Brief Introduction of Vrindavan : वृन्दावन का नाम आते ही मन पुलकित हो उठता है। योगेश्वर श्रीकृष्ण की मनभावन मूर्ति आँखों के सामने आ जाती है। उनकी दिव्य आलौकिक लीलाओं की कल्पना से ही मन भक्ति और श्रद्धा से नतमस्तक हो जाता है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ राधा-कृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं।
वृन्दावन नामकरण : कैसे पड़ा पवित्र वृन्दावन का नाम
इस पावन स्थली का वृन्दावन नामकरण कैसे हुआ? इस संबंध में अनेक मत हैं। ‘वृन्दा’ तुलसी को कहते हैं। यहाँ तुलसी के पौधे अधिक थे। इसलिए इसे वृन्दावन कहा गया। मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है।
पवित्र वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता
वृन्दावन की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने योग्य है। यमुना नदी ने इसको तीन ओर से घेरे रखा है। यहाँ के सघन कुंजों में भाँति-भाँति के पुष्पों से शोभित लता तथा ऊँचे-ऊँचे घने वृक्ष मन में उल्लास भरते हैं। बसंत ऋतु के आगमन पर यहाँ की छटा और सावन-भादों की हरियाली आँखों को जो शीतलता प्रदान करती है वह राधा-कृष्ण के प्रतिबिम्बों के दर्शनों का ही प्रतिफल है। वृन्दावन का कण-कण रसमय है।
वृन्दावन के प्रसिद्ध-प्रसिद्ध घाटों का उल्लेख :
श्रीवराहघाट : वृन्दावन के दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्राचीन यमुनाजी के तट पर श्रीवराहघाट अवस्थित है।
कालियादमन घाट : यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तर में प्राचीन यमुना के तट पर अवस्थित है।
सूर्यघाट : गोपालघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित है।
युगलघाट : इस घाट के ऊपर श्री युगलबिहारी का प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है। केशी घाट के निकट एक और भी जुगल किशोर का मन्दिर है।
श्रीबिहारघाट : युगलघाट के उत्तर में श्रीबिहारघाट अवस्थित है।
इमलीतला घाट: आंधेरघाट के उत्तर में इमलीतला घाट अवस्थित है। यहीं पर श्रीकृष्ण के समसामयिक इमली वृक्ष के नीचे महाप्रभु श्रीचैतन्य देव अपने वृन्दावन वास काल में प्रेमाविष्ट होकर हरिनाम करते थे। इसलिए इसको गौरांगघाट भी कहते हैं।
श्रृंगारघाट : इमलीतला घाट से कुछ पूर्व दिशा में यमुना तट पर श्रृंगारघाट अवस्थित है।
रीगोविन्दघाट : श्रृंगारघाट के पास ही उत्तर में यह घाट अवस्थित है।
श्रीभ्रमरघाट : चीरघाट के उत्तर में यह घाट स्थित है। भ्रमरों के कारण इस घाट का नाम भ्रमरघाट है।
केशीघाट : श्रीवृन्दावन के उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा भ्रमरघाट के उत्तर में यह प्रसिद्ध घाट विराजमान है।
इन घाटों के अतिरिक्त वृन्दावन-कथा नामक पुस्तक में और भी घाटों का उल्लेख है-
सेवाकुंज वृन्दावन, महानतजी घाट, नामाओवाला घाट, प्रस्कन्दन घाट, कडिया घाट, धूसर घाट, नया घाट, श्रीजी घाट, विहारी जी घाट, धरोयार घाट, नागरी घाट, भीम घाट, हिम्मत बहादुर घाट, चीर या चैन घाट, हनुमान घाट, श्रीपानीघाट आदि।
वृन्दावन के पुराने मोहल्लों के नाम :
ज्ञानगुदड़ी, गोपीश्वर, बंशीवट, गोपीनाथबाग, गोपीनाथ बाज़ार, ब्रह्मकुण्ड, राधानिवास, केशीघाट, राधारमणघेरा, निधुवन, पाथरपुरा, नागरगोपीनाथ, गोपीनाथघेरा, नागरगोपाल, चीरघाट, मण्डी दरवाज़ा, नागरगोविन्द जी, टकशाल गली, रामजीद्वार, कण्ठीवाला बाज़ार, सेवाकुंज, कुंजगली, व्यासघेरा, श्रृंगारवट, रासमण्डल, किशोरपुरा, धोबीवाली गली, रंगी लाल गली, सुखनखाता गली, पुराना शहर, लारिवाली गली, गावधूप गली, गोवर्धन दरवाज़ा, अहीरपाड़ा, दुमाईत पाड़ा, वरओयार मोहल्ला, मदनमोहन जी का घेरा, बिहारी पुरा, पुरोहितवाली गली, मनीपाड़ा, गौतमपाड़ा, अठखम्बा, गोविन्दबाग़, लोईबाज़ार, रेतियाबाज़ार, बनखण्डी महादेव, छीपी गली, रायगली, बुन्देलबाग़, मथुरा दरवाज़ा, सवाई जयसिंह घेरा, धीरसमीर, टट्टीया स्थान, गहवरवन, गोविन्द कुण्ड, राधाबाग़ ।
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