मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश का इतिहास : आजादी से पहले आजादी के बाद

मध्य प्रदेश की जमीन उतनी ही प्राचीन है जितनी की दुनिया । आर्य संस्कृति ने 1500-1000 ईसा पूर्व ऋग्वैद काल में उत्तर तक ही सीमित थी और के वैदिक काल (1000-600 ई.) में, इसने विन्ध्याचल को पार कर मध्य प्रदेश में प्रवेश किया।

आजादी से पहले का मध्य प्रदेश

1947 में, जब भारत को स्वतंत्रता मिली, मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप नहीं था। उस समय यह क्षेत्र मुख्यतः दो भागों में बंटा हुआ था।

पहला भाग : सेंट्रल प्रोविंसेस और बरार (Central Provinces and Berar): यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा था, जो सीधे ब्रिटिश प्रशासन के अधीन था।


दूसरा भाग : कई स्वतंत्र रियासतें थीं, जैसे ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, रीवा, और अन्य। ये रियासतें ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन तो थीं लेकिन उन्हें आंतरिक मामलों में स्वायत्तता प्राप्त थी।

1947 में मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति:

1947 में, मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति काफी जटिल थी, जिसमें सीधे ब्रिटिश प्रशासन और कई स्वतंत्र रियासतें शामिल थीं। स्वतंत्रता के बाद, इन क्षेत्रों का भारतीय संघ में विलय हुआ और मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया।

सेंट्रल प्रोविंसेस और बरार:
शासन : यह क्षेत्र सीधे ब्रिटिश प्रशासन के अधीन था। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय, यह क्षेत्र भारत संघ में शामिल हो गया और इसे मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के नाम से जाना जाने लगा।

राजनीतिक आंदोलन : स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रभावी नेतृत्व और आंदोलन इस क्षेत्र में सक्रिय थे। प्रमुख कांग्रेस नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और जनता को जागरूक किया।

आजादी से पहले मध्य प्रदेश की स्वतंत्र रियासतें कौन से थीं

ग्वालियर: महाराज जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर के शासक थे। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत संघ में ग्वालियर रियासत के विलय का समर्थन किया।

भोपाल: नवाब हमीदुल्लाह खान भोपाल के शासक थे। उन्होंने पहले तो भारत में विलय का विरोध किया, लेकिन बाद में भोपाल भारत का हिस्सा बन गया।

इंदौर: महाराज यशवंतराव होल्कर द्वितीय इंदौर के शासक थे। उन्होंने भी स्वतंत्रता के बाद इंदौर रियासत को भारत में विलय करने का निर्णय लिया।

रीवा: महाराज गुलाब सिंह रीवा के शासक थे, जिन्होंने रीवा रियासत को भारत में विलय करने का निर्णय लिया।

स्वतंत्रता के बाद मध्य प्रदेश :

स्वतंत्रता के बाद, इन सभी रियासतों और सेंट्रल प्रोविंसेस और बरार को मिलाकर नया राज्य ‘मध्य प्रदेश’ बनाया गया। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganisation Act) के तहत मध्य प्रदेश का पुनर्गठन किया गया और वर्तमान मध्य प्रदेश का स्वरूप अस्तित्व में आया।

कैसे हुआ मध्य प्रदेश का गठन :

मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ और मकराइ रियासतों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। उस समय इसकी राजधानी नागपुर में थी। इसके बाद 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश तथा भोपाल राज्यों को भी इसमें ही मिला दिया गया, जबकि दक्षिण के मराठी भाषी विदर्भ क्षेत्र को (राजधानी नागपुर समेत) मुंबई राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया। 

जबलपुर को चुना गया था मध्य प्रदेश की पहली राजधानी के रूप में

पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी के रूप में चिन्हित किया जा रहा था,परंतु अंतिम क्षणों में इस निर्णय को पलटकर भोपाल को राज्य की नवीन राजधानी घोषित कर दिया गया। जो कि सीहोर जिले की एक तहसील हुआ करता था। १ नवंबर २००० को एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ, और छ्त्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का २६वाँ राज्य बन गया।

मध्य प्रदेश का प्रारंभिक आधुनिक काल

सम्राट अकबर (1556-1605) के शासनकाल के दौरान अधिकांश मध्य प्रदेश मुगल शासन के अधीन था। 18वीं शताब्दी में, मराठा साम्राज्य ने विस्तार करना शुरू किया, मालवा में भूमि का बड़ा हिस्से पर मराठों राज्य हो गया।

इंदौर के होल्करों ने मालवा पर शासन किया। झांसी की स्थापना एक मराठा सेनापति ने की थी। भोपाल पर अफगान जनरल दोस्त मोहम्मद खान के वंशज एक मुस्लिम राजवंश का शासन था।

राजा भोज थे भोपाल के राजा
भोपाल जिले के क्षेत्र का प्रारंभिक इतिहास गुमनामी में था। यह दसवीं शताब्दी थी जब मालवा में राजपूत वंशों के नाम दिखाई देने लगे। उनमें से सबसे उल्लेखनीय राजा भोज थे जो एक महान विद्वान और महान योद्धा दोनों थे। कई सालों बाद समय बीतता गया और सिकंदर बेगम की मृत्यु के बाद, शाहजहाँ बेगम पूरी शक्तियों के साथ भोपाल की शासक बनीं।

मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश और उनके क्षेत्र

चंदेल राजवंश : बुंदेलखंड
तोमर राजवंश : ग्वालियर
परमार राजवंश : मालवा (धार)
बुंदेल राजवंश : बुंदेलखंड
होल्कर राजवंश : मालवा (इंदौर)
सिंधिया राजवंश : ग्वालियर
करुश राजवंश : बघेलखंड
चंद्र राजवंश : बघेलखंड से बुंदेलखंड
यादव वंश : चंबल बेतवा की नदियों का मध्य भाग
शुंग राजवंश : विदिशा
नागवंश : विदिशा – ग्वालियर
बोधि राजवंश : जबलपुर (त्रिपुरी/तेवर)
माघ राजवंश : बघेलखंड
अमीर राजवंश : अहिश्वश (विदिशा/झॉसी)
वाकाटक वंश : विंध्य प्रदेश
ओलिकर राजवंश : दासपुर (मंदसौर)

भोपाल के नवाब और मुस्लिम शासक कौन थे?

1723-1728 : नवाब दोस्त मुहम्मद खान बहादुर
1728-1742 : नवाब सुल्तान मुहम्मद खान बहादुर
1742-1777 : नवाब फ़ैज़ मुहम्मद खान बहादुर
1777-1807 : नवाब हयात मुहम्मद खान बहादुर
1807-1826 : नवाब गौस मुहम्मद खान बहादुर
1826-1837 : नवाब मुइज़ मुहम्मद खान बहादुर
1837-1844 : नवाब जहाँगीर मुहम्मद खान बहादुर
1926-1947 : अल-हज नवाब सर हाफ़िज़ मुहम्मद हमीदुल्ला खान बहादुर

भोपाल की बेगम : वर्ष 1819 से 1926 के बीच, चार वीरांगनाओं ने भोपाल रियासत पर शासन किया, जिनके नाम कुदसिया बेगम, सिकंदर बेगम, शाहजहाँ बेगम और सुल्तान जहाँ बेगम थे। शक्तिशाली पुरुष दावेदारों द्वारा विरोध के बावजूद, बेगमें ना केवल डटी रहीं बल्कि उन्होंनें राज्य का विकास भी किया।

1819-1837 : कुदसिया बेगम
1860-1868 : नवाब सिकंदर बेगम
1844-1860 : बेगम सुल्तान शाहजहाँ
1868-1901 : बेगम सुल्तान शाहजहाँ
1901-1926 : बेगम कैखुसरो जहान
1961-1995 : बेगम साजिदा सुल्तान

और पढ़ें: विकसित मध्य प्रदेश

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