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Working parents day tips : वर्किंग पेरेंट्स कैसे अपने काम और घर का संतुलन बनाए

मैं और मेरे पति दोनों काम पर जाते हैं ऐसे में हम वर्किंग पेरेंट्स के सामने अपने बच्चों को सम्हालने की चुनौती आती है कि हम दोनो वर्किंग पेरेंट्स होने के साथ साथ अपने काम पर ध्यान कैसे दें।

इसके लिए एक कहानी मैं आपसे शेयर करना चाहती हूं क्योंकि ये कहानी कुछ कुछ मेरे जैसे ही हैं। मैं भी पहले एक वर्किंग वुमन थी और मेरे पति आज भी डे नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।

वर्किंग पेरेंट्स के जिम्मेदारी और प्यार का संतुलन कैसे बनाएं

सुरभि और घनश्याम दोनों ही अलग अलग मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे। दोनों का एक क्यूट बेटा भी था, जो अभी छोटा था। दोनों ही सुबह जल्दी उठ जाते हैं क्योंकि दोनो पति पत्नी को जल्दी काम पर जाना होता है। वे दोनों अपने काम में काफी मेहनती और सफल थे, लेकिन उनके दिल में एक ही चिंता थी—अपने छोटे बेटे आर्यन का ख्याल कैसे रखें?

एक दिन, सुरभि ने महसूस किया कि ऑफिस की जिम्मेदारियां के साथ-साथ आर्यन की देखभाल करना बहुत मुश्किल है। वह सोचती कि कैसे दोनों जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाया जा सकता है। घनश्याम भी इसी चिंता में था। वे दोनों चाहते थे कि आर्यन को मां बाप का प्यार मिले कहीं उसको ये महसूस न हो की उसके मां बाप उस पर ध्यान नहीं देते। इस चिंता में सुरभि और घनश्याम उस रात तो सो गए। मगर दोनो अगले दिन ही इसके लिए अलग अलग सोचना शुरू कर दिया।

सुरभि ने एक योजना बनाई। उन्होंने तय किया कि वे दोनों अलग अलग शिफ्ट में काम करेंगे जिससे एक समय पर एक पेरेंट आर्यन के साथ रह सके। सुबह, सुरभि जल्दी उठकर अपने बेटे आर्यन का नाश्ता बनाती और उसे स्कूल छोड़कर ऑफिस जाती। उधर दोपहर में, घनश्याम ने अपने ऑफिस बदल लिया उसने वो नौकरी की जिसमे डे नाइट काम हो और उसे कुछ दिन बाद वो नौकरी मिल गई।

अब सुरभि सुबह नौ से पांच की नौकरी करती और घनश्याम शाम छह बजे से रात दो बजे की नौकरी करता। वे दोनों अपने अपने समय में मिलकर आर्यन के साथ खेलते, पढ़ाई करवाते, और परिवार के साथ समय बिताते।

इसी तरह रविवार को उन्होंने एक नियम बना लिया कि वो ऑफिस का कोई काम नहीं करेंगे, बस पूरा दिन आर्यन के साथ बिताएंगे। सुरभि ने ध्यान दिया कि उनका बेटा केवल खिलौनों जैसी चीजों से नहीं, बल्कि उनके समय और प्यार से खुश रहता है। घनश्याम ने भी ऑफिस के काम को बेहतर तरीके से प्लान करना सीख लिया ताकि घर पर आने पर वह पूरी तरह से परिवार के साथ समय बिता सके।

धीरे-धीरे, उनके जीवन में संतुलन आने लगा। सुरभि और घनश्याम ने समझा कि जीवन की असली सफलता सिर्फ काम में नहीं, बल्कि परिवार को समय देने में भी है। अब वे दोनों अपने काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाकर चलने लगे, और उनके जीवन में पहले से ज्यादा खुशी और शांति आ गई।

इस तरह, सुरभि और घनश्याम ने यह साबित कर दिया कि अगर आप सही योजना और मेहनत से काम करें, तो आप अपने काम और परिवार दोनों को अच्छे से संभाल सकते हैं.

National Working Parents day क्या है? और ये क्यों मनाया जाता है?

आज हम बात कर रहे हैं नेशनल वर्किंग पेरेंट्स डे (National Working Parents Day) के बारे में भारत में ये दिन जुलाई में मनाया जाता है परंतु अमेरिका में ये दिन हर साल 16 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन उन माता-पिताओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है जो अपने परिवार और काम दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं।,

जो कामकाजी माता-पिता बच्चों की देखभाल के साथ-साथ अपने ऑफिस के समय को संतुलित करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं और दोनो जगह संतुलन बनाए रखते हैं, इस दिन उन्हें उनकी मेहनत और बलिदान के लिए सराहा जाता है।

Working parents को आने वाली समस्याएं और परिस्थितियां

सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कामकाजी माता-पिता होने का मतलब है अनलिमिटेड काम और घरेलू समस्याएं। आज 50 मिलियन से ज़्यादा अमेरिकी नौकरी और बच्चों की परवरिश के बीच संतुलन बनाए हुए हैं, यह मुद्दा सिर्फ़ अमेरिका तक सीमित नहीं है; बल्कि भारत जैसे दूसरे देशों में भी उतने ही चौंकाने वाला है मुद्दा है। कामकाजी माता-पिता होने के नाते आपको कई तरह के कामों, समस्याओं और अजीब स्थितियों से निपटना पड़ता है। ये समस्या आपको चिड़चिड़ा और तनाव ग्रस्त बना सकती है। लेकिन इस समस्या का हल निकालना जरूरी होता है आपके लिए ही नही बल्कि आपके बच्चे के लिए भी। हालाँकि काम और निजी जीवन में संतुलन बनाना आसान काम नहीं है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। थोड़ी सी योजना और सरल रणनीतियों के द्वारा हम इसको आसान बना सकते हैं।

Working parents के लिए work life balance tips

पारिवारिक समय को प्राथमिकता दें :
कामकाजी माता-पिता को अपने परिवार के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देनी चाहिए, जितना भी समय आपको अपने ऑफिस के अलावा मिलता है उसको अपने परिवार के लिए रखें न की उस समय में भी ऑफिस के काम के बारे सोचें। आपको जो भी समय मिला है उसको केवल अपने बच्चे के लिए निकलें उस समय अपने काम की बातें न करें।

अपनी समस्या के बारे में अपने पति से बात करें
जब आप एक वर्किंग वुमन के साथ साथ एक मां भी हो तो फिर आपको अपने बच्चे के पालन के लिए अपने पति से खिल कर बात करना चाहिए। और मिलकर ये तय करना चाहिए कि कैसे दोनो अपने बच्चे के लिए समय निकालें। इसके लिए आप अपने पति से खुला संवाद करें।

ऑफिस का काम घर से करने की कोशिश करें या पति से इस बारे में बात करें।
यदि आपके ऑफिस ये सुविधा है कि आप अपने ऑफिस का काम घर से भी कर सकती हैं तो अपने बॉस से इस बारे में बात करें और उन्हें विश्वास दिलाएं कि आप उतनी ही जिम्मेदारी और क्वालिटी से काम करेंगी जितना कि आप अभी ऑफिस में रह कर करती है । यही बात आप अपने पति से उसके ऑफिस के बॉस से बात करने को कहें। हो सकता है किसी एक को ये सुविधा मिल जाए और आपमें से किसी एक को घर पर रहने का मौका मिल जाए।

अपने सीनियर या बॉस को नहीं कहना सीखें
आप यदि ऑफिस से घर आने के बाद भी यदि आप घर से कुछ काम करती हैं तो उसको तुरंत रोक दें। जैसे ईमेल चेक करना, मैसेज करना, रिपोर्ट चेक करना आदि। आपको अपने बॉस को इसके लिए नहीं कहना सीखना पड़ेगा।

अपने किसी मित्र, रिश्तेदार अथवा परिवार के किसी सदस्य से सहायता मांगे:
यदि आपको अपने ऑफिस के काम से बिलकुल भी समय नहीं मिल रहा है और कुछ दिनों के लिए आप बहुत व्यस्त हैं तो आप अपने किसी रिश्तेदार से इसके लिए मदद मांगना जरूरी है। आप अपने किसी मित्र को भी इसमें शामिल कर सकती हैं। उनको कुछ दिन के लिए अपने घर पर अपने बच्चे के साथ रहने के लिए बोल सकती हैं। बस आपको ध्यान रहें कि वो व्यक्ति आपका विश्वसनीय हों।

एक व्यवस्थित योजना बनाएं :
दिन की शुरुआत में ही अपने घर के कामों को व्यवस्थित कर लें. अपने कामों और ज़िम्मेदारियों को प्राथमिकता दें और उन्हें अपने पति के साथ छोटे-छोटे चरणों में बांट लें। जिससे घर का का। जल्दी पूरा हो जाए और आप अपने बच्चे के लिए समय निकाल पाएं। अपने परिवार के साथ प्रतिदिन समय बिताने का कार्यक्रम बनाएं, इससे आपके बीच का बंधन मजबूत होगा, जो आपके अलग रहने के कारण कमजोर हो सकता है।

वर्किंग पेरेंट्स के लिए सबसे अच्छे चाइल्ड केयर विकल्प क्या हैं


डेकेयर सेंटर : आपको अपने आस पास के किसी डेकेयर सेंटर अपने बच्चे के लिए सर्च कर लेना चाहिए। मगर ध्यान रखें इस डे केयर सेंटर जांच-पड़ताल कर लें जैसे उसके प्रशिक्षित कर्मचारी के बारे में पता लगाएं वहां की सुरक्षा के प्रबंध क्या हैं, बच्चों को आकर्षित करने वाली गतिविधियां के लिए क्या व्यवस्था है आदि।

एक babysitter को किराये पर रखें : यदि आपके काम करने का कोई समय निश्चित नहीं है तो आपको घर पर अपने बच्चे के लिए एक बेबीसीटर को सैलरी बेस्ड पर रखें।

वर्किंग पेरेंटिंग के लिए बच्चों का पालन और ऑफिस का काम के बीच संतुलन रखना सच में बहुत चुनौती पूर्ण होता है फिर भी सही मार्गदर्शन और सही पेरेंटिंग रणनीति के के साथ इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। इसके लिए सकारात्मक मानसिकता बहुत महत्वपूर्ण है, और आपको हमेशा अपने बच्चों का समर्थन करने की ज़रूरत है। आपको अपने बच्चों का सबसे अच्छा दोस्त बनना होगा। आपको अपने बच्चों के साथ सब कुछ साझा करने और उनके साथ खुलकर बात करने की ज़रूरत है।

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