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Bhai Dooj 2024 : क्यों मनाते हैं भाई दूज, भाई दूज का शुभ मुहूर्त और भाई दूज की कथा क्या है

वर्ष 2024 में भाई दूज का शुभ मुहूर्त क्या है

Bhai Dooj 2024 Shubh Muhurat : भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 बजे से लेकर 3 बजकर 22 बजे तक रहेगा। यानि भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 बजे से लेकर 3 बजकर 22 बजे तक रहेगा. यानि तिलक करने का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 12 मिनट तक रहेगा।

क्यों मनाते हैं भाई दूज

यह त्योहार बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ अवसर पर बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। ऐसे में भाई अपनी बहन को जीवन में सदैव रक्षा करने का वचन देता है। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक यह पर्व दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।

Bhai Dooj 2024 : भाई दूज का पौराणिक महत्व

भाई दूज से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें सबसे प्रचलित कथा यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से संबंधित है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के निवास स्थान पर गए थे। यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और बदले में यमराज ने उनकी रक्षा का आशीर्वाद दिया। तभी से यह परंपरा बन गई कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाते हैं और आशीर्वाद स्वरूप उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन को “यम द्वितीया” भी कहा जाता है।

भाई दूज मनाने की विधि

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करके और उनके लिए प्रार्थना करके उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। यहां भाई दूज पूजा की संक्षिप्त विधि दी गई है:

  • स्नान और तैयारी: सुबह स्नान के बाद बहनें पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें रोली, चावल, दीपक, मिठाई और नारियल जैसे सामग्री होती है।
  • तिलक और आरती: भाई को चौकी पर बिठाकर बहनें उसके माथे पर तिलक लगाती हैं, अक्षत लगाती हैं और उसके बाद आरती उतारती हैं। तिलक लगाने के लिए आमतौर पर रोली या हल्दी का प्रयोग होता है।
  • भोजन और मिठाई: तिलक के बाद भाई को मिठाई खिलाई जाती है, और विशेष रूप से बना हुआ भोजन कराया जाता है।
  • उपहारों का आदान-प्रदान: भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और बहनें अपने भाई की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं।

भाई दूज की थाली कैसे सजाएं

भाई दूज पर भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला जरूर होना चाहिए. इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है।

रक्षा बंधन और भाई दूज में क्या अंतर है?

रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों ही भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित हैं, लेकिन इन दोनों त्योहारों में अंतर है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं, जबकि भाई दूज पर तिलक लगाने और आशीर्वाद देने की परंपरा होती है।

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