कब है छठ पूजा ?
पंचांग के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी 05 नवंबर से हो रही है। वहीं, इसका समापन अष्टमी तिथि यानी 08 नवंबर को होगा। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी।
छठ पूजा का खास महत्व
सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व माना जाता है, इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन से महिलाएं छठी मैया की पूजा करती है. माना जाता है कि छठ पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. छठ पूजा में ढलते सूर्य को अर्ग दिया जाता है. छठ पूजा के लिए भोपाल के अलावा मध्य प्रदेश के दूसरे बड़े शहरों में भी खास तैयारियां की जा रही हैं।
चार दिन मनाया जाता है यह पर्व
छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इस दिन व्रति अपने घरों को शुद्ध कर विशेष रूप से स्नान करते हैं और फिर गुड़, चिउड़े, कद्दू, चावल आदि से बने भोजन का सेवन करते हैं। छठ पूजा के दूसरे दिन खरना किया जाता है। इस दिन व्रति पूरे दिन उपवास रहते हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन डाला छठ मनाया जाता है। इस दिन व्रति नदी, तालाब या जलाशय के किनारे पूजा करते हैं। छठ पूजा के अंतिम दिन पारण/समापन किया जाता है। इस दिन सूर्य देवता को अंतिम अर्घ्य अर्पित करके व्रति अपना उपवास समाप्त करते हैं।
मध्य प्रदेश भोपाल में छठ पूजा के लिए तैयार किए गए 50 घाट, नगर-निगम संभालेगा व्यवस्था
भोपाल में भी छठ पर विशेष तैयारियां की गई है। भोजपुरी एकता मंच की तरफ से लोक गायिका विजया भारती की पारंपरिक छठ गीतों पर आधारित प्रस्तुति होगी। 2100 दीपों का दीपदान किया जाएगा। कार्यक्रम 7-8 नवंबर तक होगा। जिसमें विजया भोजपुरी व मैथिली छठ गीतों का कार्यक्रम पेश करेंगी। यह कार्यक्रम भोजपुरी साहित्य अकादमी के अंतर्गत आने वाले भोजपुरी एकता मंच के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को पूर्वाचंली समाज की तरफ से सम्मानित किया जाएगा।
छठ पूजा में क्या करें क्या नहीं
- छठ पूजा के दौरान व्रत रखने वाले जातक को पलंग या तखत पर नहीं सोना चाहिए। वह जमीन पर चादर बिछाकर सो सकता है।
- मांस और मदिर का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- किसी से वाद-विवाद न करें।
- सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
छठ पूजा पर जरूर सुनें सुपरहिट गीत
Chhath Puja Geet: घर की सुख समृद्धि, संतान की लंबी आयु और अच्छे भविष्य की कामना लिए महिलाएं भजन गुनगुनाती हुई नजर आएंगी। छठ पूजा पर माहौल को और ज्यादा भक्तिमय बनाने के लिए आप छठी मैया से जुड़े इन स्पेशल गीतों को गुनगुना सकते हैं।
गीत 1:
काँच ही बँस के बहँगिया, बहँगी लचकल जाए
बलमा, बनल छै कहरिया, बहँगी घाट पहुँचाए
काँच ही बँस के बहँगिया, बहँगी लचकल जाए
रहिया में पूछै बटोहिया, “बहँगी केकर जाए?”
आँधर छै तोय बटोहिया, बहँगी छठी माँई के जाए
छठी माई के होए छै बरतिया, सब अरग दैयले जाए
रहिया में पूछै बटोहिया, “बहँगी केकर जाए”?
आँधर छै तोय बटोहिया, बहँगी छठी माँई के जाए
छठी माई के होए छै बरतिया, सब अरग दैयले जाए
बहँगी लचकल जाए।
गीत 2 :
छठी मैया के ऊँची रे अररीया, ओह पर चढ़लो ना जाए।।
छठी मैया के ऊँची रे अररीया, ओह पर चढ़लो ना जाए।।
लिही न कवन देव कुदरिया, घटिया दिही न बनाय
लिही न कवन बाबू कुदरिया, घटिया दिही न बनाय।।
पेहनी न कवन देव पियरिया, चली अरघ दियाय ।
पेहनी ना कवन बाबू पियरीया, चली अरघ दियाय।।
काँच ही बाँस बसहर घरवा, हे कदम जुड़े गाछ,
काँच ही बाँस बसहर घरवा, हे कदम जुड़े गाछ।
ताही बसहर सुतेले कवन देव, गोडे मोड़े चादर तान,
पैसी जगावेली कवन देई, उठी स्वामी भईले बिहान,
गईया दुही न भिनुसहरा, भईले अरघिया के जून,
भईले अरघिया के जून ।। तीन दिन के भूखली धनिया,
बाड़ी जल बिचवे खाड़, बाड़ी जल बिचवे खाड़।
थर थर कापेला बदनिया, ओठवा गई ले झुराय,
ओठवा गई ले झुराय ।।
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