भारत की आजादी में संघर्ष की कहानी
How did India get independence?
भारत की आजादी की कहानी एक लंबे संघर्ष, त्याग, और दृढ़ संकल्प की गाथा है। यह संघर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होकर 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता तक चला।
आइए जानते हैं,
भारत की आजादी की मुख्य घटनाएँ
1857 का विद्रोह: इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम या सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ व्यापक विद्रोह हुआ था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885): यह संगठन स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मुख्य भूमिका में रहा।
महात्मा गांधी का आगमन (1915): गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसात्मक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें प्रमुख आंदोलन थे चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919): इस हत्याकांड ने देशभर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ गुस्से की लहर पैदा कर दी।
स्वराज पार्टी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य नेता: सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, और अन्य ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद: युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई और भारत में स्वतंत्रता की मांग तेज हो गई।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942): महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस आंदोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
भारत की स्वतंत्रता (1947): 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के साथ ही भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
इन घटनाओं ने मिलकर भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। स्वतंत्रता की इस यात्रा में लाखों भारतीयों ने बलिदान दिया और अपने देश के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद मानी जाती है। इस युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के नवाब सिराज उद-दौला को पराजित किया। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे अपनी पकड़ भारत के विभिन्न हिस्सों में मजबूत की।
ब्रिटिश शासन के मुख्य कारण क्या है, आखिर भारत गुलाम क्यों हुआ ?
1.भारतीय शासकों के बीच आपसी संघर्ष:
भारतीय रियासतों और राज्यों के बीच आपसी लड़ाई और संघर्ष ने ब्रिटिशों को मौके दिए। उन्होंने एक राज्य को दूसरे राज्य के खिलाफ मदद कर, धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ाई
आर्थिक लालच और व्यापार: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत में व्यापार करना था। उन्होंने भारतीय उत्पादों (जैसे कपास, चाय, मसाले) का ब्रिटेन और अन्य देशों में निर्यात किया। व्यापार से मिली संपत्ति ने उन्हें सैन्य और राजनीतिक ताकत बढ़ाने में मदद की।
उन्नत सैन्य और तकनीकी शक्ति: ब्रिटिशों के पास बेहतर हथियार, सैन्य रणनीति, और तकनीकी साधन थे, जिनसे उन्होंने भारतीय सेनाओं को आसानी से हरा दिया।
राजनीतिक चालाकी और कूटनीति: ब्रिटिशों ने भारतीय शासकों के साथ समझौते किए, धोखाधड़ी की, और अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया। उन्होंने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाई, जिससे भारतीय रियासतें एकजुट नहीं हो पाईं।
प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिशों ने एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा स्थापित किया, जिसमें कर वसूली, न्याय व्यवस्था और कानून व्यवस्था शामिल थी। इससे उन्होंने अपने शासन को स्थिर और व्यवस्थित बनाया।
इन सभी कारणों से ब्रिटिशों ने धीरे-धीरे भारत पर अपना कब्जा बढ़ाया और लगभग दो शताब्दियों तक शासन किया, जब तक कि भारत ने 1947 में स्वतंत्रता हासिल नहीं की।
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