मैं 3 महीने की गर्भवती भारतीय महिला हूं। मैं अकेली हूं मेरे साथ कोई अन्य महिला मेरे घर में नहीं है। मेरी लव मैरिज हुई थी इसलिए मेरे मायके वाले मेरे साथ नहीं है। मेरे सुसराल में मेरे पति और छोटा देवर है। पति नौकरी के काम से बाहर रहते हैं। घर पर मैं और मेरा देवर ही रहते हैं। अभी मेरे पति ने घर पर एक नौकरानी का इंतजाम करवाया है।
3 महीने की गर्भवती महिला का घर पर अकेले रहना वाकई मुश्किल होता है। खासकर बिना किसी अन्य महिला की मौजूदगी के। इस चुनौतिपूर्ण स्थिति में कैसे खुद ख्याल रखें यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। तो आइए आज मैं और आप इस बारे में बात करते हैं।
वैसे तो यह प्रश्न मेरे एक सहेली ने मुझसे पूछा था। लेकिन मैं खुद इस स्थिति से गुजर चूकी हूं हालांकि मेरी स्थिति में थोड़ा बदलाव था। मैं पूर्ण रूप से अकेली नहीं थी लेकिन मेरी सासू मां बहुत उम्र दराज थी। जो कि काम नहीं कर पाती थी और ना ही मुझे उनसे कोई मदद मांगने का या परेशान करने का मन होता था। तो मैंने जो तरीके अपनाएं उन तरीकों को तो बात करेंगे ही साथ ही हम बिल्कुल अकेली महिला इस स्थिति से कैसे निपटे उसकी भी बात करेंगे।
अकेली गर्भवती महिला कैसे खुद को संभाले :
सबसे पहले खुद पर पूरा आत्मविश्वास रखे और बैचेन न हो। ईश्वर पर और खुद पर भरोसा हमें एक हिम्मत देता है। उसके बाद हम जो तरीके अपनाते हैं वो अच्छे से कारगार हो सकते हैं।
अपने मित्र और रिश्तेदारों से संपर्क बनाये रखें :
माना कि आपके घर में कोई अन्य महिला मौजूद न हो, लेकिन दोस्तों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों से संपर्क करने पर विचार करें जो ज़रूरत पड़ने पर भावनात्मक समर्थन और सहायता प्रदान कर सकते हैं। कभी-कभी सिर्फ़ किसी से बात करने से ही खुद को एक हौंसला मिलता है।
अपने चिकित्सक से संपर्क बनाये रखें :
सुनिश्चित करें कि आप अपने डॉक्टर या दाई से नियमित संपर्क बनाए रख पा रही हैं या नहीं। वे प्रसव होने के पहले क्या – क्या सावधानियों रखनी चाहिए आपको बतलाईगी। एवं खुद के देखभाल के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करेंगी। आपकी गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानियों के बारे में आपकी किसी भी चिंता का समाधान कर सकते हैं।
अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखेंः
अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना बहुत ज़रूरी है। पौष्टिक भोजन करें, हाइड्रेटेड रहें और भरपूर आराम करें। प्रसवपूर्व योग या पैदल चलने जैसे हल्के व्यायाम भी फ़ायदेमंद हो सकते हैं।
गर्भावस्था के बारे में जानकारी जुटाते रहें :
गर्भावस्था, प्रसव और नवजात शिशु की देखभाल के बारे में खुद को शिक्षित करने के लिए समय निकालें। मोबाईल या लेपटॉप पर गर्भावस्था के बारे में ऑनलाइन किताबों सर्च करें। ऑनलाईन प्रसवपूर्व क्लास को ज्वॉइन कर सकती हैं। जो आपको अधिक तैयार महसूस करने में मदद कर सकते हैं।
अपने आपको एवं घर के माहौल को आने वाली स्थिति के लिए तैयार रखें :
अपने बच्चे के आगमन के लिए अपने घर को तैयार करना शुरू करें। इसमें अपने लिए एक आरामदायक जगह बनाना, बच्चे की ज़रूरी चीज़ों को व्यवस्थित करना और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना शामिल हो सकता है।
काउंसलिंग अथवा थैरेपी के बारे में सोचे :
अगर आप अभिभूत या चिंतित महसूस करते हैं, तो पेशेवर मदद लेने में संकोच न करें। काउंसलिंग या थेरेपी आपको इस दौरान सामना करने की रणनीतियाँ और भावनात्मक समर्थन प्रदान कर सकती है।
अपने पति से लगातार संपर्क बनाये रखें :
अपनी ज़रूरतों, चिंताओं और उनसे किसी भी तरह के समर्थन के बारे में अपने पति से खुलकर संवाद करें। भले ही वह हर समय शारीरिक रूप से मौजूद न हो, लेकिन उनका भावनात्मक समर्थन अमूल्य हो सकता है।
भविष्य की एक योजना बनाएँ :
अपने चिकित्सक और अपने पति के साथ प्रसव और प्रसवोत्तर देखभाल की योजनाओं पर सलाह लेते रहें एवं उनको अपने विचारों के बारे में अवगत करायें। इससे आपकी कुछ चिंता कम हो सकती है।
सकारात्मक सोच बनाये रखें :
गर्भावस्था में भावनाओं पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। गर्भावस्था में मन के विचार बार-बार बदलते रहते हैं।
याद रखें, जब आपको मदद की ज़रूरत हो तो मदद मांगने में संकोच न करें। आपके चारों ओर आपके जीवन के इस खास समय में कई लोग आपकी मदद करने के लिए लोग तैयार हैं।
अकेली गर्भावती महिला को होने वाली परेशानियां :
अकेले होने का मतलब है कि घर पर कोई तत्काल सहायता नहीं है, जिससे अकेलेपन, अलगाव और बढ़े हुए तनाव की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं। गर्भवती महिला को घर के काम, खाना बनाना और अन्य दैनिक कार्य अकेले ही करने पड़ सकते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से कठिन हो सकते हैं। ऐसे में आप खुद को संभाले इस बार कुछ चर्चा करते हैं।
सीमित मार्गदर्शन और सलाहः
किसी अन्य महिला या अनुभवी देखभालकर्ता की मौजूदगी के बिना, गर्भावस्था से संबंधित चिंताओं या आपात स्थितियों के लिए तत्काल सलाह या सहायता प्राप्त करने में चुनौतियाँ हो सकती हैं।
भावनात्मक स्वास्थ्यः
साथी और भावनात्मक सहायता की अनुपस्थिति गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्वास्थ्य को कमज़ोर समय के दौरान प्रभावित कर सकती है।
सुरक्षा संबंधी चिंताएँः
गर्भावस्था के साथ सुरक्षा सावधानियाँ और चिंताएँ भी आ सकती हैं। अकेले होने से व्यक्तिगत सुरक्षा और अप्रत्याशित स्थितियों को संभालने की चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
चिकित्सा सहायताः
स्थिति के आधार पर, महिला की मदद करने या उसका साथ देने वाले किसी व्यक्ति के बिना समय पर चिकित्सा देखभाल या आपातकालीन सहायता तक पहुँच से समझौता किया जा सकता है।
हम महिला हैं तो क्या हुआ, क्या हम में आत्मविश्वास की कमी है नहीं ना, तो फिर हमें इस बात से नहीं डरना चाहिए कि हम खुद का ख्याल कैसे रखे। बेशक हम अकेले हैं मगर आस-पास बहुत से परिवार और लोग होतें हैं जो हमारी परेशानियों में साथ खड़े होते हैं। खुद पर और ईश्वर भरोसा रखें। एक भारतीय महिला के पास ईश्वर की दी हुई बहुत बड़ी शक्ति होती है जिससे वो दुनिया में एक नया जीव ला सके। तो फिर ईश्वर ने हमें ये मौका दिया है तो उसको संभालने के लिए हमारे अंदर वो गुण भी दिये हैं। इसलिए खुद के आत्मविश्वास न खोने दें। हमेशा सकारात्मक सोच रखें।
यदि आपको पास भी ऐसे ही कुछ किस्से अथवा जीवन के अनुभव हों तो हमें जरूर बतायें, हम उनको अपनी इस वेबसाईट पर जरूर प्रकाशित करेंगे।
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