आयुर्वेद

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी गिलोय के औषधीय गुण और फायदे

Giloy Benefits, Precautions and Dosage : गिलोय को वैज्ञानिक रूप से टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora Cordifolia) या हिंदी में गुडुची के नाम से जाना जाता है। गिलोय का तना अपनी उच्च पोषण सामग्री और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड के कारण अत्यधिक प्रभावी माना जाता है, लेकिन इसकी जड़ और पत्तियों का भी उपयोग किया जा सकता है।

गिलोय एक बेल है

गिलोय समूह में रहने वाला आरोही पौधा है पुराने तने 2 सेमी. व्यास वाले होते हैं शाखाओं के गठीले निशानों से जड़ें निकलती हैं तनों और शाखाओं पर सफेद अनुलंब दाग होते हैं इसकी छाल सलेटी-भूरी या हल्की सफेद, मस्सेदार होती है और आसानी से छिल जाती है । इसकी पत्तियां 5-15 सेमी. अंडाकार होती हैं। गिलोय एक बेल है जो कि अपने आप उग जाती है और इसे पानी की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती। यह बेल अपने आप रास्ता बना लेनी है और दुसरे पेड़ों के सहारे बढ़ जाती है। इस बेल का हर हिस्सा औषधि के रूप में प्रयोग किया है। फ़िलहाल इसके औषधीय गुणों को देखते हुए इसकी खेती भी की जाने लगी है।

सनातन धर्म के अनुसार  जब देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकला था तब इस अमृत की बूंदें जहां-जहां गिरी, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और इसके बहुत सारे फायदे आयुर्वेद में बताए गए हैं जो न केवल आपको हेल्‍दी रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारने में भी मदद करते हैं।

चरक संहिता के एक श्लोक के अनुसार गिलोय एक मुख्य जड़ी बूटी है जिसका स्वाद कड़वा होता है। इसका उपयोग विभिन्न विकारों में किया जाता है और यह वात और कफ दोष को कम करने में भी मदद करता है।

गिलोय एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो इम्यूनिटी बढ़ाकर हमें बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में मौजूद टॉक्सिन्‍स को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह ब्‍लड को साफ करती है और बैक्टीरिया से लड़ती है। अगर आप अपनी इम्‍यूनिटी को बढ़ाना चाहती हैं तो गिलोय के जूस को अपने रूटीन में शामिल करें। 

इसे दूध और अदरक के साथ लें

दूध के साथ उबालने पर गिलोय जोड़ों के दर्द के लिए अद्भुत काम करता है. अदरक के साथ मिलाकर इसका मिश्रण गठिया का इलाज कर सकता है.

गिलोय के तने चबाएं

गिलोय का सेवन करने का सबसे आसान तरीका इसके तने को चबाना है. अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए यह तरीका बहुत अच्छा काम करता है. अस्थमा के रोगी लक्षणों को कम करने के लिए गिलोय के रस का भी सेवन कर सकते हैं.

आंखों पर लगाएं

गिलोय का अर्क आपकी दृष्टि को बढ़ा सकता है. गिलोय के पाउडर को उबालकर ठंडा होने दें. अब इसमें एक कॉटन पैड भिगोकर अपनी पलकों पर लगाएं. आंखों की रोशनी को बढ़ाने में गिलोय काफी फायदेमंद हो सकता है

गिलोय शॉट पिएं

आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए गिलोय शॉट में कुछ अलमा, अदरक और काला नमक मिला सकते हैं. बस सभी सामग्री को ब्लेंडर में डालें, थोड़ा पानी के साथ और इसे अच्छी तरह से मथ लें. अब इस मिश्रण को खाने से पहले छलनी से छान लें.

गिलोय का रस

गिलोय के कुछ डंठल लें और उन्हें एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए. पानी को छान लें और रोजाना इसका सेवन करें. यह आपके रक्त को शुद्ध करने, विषाक्त पदार्थों को हटाने और रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करेगा.

गिलोय के शानदार स्वास्थ्य फायदे

गिलोय का तना पाचन में सुधार, कब्ज, एसिडिटी, गैस और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है. यह कमजोर पाचन तंत्र वाले लोगों के लिए अच्छा काम करता है. यह शरीर की इंसुलिन प्रतिक्रिया को भी बढ़ाता है, इससे डायबिटीज की घटनाओं में कमी आती है. इतना ही नहीं, विनम्र तना मानसिक तनाव को भी कम करता है, आपकी याददाश्त को बढ़ाता है और नियमित रूप से सेवन करने पर आपको शांत करने में मदद करता है.

डायबिटीज में मददगार

गिलोय हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में मदद करता है. हाई ब्लड शुगर लेवल वाले लोगों में गिलोय के रस ने अद्भुत परिणाम दिखाए हैं.

तनाव से राहत

गिलोय में एडाप्टोजेनिक गुणों के कारण इसका सेवन से चिंता, तनाव और डिप्रेशन से बचा जा सकता है।

डाइजेस्टिव सिस्‍टम को दुरस्त करता है

अगर आप पेट से जुड़ी समस्‍याओं जैसे कब्‍ज या अन्‍य समस्‍याओं से परेशान है तो रोजाना गिलोय जूस लें। यह डाइजेस्टिव सिस्‍टम के कामों को सही तरीके से संचालित करता है और भोजन के डाइजेस्‍ट करने की प्रक्रिया में मदद करता है। इसके अलावा, यह उल्टी और हाइपरएसिडिटी या एसिड और आंत के बीच असंतुलन जैसी पाचन संबंधी समस्याओं को रोकने में भी मदद करता है।  यह शरीर से अतिरिक्त वसा को खत्म करके पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है।

बुखार से लडऩे में मदद करता है

एंटीपायरेटिक गुण के कारण गिलोय का इस्‍तेमाल बुखार का प्रबंधन करने के लिए किया जा सकता है। बुखर से पीड़ित मरीज को गिलोय जूस का सेवन करना चाहिए।

आंखों की रोशनी में सुधार

गिलोय के पाउडर को पानी में मिलाकर आंखों पर लगाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद कर सकता है. गिलोय के चूर्ण को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और फिर इस पेस्ट को अपनी पलकों पर लगाएं. गिलोय आपकी आंखों की रोशनी के लिए बहुत बढ़िया है। इसका इस्तेमाल पंचकर्म में करते हैं, जो एक आयुर्वेदिक चिकित्सा है

गिलोय का जूस शरीर के मेटाबॉलिजम को ठीक करता है

गिलाये के सेवन से बार-बार खाने की आदत में सुधार आता है जिससे मोटापा नहीं बढ़ता, पेट के आस-पास जमा चर्बी भी कम होती है।

गठिया को रोक सकता है

गिलोय में सूजन-रोधी और गठिया-रोधी गुण होते हैं जो गठिया के लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकते हैं. गठिया के इलाज के लिए दूध में उबालकर गिलोय के चूर्ण का सेवन करें.

सामग्री: गिलोय का तना: 12 इंच लंबा पानी: 2 कप

व्यंजन विधि: गिलोय के तने का एक टुकड़ा लें, उसे धोकर छील लें। इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें ग्राइंडर में डालने से पहले, इन्हें ओखल और मूसल में पीस लें। फिर, इसमें थोड़ा पानी डालें और इन्हें ग्राइंडर में मिला लें। जूस मलमल के कपड़े की सहायता से छान लें।

गिलोय के दुष्प्रभाव
  • गिलोय जड़ी बूटी का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। हालाँकि, जब गिलोय को अन्य मधुमेह दवाओं के साथ लिया जाता है, तो इससे रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है।
  • गिलोय प्रतिरक्षा प्रणाली को अधिक सक्रिय बना सकता है जिससे रुमेटीइड गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण खराब हो सकते हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए इसका प्रभाव अज्ञात है। इसलिए, सुरक्षित पक्ष पर रहना और स्तनपान के दौरान गिलोय से बचना अच्छा है।
  • किसी भी सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान या बाद में गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, इसे निर्धारित समय से दो सप्ताह पहले ही लें।
  • गिलोय का प्रयोग डॉक्टरी सलाह के बाद ही करें। इससे एलर्जी हो सकती है।
  • स्तनपान के दौरान गिलोय का सेवन न करें।
  • यदि आप मधुमेह रोधी दवाएँ लेते हैं तो अपने रक्त शर्करा के स्तर पर नज़र रखें।
  • गिलोय जूस को अल्प समय के लिए ही लिया जा सकता है।
  • गिलोय की वजह से इन्सुलिन लेवल काफी बढ़ सकता है, जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल काफी कम हो सकता है। इसलिए अगर आप शुगर की दवाएं लेते हैं तो आप इसका इस्तेमाल दवाओं के साथ न करें, दोनों के इस्तेमाल में कम से कम 2 घंटे का अन्तराल रखें।
  • गिलोय की तासीर गर्म होती है, इसकी वजह से पेट से जुड़ी सामान्य समस्याएँ हो सकती है। इसलिए इसका सेवन सिमित मात्रा में ही करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाएं इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • अगर आप हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए। क्योंकि यह तासीर में गर्म होती है इसलिए इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।

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गिलाये से संबंधित प्रश्न जो हमारे मन में उठते हैं ?

क्या गिलाये को प्रतिदिन लिया जा सकता है? – गिलोय को रोजाना, सीमित मात्रा में लिया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए

क्या गिलाये को खाने का बेहतर समय कौन-सा है? – आप हर सुबह गिलोय का जूस पी सकते हैं, लेकिन रात में इसे पीने से बचें। बेहतर नतीजों के लिए गिलोय का जूस सुबह खाली पेट पिएं।

क्या गिलोय वजन बढ़ाता है? – नहीं, गिलोय वजन घटाने में सहायता करता है।

क्या गिलोय को नींबू के साथ लिया जा सकता है? – हां, आप गिलोय को नींबू के साथ ले सकते हैं।

क्या गिलोय एसिडिटी के लिए अच्छा है? – गिलोय एसिडिटी के इलाज के लिए उपयुक्त है। यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

क्या गिलोय त्वचा के लिए अच्छा है? – हां, यह त्वचा को साफ और चमकदार बनाता है।

किसी भी प्रयोग को अथवा औषधीय को उपयोग में लाने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

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