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क्या है Gray divorce, इसके फायदे और नुकसान क्या है?  भारत में तलाक का कानूनी आधार क्या है?

Gray Divorce

आप जीवन भर एक-दुसरे के प्यार के रंगों में रंगे रहे और उम्र के एक ऐसे पड़ाव में आकार आपको तलाक लेने की सिथति पैदा हो गई, जहां एक-दूसरे की ज्यादा जरूरत होती है। जीवन के अंतिम पड़ाव में तलाक लेना भावनात्मक रूप से बहुत कष्टदायक हो सकता है। क्योंकि कपल ने अपने जीवन के कई दशक एक-दूसरे के साथ बिताए। एक-दूसरे के साथ विवाहित रहते हुए एक परिवार और कई यादें बनाई हैं। फिर वे चाहे खुशी के पल हो या कोई दुख का मंजर, हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे। अब जीवन में दुख का प्रतिशत कब बढ़ गया यह पता नहीं चला और तलाक की नौबत आ गई।

क्या है ग्रे-तलाक

उम्र के अंतिम पड़ाव पर आकर एक प्यारे जोड़े को तलाक लेकर एक-दूसरे से अलग रहना पड़े उसे ग्रे-तलाक कहा गया है। जीवन का यह “ग्रे तलाक“ चुनौतियों भरा होता है। क्योंकि व्यक्ति इतने लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ रहा और अब एक-दूसरे से अलग रहने के लिए खुद से लड़ेगें। एक-एक घड़ी जिस इंसान के साथ बिताए अब उसये ही अलग रहना पड़ रहा है। यह बहुत दिल को तोड़ने वाली स्थिति होती है। परंतु कहीं न कहीं रिश्ते के बीच में प्यार की कमी और तनाव की अधिकता के कारण इस ग्रे-तलाक की स्थिति बनी।

जब साथ रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो तो अलग रहना ही उचित होता है। उम्र के इस पड़ाव पर आकर जोड़ा ग्रे-तलाक का सहारा लेता है। और अपने जीवन को मृत्यु होने तक अकेले ही सही खुशी से बिताना चाहता है। परंतु समस्या आती है एक-दूसरे से कैसे अलग हों, कैसे एक-दूसरे पर इल्जाम लगाया जाए।

ग्रे तलाक के दौरान आने वाली समस्या क्या है

ग्रे तलाक से गुज़र रहे बुज़ुर्ग जोड़ों के सामने एक आम दुविधा तलाक की मध्यस्थता और मुकदमेबाज़ी के बीच चुनाव करना है। इन शब्दों का अक्सर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इस तथ्य के बावजूद कि तलाक की प्रक्रिया की बात करें तो उनके अर्थ काफ़ी अलग-अलग होते हैं। इन दो प्रक्रियाओं के बीच अंतर जानना और उनमें क्या शामिल है, यह तलाक की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

क्या ग्रे-तलाक के लिए अनुभवी वकील का आवश्यकता होती है
उम्र के इस अंतिम पड़ाव पर मुश्किलों से बचने के लिए जूझ रहे व्यक्तियों के लिए एक अनुभवी वकील के मार्गदर्शन की जरूरत होती है। एक अच्छा वकील ग्रे-तलाक के प्रत्येक फायदे और नुकसान पर प्रकाश डाल सकते हैं। अपने विकल्पों को अधिक स्पष्ट रूप से समझकर, तलाकशुदा पति-पत्नी सूचित निर्णय ले सकते है।

अदालत में अपने पक्ष में सही तरीके से मुकदमा लड़ने के लिए हमारा प्रतिनिधि एक अच्छा वकील होना जरूरी है। क्योंकि जब ग्रे-तलाक लिया जाता है तो उसमें एक-दूसरे को अलग रहने की ही बात नहीं होती बल्कि संपत्ति या संपत्ति के विभाजन जैसे मामलों पर निर्णय लेता होता है। यदि पति-पत्नी आपसी सहमति पर नहीं आ पाते हैं। दूसरा पक्ष तलाक के समझौतों का विरोध करता है तो वे अनिवार्य रूप से अदालत से हस्तक्षेप करने और कानूनी तलाक प्रक्रियाओं के अनुसार निर्णय लेने के लिए कह रहे हैं।

ग्रे-तलाक में मुकदमेबाजी से क्या लाभ एवं नुकसान होते हैं?

मुकदमेबाजी से कुछ लाभ मिलते हैं, जैसे कि विभिन्न कारणों से छिपाई हुई संपत्ति पर हक जाहिर कर सकता है और उसके भविष्य जीवन के लिए वो संपति का कुछ हिस्सा मांग सकता है। नुकसान ये होता है कि आप अकेले रह जाएंगे। मुकदमे बाजी से आपके ऊपर सार्वजनिक रूप से कई इल्जाम लगाए जा सकते है। आप बदनाम हो सकते है। क्योंकि विपक्ष का वकील आपको हारने के लिए कोई भी इल्जाम लगाएगा।

हालाँकि, मुकदमेबाजी का विकल्प चुनने से कई जोखिम होते हैं, जिसमें तलाक के विभाजन के परिणामों से असंतुष्ट होना भी शामिल है। जोड़ों को उनके वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं क्योंकि संपत्ति, ऋण और संपत्ति को कैसे विभाजित किया जाएगा, इस पर आपसी सहमति के बजाय निर्णय न्यायाधीश के हाथों में छोड़ दिया जाता है। इस कारण तलाकशुदा जोड़ों में असंतोष पैदा हो सकता है।

ग्रे तलाक में मध्यस्थता क्या है?

ग्रे तलाक में मध्यस्थता लाने के लिए बाकी आम पारंपरिक तलाक मुकदमेबाजी के मुकाबले में ज्यादा नर्म स्वभाव के होते है। ग्रे तलाक में कठोरता नही दिखाई जाती है। ग्रे तलाक के विवादों को सुलझाने के लिए अदालत एक सहयोगात्मक तथा कम भावनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

तलाक की मध्यस्थता के लिए अदालत इस जोड़े को अथवा पति-पत्नी के बीच आपसी चर्चा का मौका देती है, और उनका लक्ष्य उन मुद्दों को खतम करने का होता है जिन मुद्दों के कारण तलाक की नौबत आई है। मध्यस्थता दोनों पक्षों को पारस्परिक रूप से सहमत अंतिम तलाक समझौते को तैयार करने के लिए लाभकारी चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने की अनुमति देती है। उनका उद्देश्य संपत्ति और परिसंपत्तियों के विभाजन से संबंधित चर्चाओं के दौरान यह निर्धारित करना नहीं है कि कौन सही है या गलत, बल्कि विवाद के विषयों के बारे में आपसी सहमति प्राप्त करने की दिशा में बातचीत को निर्देशित करना है। मध्यस्थता सहयोग और संवाद को बढ़ावा देकर तनाव और संघर्ष को कम करने में मदद करती है, जिससे वृद्ध जोड़ों को भावनात्मक उथल-पुथल से बचाया जा सकता है जो अक्सर विवादास्पद अदालती कार्यवाही से जुड़ी होती है।

पति-पत्नी के बीच शक्ति असंतुलन मध्यस्थता प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से यदि एक पक्ष अधिक मुखर हो और दूसरा पक्ष मध्यस्थता से अपनी इच्छानुसार कार्य करे, तो इससे विवादों के न्यायसंगत समाधान की संभावना कम हो सकती है।

यदि मेरा तलाक सौहार्दपूर्ण है तो क्या मुझे वकील की आवश्यकता है?

निर्विवाद तलाक के मामलों में , जहाँ दोनों पति-पत्नी अपने ग्रे तलाक की शर्तों के बारे में आपसी सहमति में होते हैं, वहाँ तलाक को स्वयं करने और कानूनी प्रतिनिधित्व से दूर रहने का प्रलोभन हो सकता है। हालाँकि यह सच है कि निर्विवाद और विवादित तलाक में जोड़े पारिवारिक कानून वकील या तलाक वकील को रखने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन उनके पक्ष में कानूनी सलाहकार होने के महत्व को पहचानना महत्वपूर्ण है।

क्या ग्रे तलाक के बाद भी तलाकशुदा जोड़े को मिलना चाहिए।

जब आप तलाक लेकर अपने पार्टनर से अलग हो गए हैं तो दुबारा मिलने से कोई फायदा नही है। फिर भी यदि एक पक्ष मिलना चाहता तो उसको आप साफ मना कर दें कि आप मिलना नही चाहते क्योंकि हो सकता है कि दुबारा मिलना आपके लिए नुकसान दायक हो। आप कुछ दिनों तक अथवा कुछ महीनो तक अपने वकील के माध्यम से ही अपने पुराने साथ से मिलें।

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत भारत में तलाक का कानूनी आधार क्या है?

भारत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत तलाक के कुछ कानूनी आधार हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • व्यभिचार (Adultery): व्यभिचार का अर्थ है चरित्र हीनता। यदि पति या पत्नी ने किसी और के साथ संबंध बनाए हैं। एक विवाहित महिला द्वारा अपने पति के अलावा किसी अन्य के साथ चौरी छुपे स्वैच्छिक सेक्स या संभोग करने वाली स्त्री को व्यभिचारी कहते हैं। ये एक बड़ा कारण हो सकता है बढ़ती उम्र में ग्रे डायवोर्स लेने का।
  • क्रूरता (Cruelty): क्रूरता दो तरह की होती है, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना। इसके अंतर्गत अपने जीवनसाथी को पीटना, चोट पहुँचाना, यौन शोषण करना, अपमानित करना, अपने जीवनसाथी या उनके परिवार को धमकाना आदि लक्षण आते है। न्यायालय आमतौर पर शारीरिक या मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए संयुक्त अनुरोधों को अस्वीकार कर देते हैं। न्यायाधीश आमतौर पर यह तय करते समय इन कारकों पर विचार करता है कि क्या क्रूरता असहनीय हो गई है:
  • प्रत्येक पति या पत्नी की विशेषताएँ (जैसे, आयु, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, व्यक्तित्व)
  • जीवनसाथी की क्रूर हरकतें
  • क्या ये कार्य जानबूझकर किए गए हैं
  • वे कितनी बार घटित होते हैं
  • पीड़ित पर प्रभाव

यहां ये बात ध्यान रखने वाली है कि यदि जिस पति या पत्नी के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, वह दूसरे पति या पत्नी की क्रूरता को माफ कर देता है, तो वह क्रूरता को तलाक का कारण नहीं बना सकता।

  • त्याग (Desertion): पति या पत्नी द्वारा कम से कम 2 साल तक त्याग। भारतीय कानून के मुताबिक, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ख) के तहत, परित्याग के आधार पर तलाक लिया जा सकता है. परित्याग का मतलब है कि कोई व्यक्ति बिना वजह, सहमति के, या इच्छा के दूसरे व्यक्ति को छोड़ दे।
  • धार्मिक परिवर्तन (Conversion): पति या पत्नी का धर्म परिवर्तन। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के दूसरे धर्म में धर्मांतरण के कारण तलाक के लिए आवेदन करने पर विचार कर रहा है, तो उसे किसी योग्य पारिवारिक कानून वकील से परामर्श करना चाहिए जो उनके धर्म पर लागू विशिष्ट विवाह कानूनों से परिचित हो।
  • मानसिक विकार (Mental Disorder): गंभीर मानसिक बीमारी। मानसिक विकार किसी सूरत से भी तलाक का आधार नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि जब तक कि यह साबित न हो जाए कि मानसिक विकार वाले व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना दुश्वार है तब तक तलाक नहीं दिया जा सकता है।
  • मृत्यु की संभावना (Presumption of Death): पति या पत्नी सात साल तक गायब रहे हों। यदि पति कई सालों तक आपसे कोई कॉन्टैक्ट न करे, न ही उसके किसी रितेदार या किसी भी जान पहचान वाले को उसकी कोई खबर हो, तो आप उसके साथ कोई अनहोनी की गुंजाइश हो सकती है। एक समय तक उसका इंतजार करके अपनी जिंदगी में आगे बड़ सकते हैं।

तलाक की कार्यवाही के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज क्या हैं?

तलाक लेने का एक सबसे अच्छा तरीका है एक दूसरे पर कम से कम मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचाकर आपसी सहमति से तलाक लेना जिसको हम म्यूचुअल तलाक भी कहते हैं। अब जानते हैं कि तलाक की कार्यवाही के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ और प्रपत्र की आवश्यकता पड़ सकती हैं जिनमे कुछ जरूरी दस्तावेज ये हैं :

  • Divorce Petition (तलाक याचिका)
  • Marriage Certificate (विवाह प्रमाण पत्र)
  • शादी की चार तस्वीरें (marriage photo)
  • Proof of identity and address (पहचान और पते का प्रमाण)
  • Financial Documents (वित्तीय दस्तावेज़)
  • Birth certificates of children (बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र)
  • Financial Disclosure Form (वित्तीय प्रकटीकरण फ़ॉर्म)
  • Form A

क्या मैं तलाक के कागजात पर हस्ताक्षर करने के बाद अपना मन बदल सकता हूँ?

सबसे पहले तो आप ये समझ लीजिए कि तलाक कोई मामूली चीज नही है ये दो जिंदगी का बहुत बड़ा फैसला है इसलिए पति-पत्नी को आपसी तलाक के लिए फाइल करने से पहले कम से कम एक साल के लिए अलग रहना चाहिए जिससे एक दूसरे को समझने का मौका मिलता है और दोनो को ये बात कन्फर्म हो जाती है की दोनो को वाकई में तलाक लेना जरूरी हैं। यदि आपको लगता है कि आपने तलाक लेने मैं जल्दी की है तो आप तलाक की याचिका वापस ले सकते हैं इसके लिए स्थानीय न्यायालय में अपने तलाक के कागजात जमा करने के तुरंत बाद, आपको काउंटी क्लर्क के पास जाना चाहिए और याचिका के लिए पूछना चाहिए। अगर यह अभी तक दायर नहीं किया गया है, तो आप इसे वापस ले सकते हैं। हालाँकि, आपको क्लर्क को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि वह आपको बता सके कि अतिरिक्त फ़ॉर्म दाखिल करने की आवश्यकता है या नहीं।

यदि आप और आपके जीवनसाथी के बीच सुलह हो जाती है, तो आप अदालत से मामले को खारिज करने के लिए कह सकते हैं, हालाँकि आपको दाखिल करने के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है। हां, यदि आपका तलाक का मामला अंतिम चरण में है, या तलाक समझौते पर पहले ही हस्ताक्षर हो चुके हैं, तो फिर फैसला वापिस लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

क्या ग्रे तलाक के बाद मेरा जीवन सुखमय होगा।

आपने अपने साथ से तलाक ले लिया और किन कारणों से लिया ये इस बात पर निर्भर करता है। हो सकता है आपका तलाक लेना आपकी मर्जी न हो मगर परिस्थिति के कारण आप अपने साथ से अलग हो गए तो आपको जीवन भर एक कमी महसूस हो सकती है। मगर मेरा मानना है की आप तलाक लेकर अपने आपको व्यस्त रखें और अपने भविष्य के aur dekhte hue सुखमय जीवन बताएं। इसका एक पहलू यह भी है कि जीने के लिए बहुत सारे साल बचे हैं, इसका मतलब है कि कई व्यक्तियों को लगता है कि अन्य रुचियों को अपनाकर और/या नए रिश्ते शुरू करके खुशी पाने का अभी भी अवसर है।

एक तलाकशुदा महिला के लिए जीवन की चुनौतियां

ग्रे डिवोर्स (Gray Divorce) के बाद जीवन में कई परिवर्तन आ सकते हैं जैसे :

  • लंबे समय तक साथी के साथ रहने के बाद अकेले रहना मुश्किल हो सकता है।
  • डिवोर्स के बाद आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।
  • तनाव, चिंता, और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • हेल्थकेयर की व्यवस्था बदल सकती है।

भारत में ग्रे-तलाक की क्या स्थिति है?

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2017 के बीच भारत में तलाक की दर लगभग दोगुनी हो गई है। जबकि यह दर कुल आबादी की तुलना में अभी भी कम है, यह संकेत देता है कि तलाक अब अधिक स्वीकृत और सामान्य हो रहा है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। उम्रदराज जोड़ों में तलाक के मामले भी इसी रुझान का हिस्सा हो सकते हैं।

सैफ अली खान और अमृता सिंह: सैफ अली खान और अमृता सिंह का तलाक 2004 में हुआ था। उनकी शादी 1991 में हुई थी और तलाक के समय अमृता सिंह की उम्र लगभग 46 साल थी।

कमल हासन और सारिका: कमल हासन और सारिका का तलाक 2004 में हुआ था। उनकी शादी 1988 में हुई थी और तलाक के समय सारिका की उम्र लगभग 44 साल थी।

लीला सैमसन: प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना लीला सैमसन का तलाक उनके पति से हो चुका है। हालाँकि, तलाक के समय उनकी उम्र और अन्य विवरण सार्वजनिक नहीं हैं, यह उल्लेखनीय है कि यह ग्रे तलाक के संदर्भ में एक उदाहरण है।

ग्रे तलाक के और उदाहरण जानने के लिए क्लिक करें – भारत में ग्रे तलाक की क्या स्थिति है?

ग्रे तलाक को रोकने के लिए युक्तियाँ

उम्र बढ़ने के साथ कई जोड़ों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, भले ही आप और आपका जीवनसाथी नए जीवन परिवर्तनों से जूझ रहे हों, ग्रे तलाक अपरिहार्य नहीं है। ग्रे तलाक को रोकने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैंः

साथ में समय बिताएं : आपकी उम्र चाहे कुछ भी हो, अपने जीवनसाथी के साथ क्वालिटी टाइम बिताना बहुत ज़रूरी है। बुज़ुर्ग दंपत्तियों ने घर पर एक साथ इतना समय बिताया है कि उन्हें डेट पर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। फिर भी यदि कभी-कभी डेट पर जाएं केवल अपने रूटीन को बदलने के लिए जिससे एक क्वालिटी टाइम एक-दूसरे के साथ बिताया जाये.

खुशियों के पल एक-दूसरे के साथ बांटे : शादी की बहुत-सी खुशियाँ छोटे-छोटे पलों से आती हैं। अपने साथी के प्रति प्रतिदिन आभार और प्रशंसा व्यक्त करना आपको एक-दूसरे के करीब ला सकता है और ग्रे तलाक को रोकने में मदद कर सकता है।

एक-दूसरे का स्वास्थ्य का ख्याल रखें : आप या आपके जीवनसाथी को किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए एक-दूसरे से सहायता के विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए।

ग्रे तलाक के बाद मैं कैसे नई शुरुआत करूँ?

उन पुराने दोस्तों से फिर से जुड़ें जिनसे आप सालों से संपर्क खो चुके हैं । अक्सर, इन रिश्तों को एक साधारण संदेश या फ़ोन कॉल से फिर से जोड़ा जा सकता है। ग्रे तलाक से गुज़र रहे लोगों के लिए सहायता समूहों की तलाश करें। अपने अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करना जो समझते हैं, अविश्वसनीय रूप से उपचारात्मक हो सकता है।

संतान क्या करें जब माता पिता ग्रे तलाक लेने का विचार बना रहे हों

जब माता-पिता ग्रे तलाक लेने की सोच रहे हों, तो उनकी संतान को अपने माता पिता के बीच मध्यस्था लाने की कोशिश करना चाहिए। यहां हम कुछ विभिन्न तरीके बता रहे हैं जो उनकी मदद कर सकते हैं :

  • माता पिता की बातों को धैर्यपूर्वक सुनें और सहानुभूति दिखाएँ।
  • उनकी वर्तमान स्थिति को समझने का प्रयास करें।
  • अपनी भावनाओं और चिंताओं को अपने माता पिता के साथ शेयर करें, ताकि एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
  • उन्हें एहसास दिलाएं कि तलाक का निर्णय लेना कभी आसान नहीं होता, फिर चाहे किसी भी पक्ष की बात हो, ये फैसला भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है।
  • माता-पिता की इस स्थिति के बावजूद, अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखें।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और उनके भविष्य के बारे में सोचें।

माता पिता हों या उनकी संतान सभी को समर्थन और समझ की आवश्यकता होती है, और एक साथ मिलकर यह चुनौतीपूर्ण समय पार किया जा सकता है।

ग्रे तलाक क्यों बढ़ रहे हैं?

घर पर कोई बच्चा न रहना, वित्तीय विवादों का सामना करना, तथा सेवानिवृत्ति के लिए अलग-अलग लक्ष्य बनाना, बुजुर्गों के तलाक के सबसे सामान्य कारणों में से हैं। वरिष्ठ नागरिक युवा जीवनसाथी की तुलना में विवाह बंधन से मुक्त होने का फ़ैसला क्यों कर रहे हैं?

भारत के मुकाबले में ज्यादातर अमेरिका में सक्रिय जीवनशैली वाले सेवानिवृत्ति समुदाय और सोशल मीडिया दोनों ही बुजुर्गों के तलाक की बढ़ती संख्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में आम लोगों की बात की जाए तो अभी ग्रे तलाक की स्थिति नही बनी है मगर कुछ अमीर घरों में ये स्थिति जन्म ले चुकी है। भारत के अलावा यदि अमेरिका जैसे देशों की बात करें तो उन देशों में और भारत के कुछ एक अमीर घरों में कुछ पति-पत्नी तलाक वाली अदालतों से बचना चाहते हैं और कानूनी रूप से विवाहित रहते हुए अलग-अलग जीवन जीने का विकल्प चुनते हैं। कुछ लोग रूममेट के रूप में एक ही घर में रहना पसंद करते हैं, लेकिन अब उनके बीच रोमांटिक संबंध नहीं होते या वे एक ही बेडरूम में नहीं रहते।

क्या तलाक उन बुज़ुर्गों के लिए एक मानक होना चाहिए जो अपनी शादी से नाखुश हैं? या कुछ अन्य विकल्प हो सकते हैं?

सभी ग्रे तलाक के कानूनी प्रभावों के साथ-साथ भावनात्मक प्रभावों का सामना नहीं करना चाहते हैं, खासकर एक लंबे समय के विवाह के बाद जब उन्होंने एक लंबे अरसे तक अपनी संपत्ति को साथ रखा हो। तलाक के कुछ अन्य विकल्प भी हो सकते हैं। जैसे : विवाह को पुनः बेहतर बनाने के लिए वैवाहिक परामर्श या बिना विवाह को आदर्श रूप से जारी रखने का चयन करना, नए संबंधों की अनुमति देना।

सीधे तलाक अदालत जाने से बेहतर या यहां तक कि कानूनी अलगाव के बजाय, कुछ पति-पत्नी खुद को समय देना का निर्णय लेते हैं, जिसे वे सीमित समय के लिए चुन सकते हैं जब तक कि वे किसी निर्णय पर नहीं पहुंच जाते या यह कानूनी प्रणाली को शामिल किए बिना अनिश्चितकालीन अलगाव बन सकता है, जिससे पति-पत्नी एक साथ रहने या संबंध बनाए बिना एक-दूसरे के प्रति अपने कानूनी दायित्वों को बनाए रख सकते हैं।

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