गुरु नानक जी की 555 वीं जयंती : नानक जयंती गुरु नानक देव जी के जन्म का उत्सव है, जो सिख धर्म में समानता, प्रेम और सेवा के प्रतीक हैं. इस दिन लोग कीर्तन, अखंड पाठ और लंगर का आयोजन कर उनके उपदेशों को याद करते हैं और सेवा, परोपकार, और ईश्वर-भक्ति का पालन करने का संकल्प लेते हैं।
गुरु नानक जयंती तिथि मुहूर्त
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जा रहा है. इस साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को पड़ रही है. इसलिए इस वर्ष गुरु नानक जयंती का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया गया. इस वर्ष गुरु नानक जी की 555 वीं जयंती मनाई जाएगी.
गुरू नानक देव कौन थे
श्री गुरू नानक देव जी सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु हैं। इनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई. को राय भोई की तलवंडी (ननकाणा साहिब), ज़िला शेखुपुर में हुआ। वर्तमान समय में ननकाणा साहिब पाकिस्तान में स्थित है। गुरू नानक साहिब के जन्म सम्बन्धी भाई गुरदास जी ने पहली वार में लिखा है- सतिगुर नानक प्रगटिआ मिटी धुंधु जगि चानणु होआ। जिउ कर सूरजु निकलिआ तारे छपि अंधेरु पलोआ ।।
भाव – सत्गुरू नानक जब प्रकट हुए तो अज्ञान का अंधेरा दूर हुआ और ज्ञान का प्रकाश हो गया जैसे सूर्य उदित होने पर अंधेरा दूर हो जाता है।
गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जिसे आज ननकाना साहिब (पाकिस्तान) कहा जाता है। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों, अंधविश्वासों, और भेदभाव का विरोध किया और सत्य, करुणा, समानता और सेवा का उपदेश दिया। गुरु नानक जयंती का मुख्य उद्देश्य उनके उपदेशों और शिक्षाओं को याद करना है और इन्हें अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस दिन विशेष रूप से गुरुद्वारों में कीर्तन, अखंड पाठ, सेवा कार्य और लंगर का आयोजन किया जाता है।
एक ओंकार अर्थात एक ही ईश्वर है : गुरु नानक
गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 को वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ था। गुरु नानक का जीवन और उनके उपदेश समाज में व्यापक सुधार लाने के लिए समर्पित थे। उन्होंने भक्ति, करुणा, और समानता पर जोर दिया और जाति-धर्म, ऊंच-नीच और लिंगभेद जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया।
गुरु नानक देव ने लोगों को सत्य, न्याय, परोपकार, और ईश्वर के नाम के जप पर बल दिया। उनका संदेश सरल और स्पष्ट था – “एक ओंकार”, अर्थात एक ही ईश्वर है और सभी मनुष्य उसके समान बच्चे हैं। उन्होंने मानवता की सेवा, ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। गुरु नानक देव के उपदेश “गुरबाणी” के रूप में “गुरु ग्रंथ साहिब” में संकलित हैं और आज भी सिख धर्म के अनुयायियों के लिए मार्गदर्शक हैं।
गुरु नानक देव जी की मूल शिक्षाएँ / उपदेश
- परमात्मा एक है : गुरू जी समस्त प्राणि जगत को उपदेश दिया कि परमात्मा एक है। एक ही परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। परमात्मा हर जगह हर कण में मौजूद है।
- किरत करना, नाम जपना, वंड छकना : गुरू नानक देव जी की मूल शिक्षा किरत करना, नाम जपना और वंड छकना है। किरत के महत्व को समझाते हुए गुरू जी कहते हैं कि किरत को केवल आर्थिक समृद्धि का आधार नहीं मानना चाहिए, क्योंकि सच्ची किरत जहां समाज के विकास का मुख्य आधार होती है, वहीं सत्य मार्ग की पहचान भी किरत द्वारा होती है।
- ईमानदारी की कमाई और दान : ईमानदारी की किरत करके उसका कुछ भाग जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
- पांच विकार : गुरू जी ने काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया इन पांच।
गुरु नानक देव जी के बारे में कुछ और बातें:
गुरु नानक देव जी ने ही इक ओंकार का नारा दिया था।
सबका पिता वही है इसलिए सभी से प्रेम करना चाहिए।
जाति और धार्मिक मतभेदों के ख़िलाफ़ थे।
गुरु नानक देव जी ने पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 974 भजनों का योगदान दिया।
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