मेंटल हेल्थ

हाइपोस्ट्रेस तनाव क्या है इससे कैसे छुटकारा पाएं

Example of Eustress, distress hyperstress and hypostress

हममें से अधिकांश लोग सोचते हैं कि तनाव हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन क्या आपको पता है तनाव के बारे में हमारी धारणाएं ही वास्तव में शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं? जी हां, आप तनाव से अपने जीवन बढ़ा घटा सकते हैं।

अक्सर, तनाव अप्रत्याशित होते हैं और हमारे नियंत्रण से बाहर भी हो सकते हैं। जो लोग तनाव से बचने की कोशिश करते हैं, उन पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होती है जो इसे स्वीकार करते हैं। बल्कि जो लोग तनाव को हानिकारक के बजाय सहायक मानते हैं , वे इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं तथा उनके बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर भावनात्मक कल्याण और काम पर उत्पादकता में वृद्धि की संभावना अधिक होती है।

इतना ही नहीं, बल्कि उनमें शारीरिक स्थितियों – जैसे हृदय रोग – के कारण होने वाली मृत्यु का जोखिम भी कम हो जाता है, जो तनाव के कारण हो सकता है। तनाव के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने से आपका अनुभव बदल जाता है, और इससे आपके शरीर और मन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव में भी बदलाव आता है।

सबसे पहले हम समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे एक ही स्थिति के दो असर हो सकते हैं?

गौर करने वाली बात है कि किसी भी घटना की व्याख्या हमारे नियंत्रण में है और हमारे द्वारा की जाने वाली व्याख्या ही तय करेगी कि उससे नकारात्मक तनाव उत्पन्न होगा या सकारात्मक। एक उदाहरण से समझते हैं कि किसी भी घटना की व्याख्या हमारी भावना, शारीरिक प्रतिक्रिया और व्यवहार पर क्या प्रभाव डालती है। इसी से हमारे रिश्ते का भविष्य भी तय होता है।

“मान लीजिए कि आप अपने एक मित्र की कॉल करते हैं, पर वह किसी कारणवश फोन रिसीव नहीं करता। घटना महज इतनी है कि आपने फोन किया, जिसका जवाब नहीं दिया गया।”


अब इस स्थिति में आपके दो तरह के विचार होंगे एक नकारात्मक और एक सकारात्मक।

आप सोच सकते हैं कि आपका दोस्त जानबूझकर आपका फोन नहीं उठा रहा है। ये एक नकारात्मक विचार होगा। इस व्याख्या से संबंधित भावनाएं उपेक्षा- यह सोचने से आपको लगेगा कि आपका दोस्त आपकी परवाह नहीं करता। दोस्त से उम्मीद थी कि वह आपका फोन उठाएगा, लेकिन उसने निराश किया। यह सोचकर आपको गुस्सा आ सकता है कि वह जानबूझकर आपको नज़र अंदाज कर रहा है। बल्कि दोस्ती के रिश्ते को लेकर भावनात्मक दुख हो सकता है। अविश्वास जानबूझकर फोन न उठाने की बात सोचने से दोस्त के प्रति भरोसे में कमी आ सकती है।

नकारात्मक विचार से आपके मन और शरीर पर क्या असर होगा?

आपके इस नकारात्मक विचार से आपके मन और शरीर बुरा असर पड़ेगा जैसे कि शारीरिक प्रतिक्रियाएं अब उपेक्षा या क्रोध की भावना उत्पन्न होती है तो शारीरिक तनाव बढ़ जाता है और हृदय की धड़कन तेज हो जाती है। विशेष रूप से कंधे और गर्दन की मांसपेशियों में जकड़न महसूस हो सकती है। इस बात पर जितना सोचेंगे, निराशा या गुस्से की स्थिति बढ़ती जाएगी और हथेलियों में या पूरे शरीर में पसीना आएगा। क्रोध की भावना के चलते रक्त प्रवाह तेज होने से चेहरे पर लालिमा आ जाती है, सांस की गति भी असामान्य हो सकती है।

नकारात्मक विचार से आपको क्रोध आ सकता है और क्रोध में आप गलत कदम उठा सकते हैं। आप अपने दोस्त को बार-बार कॉल कर सकते हैं। मैसेज भेजकर गुस्से या शिकायत भरे शब्द लिख सकते हैं। दोस्त के साथ अगली बार मिलने पर नाराजगी दिखा सकते हैं। आप सोच सकते हैं कि उससे बात करना ही बंद कर देता हूं। खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं और दोस्त से दूरी बना सकते हैं। आप बार-बार सोच सकते हैं कि दोस्त क्यों नहीं जवाब दे रहा। अलग-अलग नकारात्मक निष्कर्ष निकाल सकते हैं, जैसे- ‘वह मुझसे नाराज है,’ ‘उसे मेरी परवाह नहीं,’ आदि आदि।

इस स्थिति का एक सकारात्मक पहलू भी है आइए देखते हैं कि यदि मित्र आपका फोन नहीं उठाता तो आपको क्या सकारात्मक विचार आ सकते हैं?

  • शायद वह अभी कहीं किसी जरूरी काम में व्यस्त होगा, वह बाद में फोन जरूर करेगा।
  • यह सोचकर कि दोस्त समय मिलने पर फोन करेगा, मन में शांति और धैर्य उत्पन्न होगा।
  • मन में संतुलन और स्थिरता रहेगी।
  • सहानुभूति की भावना भी आ सकती है कि कहीं आपका दोस्त किसी कठिनाई वा जिम्मेदारी में उलझा है।
  • आपका दोस्त आपका फोन जरूर देखेगा और उचित समय पर जवाब देगा, आपको सकारात्मक और प्रसन्न बनाए रखेगी।

हाइपोस्ट्रेस (Hypostress) एक सकारात्मक तनाव

तनाव प्रबंधन आज के आधुनिक जीवन में तनाव एक आम समस्या बन चुका है। हालांकि वास्तविकता यह है कि तनाव हमारे जीवित और सक्रिय रहने का सबूत है। हम अपने बाहरी और आंतरिक वातावरण में घटित होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रतिक्रिया ही ‘तनाव’ कहलाती है। ऐसा नहीं हो सकता कि तनाव हो ही न, क्योंकि जब जीवन में कोई भी चुनौती न हो तब भी तनाव होता है जिसे हाइपोस्ट्रेस (Hypostress) कहा जाता है। यूस्ट्रेस (Eustress) एक सकारात्मक तनाव है जो हमें किसी प्रतिक्रिया के लिए प्रेरित करता है, कार्य करने के लिए तैयार करता है। लेकिन जब हम इस तनाव की गलत व्याख्या करते हैं या इसके प्रति मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर पड़ते हैं तो इसका हमारे मन व शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, इसे डिस्ट्रेस (Distress) यानी नकारात्मक तनाव कहा जाता है।

यूस्ट्रेस (Eustress) तनाव क्या होता है

इस प्रकार का तनाव तब होता है जब उत्साह, ऊर्जा और रचनात्मकता की आवश्यकता होती है, जैसे भाषण या प्रदर्शन देने से पहले। यदि यह तनाव थोड़े समय के लिए ही होता है तो इसे आमतौर पर सकारात्मक तनाव माना जाता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो इससे अन्य प्रकार के तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।

क्या होता है हाइपोस्ट्रेस और हाइपरट्रेस तनाव

तनाव दो तरह का होता है- हाइपोस्ट्रेस और हाइपरट्रेस।

हाइपोस्ट्रेस तब होता है जब व्यक्ति के पास करने के लिए कुछ नहीं होता। यह तनाव की अपर्याप्त मात्रा है। जब लोगों के पास करने के लिए कुछ नहीं होता, तो वे ऊब जाते हैं और अगर यह भावना लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसका परिणाम हाइपोस्ट्रेस होता है। आमतौर पर हाइपोस्ट्रेस वाले लोग बिना किसी चुनौती के काम करते हैं, जिसके कारण वे हतोत्साहित, उत्साहहीन और बेचैन हो जाते हैं। हाइपोस्ट्रेस काम के कम बोझ के कारण हो सकता है।

हाइपरस्ट्रेस तब होता है जब किसी व्यक्ति को उसकी सीमा से ज़्यादा या उससे ज़्यादा दबाव में रखा जाता है। यह आमतौर पर उन लोगों में देखा जाता है जिनकी नौकरी में बहुत ज़्यादा तनाव होता है। अतितनाव आमतौर पर व्यक्ति के जीवन के अधिकांश क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिसमें उसका काम, रिश्ते, स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन शामिल हैं।

क्रोनिक हाइपरस्ट्रेस और हाइपोस्ट्रेस के प्रभावों को कैसे कम करें

यदि आपके लिए अपने तनाव को कम करना या उस स्थिति को बदलना संभव नहीं है जिसके कारण आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपने भावनात्मक कल्याण पर ध्यान देने के लिए समय निकालना आपके लिए मददगार हो सकता है।

ध्यान, योग और जर्नलिंग जैसे अभ्यास आपको केंद्रित रख सकते हैं और आपकी दिन-प्रतिदिन की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं।

तनाव कम करने के अन्य उपाय

  • स्वस्थ और स्वच्छ प्रकृति में सैर करें
  • किसी से बात करें कि आप कैसा महसूस करते हैं
  • प्रतिदिन कृतज्ञता का अभ्यास करें
  • भरपूर नींद लें
  • हर दिन फल और सब्जियाँ खाएँ
  • अधिक व्यायाम करें
  • जो आप नियंत्रित कर सकते हैं उसे बदलने पर काम करें और जो आप नहीं कर सकते उसे स्वीकार करें
  • प्रतिदिन कम से कम 2 लीटर पानी पियें

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