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Bharat Bandh Today LIVE: क्या है भारत बंद का असर, क्या जाति भेदभाव देश के लिए सही है

Bharat Bandh Today LIVE: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि सभी SC-ST जातियां और जनजातियां समान वर्ग नहीं हैं. कई जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं. इसके लिए अदालत ने सीवर की सफाई करने वाले और बुनकर का काम करने वालों का उदाहरण दिया था. साथ ही साथ ये भी कहा कि ये दोनों ही जातियां SC कैटेगरी में आती हैं. इस जाति से आने वाले लोग अन्य लोगों से ज्यादा पिछड़े हैं.

इस बंद के दौरान SC/ST और OBC समुदायों के लिए न्याय और समानता की मांगें उठाई जा रही हैं, साथ ही सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की भी अपील की जा रही है।

भारत बंद का असर मिला जुला रहा

भारत बंद का सबसे ज्यादा असर राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में देखा जा रहा है। इन क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है।कुछ जिलों में बाजार और व्यापारिक संस्थान बंद हैं, जबकि सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, और पेट्रोल पंप खुले हैं।आवश्यक सेवाएँ जैसे एंबुलेंस, अस्पताल, और मेडिकल सेवाएँ चालू हैं।

बिहार में भारत बंद का असर : भारत बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में देखा जा रहा है. पटना में बंद समर्थक सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया.

बिहार के दरभंगा में भीम आर्मी और अन्य दलित संगठनों ने बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन का चक्का जाम कर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सरकार से मांग की है कि इस फैसले को वापस लिया जाए।

झारखंड में भारत बंद : झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन के साथ अनुसूचित जाति और जनजाति संगठनों ने बाजारों को बंद करा दिया और वाहनों की आवाजाही ठप करवा दी। झारखंड के रांची में भारत बंद समर्थकों ने SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़क पर टायर जलाकर विरोध जताया।

UP में भारत बंद का असर : उत्तर प्रदेश के हरदोई में भारत बंद का असर नहीं दिखा. रोजाना की तरह दुकानें खुली हुई हैं. वहीं दूसरी ओर अमरोहा में बंद समर्थकों ने हाथों में नीला झंडा और तिरंगा लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।

छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भारत बंद का असर थोड़ा कम देखा गया. छोटे व्यापारी और अन्य व्यावसायिक संगठन के चेंबर ऑफ कॉमर्स ने भारत बंद का समर्थन नहीं किया है।

बसपा प्रमुख मायावती पार्टी कार्यकर्ताओं से सड़कों पर उतरने को कहा

उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ सड़कों पर उतरने को कहा है।

भारत बंद का कारण क्या है ?

आज के भारत बंद का आयोजन Reservation Bachao Sangharsh Samiti द्वारा किया गया है। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में बुलाया गया है, जिसमें SC/ST आरक्षण के तहत उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है। इस फैसले के अनुसार, राज्यों को SC/ST समूहों के भीतर अलग-अलग कोटा बनाने की अनुमति दी गई है।

दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर आज ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।

भारत बंद के दौरान देश में कानून व्यवस्था :
अभी तक देश में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है।

क्या भारत में SC/ST और OBC समुदाय में समानता हो सकती है?

भारत में जाति व्यवस्था के चलते SC/ST और OBC समुदायों के लोग लंबे समय से सामाजिक भेदभाव का सामना कर रहे हैं। SC/ST और OBC समुदायों के लिए आरक्षण की व्यवस्था ने इन समुदायों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में स्थान दिलाने में मदद की है, लेकिन समानता के लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल नहीं किया जा सका है। आरक्षण के बावजूद, सामाजिक असमानता और भेदभाव अभी भी व्यापक है।

SC/ST और OBC समुदाय में समानता लाने के लिए क्या करें

SC/ST और OBC समुदाय में समानता लाने के लिए मेरे हिसाब से दोनो समुदाय के लोगों को सोच को बदलना पड़ेगा। इनको ये बात भूलना पड़ेगी की वो किस समुदाय के हैं। सरकार ने जाति प्रमाण पत्र जारी करके लोगों में भेद भाव कर दिया। हालांकि कुछ मामलों में भेदभाव सही भी होता है। लेकिन यदि व्यक्ति व्यक्ति की बात करें तो जाति का भेद भाव बिल्कुल भी सही नही है। कुछ लोग सरकारी नौकरी जैसे लाभों के लिए अपने को पिछड़ी जाति में रखना पसंद करते हैं लेकिन कहलाना नही।
दोनो जाति SC/ST और OBC में समानता लाने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं :

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना पड़ेगा।
  • जाति भेदभाव के खिलाफ कड़े कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन रखना पड़ेगा।
  • सामाजिक जागरूकता को अपनाना पड़ेगा।

देखा जाए तो देश में समानता की दिशा में प्रगति हो रही है, लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया है, और इसे हासिल करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास की जरूरत है।

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