Bhopal (MP) government big decision for surrogacy mother : मध्यप्रदेश में सरोगेसी की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए सरकार ने आवेदन समय सीमा 4 महीने से घटाकर 10 दिन कर दी है। अब दंपतियों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। निसंतान दंपतियों की सुविधा एवं विनियामक प्रावधान को देखते हुए राज्य समुचित प्राधिकारी एआरटी एवं सरोगेसी समिति का गठन किया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एवं सरोगसी बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में समिति गठित करने का फैसला लिया गया और आदेश जारी कर दिए गए। आवेदन पर समिति कानून के दायरे में विचार कर सरोगेसी की अनुमति देने या नहीं देने का फैसला लेगी। अभी बोर्ड की बैठक हर चार माह में करने का प्रावधान है।
मध्यप्रदेश सरकार ने स्टेट एप्रोप्रियेट अथॉरिटी फॉर एआरटी एंड सरोगेसी (SAA) का गठन किया है, जो अधिक से अधिक बैठक आयोजित करेगी। आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया अब 7-10 दिन में पूरी होगी।
सरोगेसी प्रक्रिया कानून की नजर में
सरोगेसी एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला (जिसे सरोगेट मां कहा जाता है) किसी अन्य दंपती या व्यक्ति के लिए बच्चे को अपने गर्भ में पालती है और जन्म देती है। यह उन दंपतियों या व्यक्तियों के लिए एक विकल्प है, जो किसी मेडिकल कारण से स्वयं संतान को जन्म देने में असमर्थ होते हैं। सरोगेसी में सरोगेट महिला अपने या फिर डोनर के अंडाणु के जरिए गर्भधारण करती है और उस बच्चे के जन्म तक, अपने गर्भ में उसका पालन-पोषण करती है। जन्म के बाद सरोगेट मां का उस बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता।
क्या है सरोगेसी की प्रक्रिया, अभी जानें
- इच्छुक दंपती को सबसे पहले जिला मेडिकल बोर्ड से मेडिकल इंडिकेशन का प्रमाणपत्र लेना पड़ता है।
- इसके बाद, सरोगेट मां के लिए प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा अनुशंसित पंजीकृत चिकित्सा विशेषज्ञ (RMP) से फिटनेस का प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता है।
- प्रथम श्रेणी न्यायिक अधिकारी से बच्चे की कस्टडी का आदेश लेना होता है, जिससे ये सिद्ध हो जाए कि बच्चे के जन्म के बाद दंपती बच्चे को त्यागेंगे नहीं।
- फिर सरोगेट मां का बीमा, किसी बीमा कंपनी या एजेंट द्वारा कराना होता है।
- इच्छुक दंपतियों को जिला उपयुक्त प्राधिकरण (DAA) के अध्यक्ष से संपर्क करना पड़ता है, जो आवश्यकता और पात्रता प्रमाणपत्र जारी करते हैं। जिले स्तर पर तमाम प्रोसेस के बाद आवेदन स्टेट एप्रोप्रियेट अथॉरिटी (SAA) को भेजा जाएगा।
SAA आवेदन की अनुमति “हां” या “नहीं” में देगा, यदि अनुमति दी तो राज्य में पंजीकृत सरोगेसी क्लिनिक में सरोगेसी प्रक्रिया पूरी होती है।
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