धर्म

प्रिय प्रीतम राधा-कृष्ण की अष्टयाम सेवा पद्धति, What does Ashtyam Seva involve?

अष्टयाम सेवा क्या है ?

अष्टयाम सेवा ईश्वर उपासना का अभिन्न अंग है। अष्टयाम सेवा में मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, आरती, और शयन शामिल हैं। अष्टयाम का तात्पर्य दिनभर में शारीरिक और मानसिक विभिन्न सेवाओं से है। दिन को 8 प्रहर में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक प्रहर 3 घंटे का होता है, और इस प्रकार पूरे 24 घंटे की सेवा मानी जाती है। इन्हीं 24 घंटों की सेवा को अष्टयाम सेवा कहा जाता है।

कैसे करें अष्टयाम सेवा, विधि और तरीका, How is Ashtyam Seva performed?

  • सूर्योदय के समय : सूर्योदय के समय करने वाली सेवा को मंगला सेवा कहा जाता है इसमें प्रातः श्री प्रिया-प्रियतम को जगाना, उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन अर्पित करना और उनकी आरती करना शामिल है।
  • विहार : अपने मन से मानसिक भावों के द्वारा अपने प्रिय प्रीतम को अयोध्या, चित्रकूट या वृंदावन जो आपके प्रिय प्रीतम हों उनको निम्न धामों के सुंदर वन में घूमना विहार सेवा कहलाती है। इसमें श्री प्रिया-प्रियतम वृंदावन के वनों में भ्रमण करते हैं, लताओं की सुंदरता का आनंद लेते हैं और पक्षियों की मधुर चहचहाहट सुनते हैं।
  • शृंगार एवं स्नान : अपनी मानसिक सेवा के अंतर्गत सहचरियाँ लाड़ली-लाल का अत्यंत प्रेमपूर्वक सुगंधित जल से स्नान कराती हैं। फिर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाकर, ताजा फूलों की माला और आभूषणों से सुसज्जित करती हैं और उनकी आरती करती हैं।
  • राजभोग : अपनी मानसिक अष्टायम सेवा के अंतर्गत प्रिया-प्रियतम को बैठाकर विशेष प्रेम से बनाए गए विभिन्न प्रकार के व्यंजन का भोग लगाती हैं। यह भोग वर्तमान मौसम के अनुसार होता है। जिसके बाद प्रिया-प्रियतम को विश्राम कराया जाता है।
  • उत्थापन : अपनी मानसिक अष्टायम सेवा के अंतर्गत इस सेवा का समय दोपहर का होता है। इसमें आप सहचरियाँ के साथ श्री लाड़ली-लाल को जगाती हैं और उन्हें हल्का भोग अर्पित करती हैं। इसके बाद सहचरियाँ उनकी धूप आरती करती हैं।
  • संध्या भोग : मानसिक अष्टायम सेवा के अंतर्गत लगभग शाम के 6 बजे हम और सहचरियाँ श्री प्रिया-प्रियतम को भोग लगाती हैं और उनकी आरती करती हैं।
  • संध्या लीला : श्री लाड़ली-लाल यमुना जी अथवा सरयू जी के तट पर जाते हैं और सहचरियों की इच्छा के अनुसार नाव विहार या रास जैसी क्रीड़ाओं में सम्मिलित होते हैं।
  • शयन लीला : ये समय लगभग रात 8-9 बजे का होता है, इसमें सहचरियाँ प्रिया-लाल के लिए कोमल पुष्पों से सुंदर बिस्तर तैयार करती हैं। कुछ सहचरियाँ उनके चरण दावते हुए मधुर स्वर में गाकर प्रिया-लाल को सुलाती हैं।

अष्टयाम सेवा से लाभ, Benefits of Ashtyam Seva

  • मुख्य लाभ :
  • अष्टयाम सेवा साधकों और गृहस्थों, दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मन और शरीर को निरंतर श्री लाडली लाल की सेवा और स्मरण में व्यस्त रखती है।
  • अन्य लाभ :
  • व्यक्ति के रोग, दुख-संताप, पाप, दोष, और व्याधियां दूर होती हैं।
  • व्यक्ति भक्ति में लीन रहता है।
  • सकारात्मकता आती है, साथ ही साथ नकारात्मकता खत्म होती है।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related News