आयुर्वेद धर्म

आयुर्वेद भोजन क्या है इसके फायदे और नुकसान क्या हैं

आयुर्वेद भोजन वह है जो हमारे सनातनी आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार तैयार किया जाता है। आयुर्वेद भोजन से शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। यहाँ आयुर्वेदिक भोजन के कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी दी गई है।

आयुर्वेद भोजन का महत्व क्या है

तीन दोषों का संतुलन: आयुर्वेद के अनुसार, हर व्यक्ति में तीन दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। शरीर में जब भी इन तत्वों (elements) का संतुलन बिगड़ जाता है, व्यक्ति बीमार हो जाता है। आयुर्वेद भोजन इन दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। आपके शरीर की प्रकृति (प्रकृति / जिन्स) के अनुसार सही प्रकार का भोजन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आयुर्वेद भोजन का स्वाद और पाचन: भोजन में स्वाद न हो तो भोजन किस काम का, भोजन का स्वाद भी हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है। आप जानते ही होंगे कि प्रत्येक स्वाद जैसे मीठा, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला का अपने विशेष स्वास्थ्य लाभ होता है। आयुर्वेद में इनको रस कहा गया है। इसके अलावा, स्वच्छ और ताजगी भरा भोजन पाचन को बढ़ाता है।

समान्य और मौसमी भोजन: आयुर्वेद में मौसम के अनुसार फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए है, जो शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करती हैं।

आयुर्वेद के अनुसार भोजन कितने प्रकार का होता है?आयुर्वेदिक आहार में इस बारे में सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि क्या खाना चाहिए और क्या पीना चाहिए और कब।आयुर्वेद के अनुसार भोजन को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: सात्विक, राजसिक, और तामसिक। इनमें से कुछ आयुर्वेदिक भोजन के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

आयुर्वेद के अनुसार सात्विक भोजन :

  • ताजे फल : सेब, केला, अंगूर
  • सब्जियाँ : गाजर, खीरा, पालक
  • दालें और बीन्स
  • दूध और दूध से बने उत्पाद : दही, पनीर
  • नट्स और बीज : बादाम, अखरोट
  • संपूर्ण अनाज : चावल, गेहूं

आयुर्वेद के अनुसार राजसिक भोजन :

  • मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थ
  • प्याज और लहसुन
  • कॉफी, चाय, और चॉकलेट
  • चीनी और मिठाइयाँ

आयुर्वेद के अनुसार तामसिक भोजन :

  • बासी और प्रसंस्कृत भोजन
  • शराब और नशीले पदार्थ
  • अधिक मात्रा में फ्राइड फूड

आयुर्वेद में सात्विक भोजन को सबसे शुद्ध और स्वस्थ माना जाता है, जो शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। राजसिक और तामसिक भोजन का सेवन संयमित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये अधिक मात्रा में सेवन से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार क्या है खानपान का सही तरीका

आयुर्वेद कहता है कि शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं होता।

  • सब्जियों को पकाने में अधिक समय न लगाएं। ध्यान रखें, सब्जियां न तो ज्यादा पकी हों और न ही कच्ची।
  • चीनी की जगह शहद या गुड़, मैदे की जगह चोकर युक्त आटा और दलिया खाएं।
  • खाना हमेशा ताजा और गर्म होना चाहिए। यह पाचन के लिए बेहतर होता है।
  • खाना हमेशा भूख का आधा खाना चाहिए। इससे वह आसानी से पच जाता है।

इन चीजों से बचें : किसी भी फल के साथ दूध का सेवन न करें। जिसे हम शेक समझकर पीते हैं, आयुर्वेद में उसे सेहत के लिए ठीक नहीं बताया गया है।

  • बहुत ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्म परांठे न खाएं।दूध के साथ कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिसमें नमक मिला हो।
  • रात में कम फैट वाला दूध पिएं।
  • रात के डिनर में बहुत ज्यादा मिर्च और मसाले वाले स्पाइसी खाने से परहेज करें।
  • शहद के साथ घी, केले के साथ दूध, अंडे के साथ फल एवं खीरे के साथ नींबू नुकसान करता है।
  • खड़े होकर पानी न पिएं।

आयुर्वेद भोजन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ क्या हैं

आयुर्वेद भोजन से पाचन में सुधार:आयुर्वेदिक सात्विक भोजन पाचन की प्रक्रिया को सुधारने में मदद करता है। सही मेटाबॉलिज्म के लिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन महत्वपूर्ण होता है।

आयुर्वेद भोजन से करें वज़न नियंत्रण: आप यदि आयुर्वेद अनुसार प्राकृतिक और संतुलित आहार लेते है तो आपकी पाचन शक्ति अच्छी बनी रहेगी जिससे आपका वज़न नियंत्रित रहेगा।

ऊर्जा स्तर में वृद्धि: आप यदि आयुर्वेद भोजन लेते हैं तो आप ये जान लीजिए कि आपको अच्छे पोषण और संतुलित आहार मिल रहा है। आयुर्वेद भोजन आपके शरीर और मस्तिष्क में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं

इम्यूनिटी बूस्ट: आयुर्वेदिक भोजन में एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा में होती है, जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

आयुर्वेदिक भोजन द्वारा त्वचा और बालों का स्वास्थ्य:

Ayurvedic Tips For Hairs: दैनिक आहार में संतुलित और पोषित भोजन जोड़ने से त्वचा की चमक और बालों की सेहत में सुधार होता है। अपने आहार में आयरन, पोटेशियम और जिंक रिच फूड्स को शामिल करें, जैसे – खजूर, कद्दू के बीज पालक, केल, बादाम और अखरोट

किस तरह का आयुर्वेदिक नाश्ता होना चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार हमारा नाश्ता संतुलित, पौष्टिक और ताजगी से भरपूर होना चाहिए ताकि दिन की अच्छी शुरुआत हो सके। चलिए हम कुछ उदहारण द्वारा देखते हैं :

फलों का सलाद: ताजे मौसमी फलों का सेवन करें। फलों में प्राकृतिक मिठास होती है और ये पाचन को भी सुधारते हैं।

ओट्स या दलिया: आप ओट्स या दलिया को दूध या पानी में पकाकर उसमें सूखे मेवे और शहद मिलाकर खा सकते हैं। इससे आपको भरपूर ऊर्जा मिलेगी साथ ही साथ आपके पाचन के लिए यह अच्छा होता है।

हर्बल चाय: अदरक, तुलसी, और पुदीना जैसी हर्बल चाय पीना दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आदर्श है।

मूंग दाल चीला: आपने मूंग दाल तो खूब खाई होगी मगर आपने कभी मूंग दाल का बना चीला खाया है। मूंग दाल चीला भी आपको स्वास्थ लाभ देता है इसके लिए आप मूंग के आटे से बने चीले में हरी सब्जियां मिलाकर बनाएं। मूंग दाल चीला प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है।

अंकुरित अनाज: अंकुरित मूंग, चना, और अन्य अनाज को नींबू और नमक के साथ खाएं। ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और पाचन के लिए अच्छे हैं।उपरोक्त आयुर्वेदिक नाश्ते का मुख्य उद्देश्य शरीर को संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर रखना है, ताकि दिनभर ऊर्जा और मानसिक शांति बनी रहे।

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