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Hindenburg Research : भारत में कुछ बड़ा होने वाला है, आखिर सुश्री सीतारमण जवाब देने से क्यों बचती हैं?

17 Sep 2024 update : सीतारमण द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुश्री माधबी बुच और उनके पति धवल बुच अपना बचाव कर रहे हैं और कांग्रेस के आरोपों का खंडन करने वाले तथ्य सामने रख रहे हैं।

कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “उन्होंने कहा है कि सेबी अध्यक्ष और श्री बुच ‘हितों के टकराव के आरोपों पर जवाब दे रहे हैं।’ लेकिन ये जवाब और भी सवाल खड़े करते हैं।” अब सवाल यह है कि क्या वित्त मंत्री और गैर-जैविक प्रधानमंत्री को कम से कम 2022 से ही इन तथ्यों की जानकारी थी।

कांग्रेस ने 17 सितंबर को कहा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति द्वारा दिए जा रहे “जवाब” और भी सवाल खड़े करते हैं और जोर देकर कहा कि उनके वित्तीय लेन-देन पर जो “तथ्य” सामने रखे गए हैं, उनका अब तक किसी ने खंडन नहीं किया है।

आखिर सुश्री सीतारमण जवाब देने से क्यों बचती हैं?

जब महासचिव रमेश और सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति के बारे में किसी मीडिया कर्मी द्वारा पूछा गया कि क्या वह माधबी बुच के जवाबों से संतुष्ट हैं, सुश्री सीतारमण ने कहा, ”मैं यहां इस पर निर्णय देने के लिए नहीं हूं।” आपको ज्ञात होगा सुश्री सीतारमण हर बार मीडिया को जवाब देने से बचती हैं या उल्टा प्रश्न के बदले प्रश्न ही करती हैं। इससे पहले भी जब किसी ने टैक्स बारे में जानना चाहा था तो भी सीतारमण ने बोला था कि लोग टैक्स पर सवाल करते हैं, ये बात मुझे बिलकुल पसंद नहीं है। वित्त मंत्री ने ये बात भोपाल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के 11वें दीक्षांत समारोह में कही।

भैया सवाल पूछना माना है:

ऊंचे पद पर बैठे लोग कितना भी अच्छा कार्य करें आम जनता का किसी भी बात पर डाउट हो तो उन्हे ही उसका जवाब देना होगा। चाहे अच्छा लगे या बुरा। अरे भाई आपके अच्छे बुरे लगने से क्या मतलब है लोग जानना चाहते है और आप जिस पद पर बैठी हैं वहां आपको हर प्रश्न का जवाब नही दोगी तो फिर कौन देगा। खैर, हम बात कर रहे थे महासचिव जयराम रमेश की तो पूरा कांड ये था कि कुछ समय पहले हिंडेनबर्ग ने आरोप लगाया था कि बुच ने पहले एक फंड में निवेश किया था, जो अडानी के दो सहयोगियों द्वारा धन को इधर-उधर करने और समूह के शेयरों की कीमतों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फंडों के नेटवर्क का हिस्सा था।बस, कांग्रेस इसी बात पर आरोप लगाया है कि बुच आईसीआईसीआई, जहां वह 2011 तक कार्यरत थीं, के साथ-साथ महिंद्रा समूह और चार अन्य कंपनियों द्वारा अपने पति धवल बुच को दिए गए परामर्श शुल्क के कारण उनके साथ लेन-देन में हितों के टकराव हुआ है। इधर बुच दंपत्ति ने कहा था, “हम ईमानदार और सच्चे पेशेवर हैं तथा हमने अपने-अपने पेशेवर जीवन को पारदर्शिता और गरिमा के साथ जिया है।”

13 Sep 2024 update : हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा अडानी ग्रुप कैसे दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कर रहा है।

स्विस अधिकारियों ने अडानी जांच से संबंधित खातों में 310 मिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि फ्रीज की: हिंडनबर्ग रिसर्च

हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी समूह की मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिभूति जांच से जुड़े कई स्विस बैंक खातों में 310 मिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि फ्रीज कर दी है, जैसा कि 12 सितंबर को प्लेटफॉर्म एक्स पर फर्म के सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया है।

स्विस अधिकारियों ने अडानी समूह की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी धनराशि फ्रीज की।

हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी की मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी जांच के तहत कई बैंक खातों में जमा 31 करोड़ डॉलर से ज्यादा (करीब 2600 करोड़ रुपये) की रकम फ्रीज कर दी है।

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि अरबपति गौतम अडानी के लिए काम करने वाले एक फ्रंटमैन की 310 मिलियन डॉलर से ज़्यादा की रकम छह स्विस बैंकों में जमा (छिपी) है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रेस के सामने मामला उजागर होने के बाद स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल (OAG) के कार्यालय ने जांच अपने हाथ में ले ली

12 Sep 2024 update : हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने अपने खिलाफ लगे आरोपों पर कई हफ्तों तक पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी। शॉर्टसेलर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “बुच ने सभी उभरते मुद्दों पर कई हफ्तों तक पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी।”

हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख नए आरोप सामने आए

इसमें कहा गया है, “नए आरोप सामने आए हैं कि निजी परामर्श इकाई, जिसका 99% स्वामित्व सेबी अध्यक्ष माधबी बुच के पास है, ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सेबी द्वारा विनियमित कई सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान स्वीकार किया। इन कंपनियों में शामिल हैं: महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, डॉ. रेड्डीज और पिडिलाइट। ये आरोप बुच की भारतीय परामर्श इकाई पर लागू होते हैं

इधर महिंद्रा समूह का कहना है कि, “हम इन आरोपों को झूठा और भ्रामक प्रकृति का मानते हैं।”

10 Aug 2024 Update : हिंडनबर्ग रिसर्च का आरोप है कि सेबी अध्यक्ष बुच की अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट अपतटीय संस्थाओं में हिस्सेदारी थी

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा है, “हमने पहले ही अडानी के गंभीर विनियामक हस्तक्षेप के जोखिम के बिना काम करना जारी रखने के पूर्ण विश्वास को देखा था, यह सुझाव देते हुए कि इसे सेबी अध्यक्ष, माधबी बुच के साथ अडानी के संबंधों के माध्यम से समझाया जा सकता है।”

हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर आरोप लगाया, उनके पति के पास अडानी के पैसे की हेराफेरी में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी धन में हिस्सेदारी थी; सेबी की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं। स्रोत: the Hindu / PTI

08 Aug 2024 : हिंडनबर्ग ने चेतावनी दी है कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है. हालांकि शॉर्ट सेलर ने ज्‍यादा डिटेल शेयर नहीं किया है. अब ये सोचने वाली बात है कि हिंडनबर्ग रिसर्च किसी भारतीय कंपनी के बारे में एक बार फिर बड़ा खुलासा करने वाला है.

भारतीय बाजार में इस नई रिपोर्ट के प्रभाव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं, और इस संभावित रिपोर्ट के सामने आने से पहले ही भारतीय शेयर बाजार में हलचल मच गई है।

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हिंडनबर्ग का भारत को लेकर बड़ा एलान, Adani ग्रुप के बाद अब किसका नंबर?

Hindenburg Research ने एक पोस्ट के माध्यम से यह संकेत दिया है कि वे जल्द ही भारत में एक और बड़ी कंपनी पर रिपोर्ट जारी करने वाले हैं। उन्होंने “Something big soon India” (कुछ बड़ा जल्द ही भारत) लिखा है, जिससे कई लोग यह कयास लगाने लगे हैं कि यह किस कंपनी के बारे में हो सकता है।

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण ही गौतम अडानी शेयरों में तगड़ी गिरावट आई थी

पिछले साल 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी (Gautam Adani) के अडानी समूह पर निशाना साधते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसने पूरे उद्योग जगत में हडकंप मचा दी थी। इस रिपोर्ट के कारण ही अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में तगड़ी गिरावट हुई थी और गौतम अडानी दुनिया के नंबर 2 अरबपति बनने के बाद 36वें नंबर पर खिसक गए थे।

सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च को भेजा था 46 पेज का कारण बताओ नोटिस

हिंडनबर्ग रिसर्च के अडाणी समूह की कुछ कंपनी पर आरोप लगाने और संसद से सड़क तक मचे बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसकी जांच की थी। इसके साथ ही सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था। लेकिन अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी ने एक जुलाई, 2024 को इसका जवाब देते हुए सेबी पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।

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