A love and romantic true story : सर्दियों की एक खुशनुमा सुबह थी। कोहरे में लिपटी हुई हवाएं मानो किसी गहरे राज़ को छिपाने का प्रयास कर रही थीं। नैनीताल की झील के किनारे बैठा आरव, अपने हाथों की लकीरों को देख रहा था। हर लकीर उसे उसकी जिंदगी की कहानी सुनाती थी, लेकिन उनमें से एक लकीर थी जो उसकी किस्मत से परे किसी और की ओर इशारा करती थी।
तभी वहां पर एक लड़की आई। उसकी आंखों में जैसे अनंत गहराई थी और उसके होंठों पर मुस्कान मानो चांदनी की तरह उज्जवल। उसने झील की ओर देखा और चुपचाप बैठ गई। आरव की नजरें उसकी ओर उठीं और जैसे वक्त थम गया।
“यहां अक्सर आते हो?” लड़की ने पूछा।
आरव ने चौंककर जवाब दिया, “हां, यहां शांति मिलती है। तुम?”
“शांति ढूंढने आई थी, पर शायद कुछ और ही मिल गया,” उसने मुस्कराते हुए कहा।
उनकी मुलाकातों का सिलसिला हर रोज़ बढ़ने लगा। आरव को उसका नाम तक नहीं पता था, फिर भी वह उसकी हर बात में खो जाता था। वह लड़की रहस्यमयी थी, जैसे कोई अधूरी कविता।
एक दिन, आरव ने उसे अपने हाथों की लकीरें दिखाते हुए कहा, “देखो, यह लकीरें मुझे हमेशा से तुम्हारी ओर खींचती थीं। मुझे लगता है कि मैं इन्हीं लकीरों में कैद हूं।”
लड़की ने हल्की हंसी के साथ जवाब दिया, “लकीरें किस्मत को दिखाती हैं, पर उसे बदलने की ताकत हमारे इरादों में होती है।”
लेकिन उनकी यह खूबसूरत दुनिया अचानक बदल गई। लड़की ने अचानक आना बंद कर दिया। आरव हर रोज़ उसी झील के किनारे घंटों बैठा रहता, पर वह कभी नहीं आई।
एक दिन, झील के पास उसे एक डायरी मिली। डायरी उसी लड़की की थी। उसमें लिखा था,
“आरव, मैं जानती हूं कि तुम्हारी लकीरें मेरी ओर इशारा करती हैं, लेकिन मेरी लकीरें मुझे एक ऐसी राह पर ले गईं जहां से मैं वापस नहीं आ सकती। मैं एक ऐसी बीमारी से लड़ रही हूं जिसे कोई नहीं जीत सकता। लेकिन मेरी आखिरी सांस तक मैं तुम्हारे साथ बिताए हर पल को जीती रहूंगी। तुम मेरी सबसे खूबसूरत याद हो।”
आरव की आंखों से आंसू बह निकले। उसने डायरी को अपने दिल से लगा लिया। अब वह हर रोज़ झील के किनारे बैठता है, यह महसूस करते हुए कि वह अब भी उसकी लकीरों में कैद है। और शायद यही प्यार की परिभाषा है—एक-दूसरे में खो जाना, चाहे सामने कोई हो या न हो।
अंत:
“मैं कैद हूं तेरी लकीरों में,
और यह कैद मुझे आज़ादी सी लगती है।”
Comments