मध्य प्रदेश

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मौत पर कांग्रेस, सरकार पर कसा तंज

Ten wild elephants at Bandhavgarh Tiger Reserve in MP

हाथियों के विसरा में मिला जहरीला एसिड

बांधवगढ़ टाइ‌गर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के मामले में एक हफ्ते बाद मंगलवार को पहली जांच रिपोर्ट सामने आई। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईबी आरआई), बरेली की ओर से मप्र वन विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में हाथियों के विसरा में माइक्रो टॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड मिलने की पुष्टि हुई है। हालांकि, हाथियों की मौत इसी से हुई या नहीं इसका रिपोर्ट में स्पष्ट जिक्र नहीं है।

क्या यही मौत का कारण

आईवीआ आरआई ने विसरा सैंपल की विषाक्तता रिपोर्ट में पता चलता है कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में खराब कोदो पौधे अनाज खाए थे। हालांकि, विसरा सैंपल में मिले साइक्लोपिया जोनिक एसिड कितना जहरीला था और कितनी मात्रा में था, क्या यही मौत का कारण हो सकता है इसकी आगे जांच अभी जारी है। दूसरी ओर, आईवी आरआई ने अपनी रिपोर्ट में घटनास्थल के आसपास के क्षेत्रों में भी ध्यान रखने की एडवाइजरी जारी की है। वन विभाग ग्रामीणों को खराब फसलों को पहचानने और उनमें मवेशियों को नहीं चराने की जानकारी देने की सिफारिश की है।

हाथियों की मौत की जांच सीबीआई द्वारा की जाए

पूर्व सीएम कमलनाथ बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मौत पर राज्य सरकार और वन मंत्री रामनिवास रावत पर आरोप लगा रहे है। पूर्व सीएम कमलनाथ का कहना है कि हाथियों की मौत की जांच सीबीआई द्वारा की जाए। उधर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का दावा है कि हाथियों को जहर दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने रिसॉर्ट संचालकों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।

कमलनाथ ने X पर लिखा मध्यप्रदेश सरकार हाथियों की मृत्यु के कारण स्पष्ट नहीं कर पा रही है

कमलनाथ ने X पर लिखा, ‘बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मृत्यु को करीब एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन दोषियों को पकड़ना तो दूर मध्यप्रदेश सरकार अब तक हाथियों की मृत्यु के कारण को भी स्पष्ट नहीं कर सकी है। यह अत्यंत चिंता का विषय है। ‘मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील करता हूं कि वे 10 हाथियों की मृत्यु की या तो सीबीआई जांच कराएं या फिर न्यायिक जांच के आदेश दें। निष्पक्ष जांच न होने से वन्य प्राणियों के जीवन पर खतरा बना रहेगा और जो भी लोग इसके पीछे हैं, वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे, इस तरह के अपराधों को दोहराने की हिमाकत नहीं करेंगे। मैं आशा करता हूं कि मुख्यमंत्री मेरी इस मांग को गंभीरता से लेंगे और प्रदेश में वन्य जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से इस दिशा में तत्काल कदम उठाएंगे।’

PCC चीफ पटवारी बोले- दस हाथियों की मौत एक्सीडेंट नहीं था, उनको जहर दिया गया

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा, ‘दस हाथियों की मौत एक्सीडेंट नहीं था, उनको जहर दिया गया। मौत का कोई अभियुक्त है, तो वो सरकार और वन विभाग है। मतलब ये सरकारी हत्या है। ये तो पता चली मौतें हैं, हाथियों की इसके अलावा भी और मौत होती रहती हैं, जो पता नहीं चलती। वन्यजीवों को लेकर सरकार सिर्फ बजट पास करती है और उसका करप्शन करती है।’

असली जिम्मेदारी तो सरकार की

राज्य सरकार काले चीते लाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जबकि प्रदेश के अपने टाइगर जो राष्ट्रीय पहचान और सम्मान का प्रतीक हैं, उनकी मौत हो रही है। उन्होंने कहा, “सरकार के द्वारा अगर केवल कर्मचारियों को दंडित किया जाता है तो यह अन्याय होगा, क्योंकि असली जिम्मेदारी तो सरकार की है।”

मृत 10 हाथियों में से एक नर और नौ मादा थी

मृत 10 हाथियों में से एक नर और नौ मादा थी. इसके अलावा, मृत दस हाथियों में से 6 किशोर/उपवयस्क और 4 वयस्क थे. जानकारी से पता चला कि 13 हाथियों के झुंड ने जंगल के आसपास कोदो बाजरा का फसल खाया था. 10 हाथियों का पोस्टमार्टम पशु चिकित्सकों की टीम ने किया है. पोस्टमार्टम के बाद विसरा को जांच के लिए बरेली और FSL सागर भेजा गया है.

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