देवी भागवत के अनुसार अनन्त कोटि ब्रह्माण्डात्मक प्रपञ्च की अधिष्ठानभूता सच्चिदानन्दरूपा भगवती ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता, स्फूर्ति तथा सरसता प्रदान करती हैं। ये सारा विश्व प्रपञ्च उन्हीं से उत्पन्न होता है, अन्त में उन्हीं में लीन हो जाता है। जैसे दर्पण में आकाश मण्डल, भूधर, सागरादि प्रपञ्च प्रतीत होता है, दर्पण को स्पर्श कर देखा जाय तो यहाँ वास्तव में कुछ भी उपलब्ध नहीं होता, वैसे ही सच्चिदानन्दरूप महाचिति भगवती में सम्पूर्ण विश्व भासित होता है। जैसे दर्पण के बिना प्रतिबिम्ब का भान नहीं होता, दर्पण के उपलम्भ मे ही प्रतिबिम्ब का उपलम्भ होता है, वसे ही अखण्ड नित्य निर्विकार महाचिति में ही उसके अस्तित्व में ही प्रमाता, प्रमाण, प्रमेयादि विश्व उपलब्ध होता है। अधिष्ठान न होनेपर भास्यके उपलम्भ की आशा नहीं की जा सकती।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 09 स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा ने समय-समय पर अपने नौ अवतार लिए हैं. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है. इन नौ रूपों के नाम ये रहे:
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
- पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
- नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना।।
नवदुर्गा कौन हैं
देवी की नौ मूर्तियाँ हैं, जिन्हें ‘नवदुर्गा’ कहते हैं। उनके पृथक् पृथक् नाम बतलाये जाते हैं। प्रथम नाम शैलपुत्री है। दूसरी मूर्तिका नाम ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नाम से प्रसिद्ध है। चौथी मूर्ति को कूष्माण्डारे कहते हैं। पाँचवीं दुर्गाका नाम स्कन्दमाता है। देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं। सातवाँ कालरात्रि और आठवाँ स्वरूप महागौरी के नामसे प्रसिद्ध है। नवीं दुर्गाका नाम सिद्धिदात्री है।
मां शैलपुत्रीः मां दुर्गा का प्रथम अवतार मां शैलपुत्री हैं. घटस्थापना के साथ नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा होती है. ये पर्वतराज हिमालय की कन्या के रूप में जन्म ली थीं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
माँ शैलपुत्री की पूजा में कौन से मन्त्र का जाप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: मन्त्र के जप से आप माँ दुर्गा के पहले स्वरुप माँ शैलपुत्री की आराधना कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणीः मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है. नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी ही पूजा होती है. इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप और साधना किया था, जिसकी वजह से इनको ब्रह्मचारिणी कहते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में कौन से मन्त्र का जाप करें?
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’ मन्त्र के जप से आप माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी का आवाहन कर सकते हैं ।
मां चंद्रघंटाः मां दुर्गा की तीसरा अवतार हैं मां चंद्रघंटा. नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा होती है. ये माता घंटे के आकार का चंद्रमा धारण करती हैं, इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा में कौन से मन्त्र का जाप करें?‘
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:’ मन्त्र के जप से आप माँ दुर्गा के तीसरे स्वरुप माँ चंद्रघंटा का आवाहन कर सकते हैं ।
मां कूष्माण्डाः मां दुर्गा का चैथा अवतार हैं मां कूष्मांडा. कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा है. इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं, जिससे कई कुम्हड़े को जन्म देने की क्षमता है. इस देवी में पूरे ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की क्षमता है, इसलिए इनका नाम कूष्मांडा पड़ा. नवरात्रि के चैथे दिन इनकी पूजा करते हैं।
माँ कूष्मांडा की पूजा में कौन से मन्त्र का जाप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:’ के जप से आप माँ दुर्गा के चौथे स्वरुप माँ कूष्मांडा की आराधना कर सकते हैं।
मां स्कंदमाताः मां दुर्गा का पांचवां अवतार हैं मां स्कंदमाता. स्कंदमाता का तात्पर्य है स्कंद कुमार की माता से. स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम है. इस माता की गोद में 6 मुख वाले स्कंद कुमार बैठे हुए दिखाई देते हैं. ये देवी सुख प्रदान करने वाली हैं. नवरात्रि के पांचवे दिन इनका पूजन होता है।
स्कंदमाता की पूजा में कौन से मन्त्र का जप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमतायै नम:’ के जप से आप माँ दुर्गा के पाँचवें स्वरुप माँ स्कंदमाता का आवाहन कर सकते हैं ।
मां कात्यायनीः मां दुर्गा का छठा अवतार हैं मां कात्यायनी. कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में इस देवी को जाना जाता है, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. यह देवी सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं. नवरात्रि के छठे दिन इस देवी की पूजा करते हैं।
माँ कात्यायनी की पूजा में कौन से मन्त्र का जप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:’ के जप से आप माँ दुर्गा के छठें स्वरुप माँ कात्यायनी का आवाहन कर सकते हैं ।
मां कालरात्रिः मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं मां कालरात्रि. नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है. मां कालरात्रि अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों से अभय यानि निडरता प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि की पूजा में कौन से मन्त्र का जप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम: जप से आप माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप माँ कालरात्रि की पूजा कर सकते हैं
मां महागौरीः मां दुर्गा का आठवां अवतार हैं मां महागौरी. दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया तो उनका शरीर काला पड़ गया था. तब भगवान शिव के वरदान से इनको गौर वर्ण प्राप्त हुआ और तब यह मां महागौरी कहलाईं. इनको मोक्ष और परम आनंद प्रदान करने के लिए भी जानते हैं।
माँ महागौरी की पूजा में कौन से मन्त्र का जप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:’ के जप से आप माँ दुर्गा के आठवें स्वरुप माँ महागौरी की पूजा कर सकते हैं ।
मां सिद्धिदात्रीः मां दुर्गा का नौवां अवतार हैं मां सिद्धिदात्री. इस मां की आराधना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्ध्यिां प्राप्त होती हैं. महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा में कौन से मन्त्र का जप करें?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:’ के जप से आप माँ दुर्गा के नौवें स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की पूजा कर सकते हैं ।
अंतिम दिन विजयोत्सव मनाते हैं क्योंकि हम तीनों गुणों से परे त्रिगुणातीत अवस्था में आ जाते हैं। काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ आदि जितनी भी राक्षसी प्रवृत्तियाँ हैं उनका हनन करके विजय का उत्सव मनाते हैं। माँ दुर्गा के नौ रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्रि मनाना है। असीम आनन्द और हर्षोल्लास के नौ दिनों का उचित समापन बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा मनाने के साथ होता है।
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