धन पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री क्या है

श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर, गोवर्धन पूजा के लिए थाली, रोली, अक्षत, बताशा, धूप-दीप, कलश, केसर, नैवेद्य, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, दही, शहद, फूल की माला, खीर, सरसों के तेल का दीपक, गाय का गोबर, गोवर्धन पर्वत की फोटो।

गोवर्धन पूजा की सही विधि क्या है

  • गोवर्धन पूजा वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और श्रीकृष्ण की पूजा करें.
  • इसके बाद घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज और श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाएं.
  • गोवर्धन महाराज के साथ गाय, बछड़े और ब्रज की भी प्रतिमा बना सकते हैं.
  • फिर गोवर्धन महाराज और श्रीकृष्ण की प्रतिमा को फूल और खील से सजाएं.
  • इसके बाद शुभ मुहूर्त में गोवर्धन महाराज को रोली, अक्षत और चंदन लगाएं.
  • परिवार के साथ गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाते रहें.
  • फिर दूध, पान, खील बताशे, अन्नकूट आदि चीजें चढ़ानी चाहिए.
  • परिवार के साथ पानी में दूध मिलाकर गोवर्धन महाराज की 7 बार या 11 बार परिक्रमा करें.
  • परिक्रमा करने के बाद घी का दीपक जलाएं और गिरिराज भगवान की आरती करें.
  • फिर गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं और घर के बड़ों का आशीर्वाद लें.
  • गोवर्धन भगवान को चढ़ाएं खील बताशे सभी को प्रसाद के रूप में बांट दें.

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