योग / एक्सरसाइज

भारतीय योग विशेष 2024 : शरीर, मन और आत्मा के लिए पूर्ण समर्पण

योग 5000 वर्ष से भारतीय ज्ञानपीठ का एक महत्वपूर्ण अंग है, योग में केवल हाथ पैर मोड़ना या शरीर को तोड़ना नहीं होता है बल्कि एक नियमबद्ध तरीके से शरीर के अंगों को सही दिशा देने का ज्ञान होता है। हम आसन और प्राणायाम की सहायता से अपने मन, श्वांस और शरीर के विभिन्न अंगो में सामंजस्य बैठाते हैं, आज योग दुनिया में स्वास्थ्य और शांति के लिए एक प्रमुख माध्यम बन गया है। और भारतीय योग दुनिया भर में महशूर हो रहा है चाहे दुनिया उसको अलग तरीके से कर ले मगर सभी आसान हमारे पुराने सनातन योग का ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हम आने वाले योग दिवस यानि 21 जून को आने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए हम योग से होने वाले लाभ की बात करेंगे।

योग का महत्व : योग एक प्राचीन भारतीय प्रक्रिया है जो शारीरिक संतुलन के साथ – साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी एक संतुलन बनाता है। कहने का तात्पर्य है कि यह न केवल शारीरिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मा के विकास में भी सहायक होता है।

भारतीय योग के लाभ :

सबसे प्रथम एवं सबसे छोटे लाभ की बात करें तो योग हमे सबसे पहले शारीरिक लाभ प्रदान करता है। योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है योग द्वारा हम अपनी मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बन सकते हैं, और रक्त संचार को बेहतर बन सकते हैं।

नियमित योग करने से प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम मानसिक तनाव को कम कर सकते है। योग के द्वारा हम हमारे चंचल मन को एक स्थिरता दे सकते हैं। जिससे हम बैचेनी घबराहट जैसी बीमारियों के शिकार होने से बच सकते हैं।

योग का सबसे बड़ लाभ है हमारी आत्मा का विकास। योग हमारी आत्मा से संपर्क करने में मदद करता है और आपको आत्मा के निकटता में लाता है। हम जान पाते हैं कि हम शरीर हैं, अथवा आत्मा। जब हम यह समझ लेते हैं कि हम शरीर नहीं आत्मा हैं तो हम आत्मा के घर यानि हमारे शरीर को और भी स्वस्थ रखने के लिए प्रेरित होते हैं।

भारतीय योग के प्रमुख प्रकार :

वैसे तो हमारी संस्कृति में योग के कई प्रकार दिये हैं फिर भी हम यहां संक्षेप में योग के प्रकार आपको बताते हैं।

  1. हठ योग : हठ योग में हमारा पूरा ध्यान हमारी शारीरिक अभ्यासों पर केंद्रित रहाता है, जिसमें आसन, प्राणायाम और शुद्धि की प्रक्रिया शामिल होती हैं।
  2. ’भक्ति योग : भगवान के प्रति भक्ति करना ही भक्ति योग कहलाता है, जिसमें ध्यान और पूजा शामिल होती है।
  3. ’कर्म योग : कर्म योग उस प्रक्रिया को कहता है जिसमें कर्मों के माध्यम से योगी अपनी आत्मा को शुद्ध करता है।

यदि आपने हमारे भारतीय योग का अध्ययन या अनुभव किया है तो आप जान सकते हैं कि भारतीय योग हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को कितना समृद्ध बना सकता है। जितना योग अपनी सरलता और प्रभावीता के लिए प्रसिद्ध है उतना कोई क्रिया प्रसिद्ध नहीं है न ही कारगार है।

योग के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसके अनेक लाभ होते हैं जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। योग का नियमित अभ्यास शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

कितने प्रकार के आसन होते हैं भारतीय योग में

  • सूर्य नमस्कार
  • वज्रासन
  • बद्धकोणासन
  • उष्ट्रासन
  • हस्त पादासन
  • मर्जरी आसन
  • गरुड़ासन
  • हलासन
  • कोणासन
  • वृक्षासन
  • अधोमुखश्वान आसन
  • भुजंगासन
  • शवासन

महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दौरान कौन से योगासन करने चाहिए

महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या होती है कि वो गर्भावस्था में येग करें या न करें। वैसे तो योग किसी भी स्थिति में कर सकते हैं मगर उसके लिए आपको ज्ञात होना चाहिए। कि कौना सा योग किस समय करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि कोई सा भी योग आप करने लगे। नहीं, आपको अपने योग गुरू अथवा अपने चिकित्सक से पूछ कर रही योग करना चाहिए अन्यथा योग करने से बचें।

वैसे प्रतिदिन किया हुआ योगाभ्यास आपको तंदुरुस्त रखता है और प्रसव के दौरान मन व शरीर को भी संतुलित रखने में भी मदद करता है। गर्भावास्था के दौरान किये हुए योगसान आपको कब्ज और उल्टी जैसे समस्याओं से बचा सकता है। परंतु यहां मैं फिर से वो ही बात कहना चाहूंगी कि आपको ज्ञात होना चाहिए कि गर्भावास्था में कौन से योग करने चाहिए कौन से नहीं।

गर्भावस्था के दौरान किन योगासन पर ध्यान दें

  • सुखासन
  • मार्जारिआसन
  • उज्जयी साँस के साथ वज्रासन
  • ताड़ासन
  • कोनासन-1
  • कोनासन-2
  • त्रिकोनासन
  • वीरभद्रासन
  • पश्चिमोत्तानासन
  • बद्धकोणासन
  • विपरीतकर्णी
  • शवासन

गर्भावास्था के दौरान क्या सावधानी रखें

गर्भावस्था के शुरूआती महीने में ऐेसे आसन न करें पेट के निचले हिस्से पर अधिक दबाव डालें। गर्भावस्था के बीच के तीन महीनों के दौरान, थका देने वाले, ज्यादा फुर्तीले आसन नहीं करनी चाहिए। गर्भावस्था के 3 से 4 महीने तक कोई भी योगासन नहीं करना चाहिए। आप उन योगासानों को ही करें जिनमें आप सहजता महसूस कर रही हों। नौकासन, चक्रासन या हलासन जैसे योगासन करने से बचें। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान खड़े रहने वाले कुछ योगासन आप कर सकती हैं।

मनुष्यता के लिए भारतीय योग एक वरदान है प्रत्येक व्यक्ति एवं महिला को योग जरूर करना चाहिए। परंतु अपने योग गुरू का आश्रय लेकर ही करें। योग में सावधानी बरतना उतना ही जरूरी है जितना हम चिकित्सक की दवाई लेते समय बरतते हैं।

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